"अब हम चल दिए हैं"
"अब हम चल दिए हैं"
हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।
मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।
जिस मंजिल का देखा था सपना वो खो गई हैं कहीं राहों में ।
ख़ुशी को छोड़, गम को समेटे अपनी बाँहों में । ।
सुकून को तलाशते हुए अरसा बीत गया ।
लेकिन ये दिल खुद को ही बहलाना सिख गया । ।
रातें कटती नहीं, पर वक़्त गुजरता जा रहा हैं ।
बचपन बचाया था जो वो रेत की तरह फिसलता जा रहा हैं । ।
हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।
मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।
जिंदगी की कश्मकश में कुछ यूँ उलझे हुए हैं ।
सुबह का इंतजार हैं, रात से ऐतबार हैं । ।
शामें गुजरती जा रही हैं, बंद दरवाजों के पीछे ।
अपने ही सपनों का गला घोंट रहे, यूँ आंखें मीचे । ।
ख़ुशी खरीदी नहीं जा सकती, गम बेवजह कोई खरीदता नहीं ।
अब तो लगता हैं, हम ही गलत हैं, बाक़ी सब कुछ सही । ।
हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।
मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।
पर यह जिंदगी का खेल ही निराला हैं ।
एक पल में अँधेरा, अगले ही पल में उजाला हैं । ।
हर वक़्त हर घड़ी, लिखती हैं एक नयी कहानी ।
ले आती हैं कुछ दर्द नए, कुछ यादें पुरानी । ।
हर दर्द से लड़ के, झगड़ के, अब आगे बढ़ दिए हैं ।
अपनी तन्हाईओं को ही हमसफ़र बना के आगे चल दिए हैं । ।
हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।
मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।
फिर क्यों ये ज़माने की दौड़ में दौड़े जा रहे हैं,
फिर क्यों ये कमाने की दौड़ में दौड़े जा रहे हैं ।
कब मिलेगा इस सफर को मुकाम,
कब मिलेगा इस रूह को आराम ।
ख्वाहिशें खत्म होती नहीं, जिंदगी गुजरती जा रही हैं,
सुकून मिलता नहीं, सांसें चली जा रही हैं,
शामें गुजरती जा रही हैं, रातें ठहरती जा रही हैं ।
ये हसीं शामों के ख्वाबों को दिल में बसाये अब आगे बढ़ दिए हैं ।
सुकून को तलाशते हुए, तरसते हुए, अब हम चल दिए हैं । ।
हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।
मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।
