STORYMIRROR

Ameeta Patel

Abstract

4  

Ameeta Patel

Abstract

आज का दौर

आज का दौर

1 min
665

हम है खिलाड़ी आज के दौर के,

जहां कोई भी नहीं अपने दिल के करीब के,


यहां सब लगे हुए है जिंदगी की दौड़ में,

और कह रहे है मुझे कि तुम भी लगो दौड़ में।


मैं क्यूं भला चलूं तुम्हारे साथ साथ,

बस मुझे तो चलना है अपने ही साथ साथ,


मुझे महसूस करना है आसमान की ऊंचाइयों को,

मुझे महसूस करना है नदी की गहराईयों को।


मुझे चलना है मस्त चंचल पवन के संग,

और झूमना है इन मस्त बहारों के संग,


मुझे नहीं बंधना इस जिंदगी की दौड़ के संग,

मुझे तो बस चलना है इस प्रकृति के संग।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Ameeta Patel

Similar hindi poem from Abstract