आज का दौर
आज का दौर
हम है खिलाड़ी आज के दौर के,
जहां कोई भी नहीं अपने दिल के करीब के,
यहां सब लगे हुए है जिंदगी की दौड़ में,
और कह रहे है मुझे कि तुम भी लगो दौड़ में।
मैं क्यूं भला चलूं तुम्हारे साथ साथ,
बस मुझे तो चलना है अपने ही साथ साथ,
मुझे महसूस करना है आसमान की ऊंचाइयों को,
मुझे महसूस करना है नदी की गहराईयों को।
मुझे चलना है मस्त चंचल पवन के संग,
और झूमना है इन मस्त बहारों के संग,
मुझे नहीं बंधना इस जिंदगी की दौड़ के संग,
मुझे तो बस चलना है इस प्रकृति के संग।