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Shreemanta Nanda

Abstract

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Shreemanta Nanda

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आया कोरोना

आया कोरोना

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वो कहते हैं मालिक हूँ आका हूँ भगवान हूँ मैं 

ऐसा सब स्वीकार करें , जयकारा हमें चाहिए 

मालिक तो एक हीं है ये बात हमें ग्रंथो से 

समझ लेनी चाहिए 


बंस के चिराग को धन नहीं चाहिए 

आप खाली हाथ आए थे खाली हाथ जायेंगे 

उस से बस इंसान बना के जाईये 

मनुष्य प्रकृति के आगे वलशाली नहीं 

येतो कोरोना आने के बाद क़ुबूल होनी चाहिए 


जितनी दूर ये आंख देखती है

उस से भी आगे सोचना चाहिए 

पश्चयताप हो या ना हो 

अपने गुरुजन साथ चाहिए 


प्रकृति के आगे कौन वलशाली 

एक सहारा तुम हो 

मंदिर मस्जित गिरजा गुरूद्वारे 

बंद हो गए हैं सब हमारे 

रोये तो जाएँ कहाँ 

माँ बाप औ परिवार  

सब संभल औ जुड़ जाएँ 


ग्रंथों ने हमें सिखाया 

एक अकेला हीं अये है 

साथ न कोई जायेगा 

मन मैं हम ये बिठालें 

कोरोना ने बताया हे क्या ___

एक अकेला अये हो साथ न कोई जाएगा 


कोरोना आया लॉकडाऊन लाया 

मास्क लगे सोसिअल डिस्टेंस बढे 

लोग मिलने से घबराये 

मानव मानव से डरा 

ये कैसी बेला आयी 

कोरोना महामारी आयी जाती भेद मिटाई 


आज हमें सपथ लेना हे कोरोना को हराना हे 

सरकार क सारे नियम को पालन कर 

धरती से कोरोना को भागना है।  


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