वहम का इलाज
वहम का इलाज
शर्मा जी ऑफिस से घर जा रहे थे। अचानक उनकी नजर एक युवती पे पड़ी जो सुबकती जा रही थी।
उसके पास एक बुजुर्ग बैठे हुए थे। बार-बार वो समझा रहे थे। पूछने पे ज्ञात हुआ- वो उस युवती के पिता थे। उस युवती के बाएँ कान का झुमका गिर गया था।
वो युवती अपने पति को लेने एयरपोर्ट जा रही थी। उस युवती को भ्रम था कि बाएँ कान के झुमके का गिरना, एक अपशगुन है।
शायद पति के साथ बुरा होने वाला है। शर्मा जी समझ गए कि युवती वहम की शिकार है। उन्होंने जाकर कहा- मैं ज्योतिषाचार्य हूँ।
फिर युवती को बताया कि दाएं कान का झुमका गिरना अपशगुन है, ना कि बाएँ कान का।
यह सुनते ही युवती के चेहरे पे मुस्कान आ गई। पिता और पुत्री ख़ुशी ख़ुशी आगे चल दिए। इधर शर्मा जी भी घर को चल पड़े। आज उनको ज्ञात हो चुका था कि वहम का इलाज वहम ही होता है।