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Ila Garg

Abstract

3  

Ila Garg

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"अब हम चल दिए हैं"

"अब हम चल दिए हैं"

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हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।  

मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।  


जिस मंजिल का देखा था सपना वो खो गई हैं कहीं राहों में ।

ख़ुशी को छोड़, गम को समेटे अपनी बाँहों में । ।  


सुकून को तलाशते हुए अरसा बीत गया ।

लेकिन ये दिल खुद को ही बहलाना सिख गया । ।  


रातें कटती नहीं, पर वक़्त गुजरता जा रहा हैं ।

बचपन बचाया था जो वो रेत की तरह फिसलता जा रहा हैं । ।  


हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।

मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।


जिंदगी की कश्मकश में कुछ यूँ उलझे हुए हैं ।

सुबह का इंतजार हैं, रात से ऐतबार हैं । ।


शामें गुजरती जा रही हैं, बंद दरवाजों के पीछे ।

अपने ही सपनों का गला घोंट रहे, यूँ आंखें मीचे । ।


ख़ुशी खरीदी नहीं जा सकती, गम बेवजह कोई खरीदता नहीं ।

अब तो लगता हैं, हम ही गलत हैं, बाक़ी सब कुछ सही । ।


हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।

मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।


पर यह जिंदगी का खेल ही निराला हैं ।

एक पल में अँधेरा, अगले ही पल में उजाला हैं । ।


हर वक़्त हर घड़ी, लिखती हैं एक नयी कहानी ।

ले आती हैं कुछ दर्द नए, कुछ यादें पुरानी । ।


हर दर्द से लड़ के, झगड़ के, अब आगे बढ़ दिए हैं ।

अपनी तन्हाईओं को ही हमसफ़र बना के आगे चल दिए हैं । ।


हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।

मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।


फिर क्यों ये ज़माने की दौड़ में दौड़े जा रहे हैं,

फिर क्यों ये कमाने की दौड़ में दौड़े जा रहे हैं ।


कब मिलेगा इस सफर को मुकाम,

कब मिलेगा इस रूह को आराम ।


ख्वाहिशें खत्म होती नहीं, जिंदगी गुजरती जा रही हैं,

सुकून मिलता नहीं, सांसें चली जा रही हैं,

शामें गुजरती जा रही हैं, रातें ठहरती जा रही हैं ।


ये हसीं शामों के ख्वाबों को दिल में बसाये अब आगे बढ़ दिए हैं ।

सुकून को तलाशते हुए, तरसते हुए, अब हम चल दिए हैं । ।


हज़ारों अरमान दिल में दफ़न कर दिए हैं ।

मंजिल तय किये बिना युहीं कहीं चल दिए हैं । ।


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