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Vidhika Modi

Abstract

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Vidhika Modi

Abstract

आगे बढ़ता चल

आगे बढ़ता चल

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आगे बढ़ता चल 

तू आगे बढ़ता चल

सफलता के मार्ग पर

तू निरंतर बढ़ता चल


आगे मार्ग होगा दुर्गम 

पर मन अपना रहे अविचल 

आशा का दीप मन में जला 

तू निरंतर आगे बढ़ता चल 


प्रयास से तो पत्थर पर 

भी पड़ जाती रगड़ 

फिर क्या नहीं होगा 

मनुष्य मन पर असर 


न रुक, न झुक 

न शोक मना, न पीछे मुड़ 

कर अपना संकल्प दृढ़ 

तू निरंतर आगे बढ़ता चल।


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