पड़ोसी
पड़ोसी


पड़ोसी भी अजीब है,कमाल करते हैं
सवाल पर सवाल ,सवाल पर सवाल करते है
कोई इनसे पूछे कि आप क्या काम करते है
कुछ नही बस, दूसरों के घर में झांकने का काम करते हैं।
हर एक पड़ोस में आपको शर्मा आंटी या बिटटू की मम्मी तो दिख ही जाएगी
जो घर के अंदर कम, बालकनी में ज्यादा नजर आएगी।
कभी- कभी तो गुस्सा आता है, इंडिया अमेरिका क्यों नही बन जाता है।
उफ! क्या बनाया, क्या खाया, क्या लाया, कहा से आया
गुस्से से उबलते नीटू को पड़ोसियों का महत्व तब समझ आया
जब अकेले रह रहे कुमार अंकल और आंटी के घर चोर घुस आया
उन्होंने झट से शोर मचाया, प्यारे पड़ोसियों ने उन्हें बचाया।
साईकिल चलाते डब्बू पर, घर -घर खेलती बच्चियों पर, गप्पे लड़ाती मम्मियों पर,
आते जाते हर इक शख्स पर, रहती है श्रीमती और श्री मिश्रा जी की नजर
करते है काम सी सी टीवी का मगर
सोनू जब पेट दर्द से चिल्लाया, पड़ोस वाली दादी ने झट से फोन मिलाया।
रजत का जब पार्सल आया,कोरियर वाला जोर से चिल्लाया
रजत बुखार में जैसे तैसे बाहर आया,
हालत खराब देख सोमू ने रजत को दवा दिलवाया।
देख इतना प्यार नीटू का मन भर आया
ये पड़ोसी है प्यारे, जो सबसे पहले है साथ हमारे
सुख भी इनसे,दुख भी इनसे
नहीं हमें विदेशी परंपरा को अपनाना
यू ही खिलखिलाता रहे मेरा पड़ोसी आशियाना