आत्मसम्मान
आत्मसम्मान
दुनिया की इस भीड़ में बंधु अपना अस्तित्व न खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
धन दौलत ना टिकी एक जगह, आती है और जाती है
सत्ता प्रतिष्ठा की मीनारें क्या स्थिर रह पाती हैं
"स्वाभिमान" रूपी दामन का रखना साथ बिछौना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
"जीओ और जीने दो" का एक मूल मंत्र ना बिसराना
इज्जत दो हर एक जीव को फिर सबसे इज्जत पाना
आत्मसम्मान बचा कर रखना चाहे सब कुछ खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
दुनिया की इस भीड़ में बंधु अपना अस्तित्व न खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम।