आभार बन मैं हवाओं में था
आभार बन मैं हवाओं में था


आभार बन मैं
हवाओं में था
अनहद नाद सुना
तो होगा सरे सांझ..??
परिंदों के परों में
मंजीरे के स्वरों में
गोधूलि की हलचल में
नदियों की कलकल में
बच्चों के जोश में
बड़ों की जयघोष में
आभार बन मैं
हवाओं में था
अनहद नाद सुना तो
होगा सरे सांझ...!