अब लौह बनकर निकलूंगी
अब लौह बनकर निकलूंगी
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
जलती रही तेरे झूठे अभिमान के अंगारों में,
अब लौह बनकर निकलूंगी,
जो छुआ तूने मुझे तो
सबसे बुरा तेरा हश्न करूंगी।
बहुत गुरूर है तुझे तेरी मर्दानगी पे,
तो ले आ छूले मुझे ,
लेकिन जब-जब निकलेगा वस्त्र मेरा,
उस यम को मैं तोहफ़ा तेरा दूंगी,
हाँ सही समझा तू ,
तुझे मै मौत का कफन पहना दूंगी।
जलती रही तेरे हवस के अंगारो में,
अब लौह बनकर निकलूंगी ।
बहोत पिघला लिया तूने मुझे अरे ! दुष्ट
अपने मन की वासना मे,
अब देख मैं तेरा क्या करूंगी।
जलती रही तेरी प्रतारड़ा में,
अब तिल तिल न मरूंगी,
न ही फिर किसी लडकी को
तेरी वासना की अग्नि में जलने दूंगी।
तू समझ न की अब छुप जायेगा,
तू कानून की बेड़ियों में,
मैं अब काली बनूंगी,
तू क्या मुझे छुएगा,
अब मैं लौह बनकर निकलूंगी ।