मेरे पिताजी
मेरे पिताजी
बारिश आख़िर थक गई..मगर अपनी निशानी छोड़ गई..चारो ओर हरि चद्दर फैली हुई लगती थीं.आसमान एक दम साफ़ हो गया मालूम पड़ रहा लगता था.सूरज भी अहिस्ते अहिस्ते निकाल रहा था जैसे उसे भी सुस्ती लग रही थी..एक कोनेमै से कोयल चहक कर .शांत हो गयी ..! उस समय राजा अपने घर मै धीरे से आ गया.. मोहन उस समय घर की साफ सफाई में लगा हुआ था और एक गायन गुनगुना रहा था."शायद वो कबीर का ही होगा." और राजा के मुँह पैर एक हल्की सि मुस्कान आ गयी. मोह्न उसे देख् के चौंक गया.."आप?" राजा ने अपने मुँह उँगली रख के उसे चुप रहने को कहा. "आप चाइ पिओगे?' उसने अहिस्ते उसे पूछा. "बाद मे ,पापा कहा हे? मोहन ने उसे ऊपर उँगली का इशारा किया.'ओह अभी भी ऊपर है'..और बिना ही ज्यादा बात करने से रहा और ऊपर कि मंज़िल पर चल दिया.. उसने देखा उसके पापा कंप्यूटर के सामने बैठे थे.'इस खुश्नुमा मौसम का आंनद लेने के बजाय इस पागल के साथ बैठे है अब तक.!" और वो आहिस्ते से कमरे कि अन्दर घुसा.उसने पापको अहिस्ते से छुआ ..ओह..ए क्या..उनकी गरदन उसके हाथ पर लुद्द्क गयी..मोहन उसकी चीख सुन के अहा आ गया..उन्होंने दाक्तर को बुलाया मगर तब तक उनकी जान जां चुकी थी.. राजा एक ही संतान थी उनकी..जब राजा तीन साल का था तब ही देवीप्रसाद ने अपनी पत्नी खोइ थीं.और उन्होंने दूसरी शादी से माना कर दिया था.आज तो वो और राजा के सिआय कोई नही था उनके परिवार मे.. आज उनके जाने के भी पन्द्रह दिन बीत चुके थे..आज उसने कोम्पुतर के सामने बठा चाहा..उसने इंन्बोक्स मे देखा तो उसके ही सब मेल्स थे..और जब उसने ड्राफ्ट मे देखा तो वो चौंक गया..जबसे ओ गया था तबसे हररोज़ का एक मेल पड़ा हूँ था..उसमें उन्होंने अपनी तन्हाई कि बातें लिखी हुई थी..उसको याद आई पुरानी बातें. " तीन साल कि बात है फिर तुम और मे..तू अमेरिका जा के आ...फिर तो तेरे लिए एक सुंन्दर भविष्य..मेरी फिक्र मत कर हम रोज़ फोंन पर बातें करेंगे.तीन साल कहा चले जाएँ गे पता ही नही चलेगा. तू कंपनी कि लिए जां रहे हां ना..! उसके आँखों मे आँसू आ रहे थे जो रुकने का नाम नही ले रहे थे.! उसने मोहन को बताया," मा के किस्से बहुत सुनते हे ,उसके प्यार कि मगर ..मेरे पापा जैसे कौन होगा जिसने अपनी तन्हाईका जिक्र नही किया जिसे मुझे अपने काम में कुछ बाधाए आयें मेरा मन कामसे मेरा मन विचलित हो जाएँ..! मुझे तीन ओर साल वहा रुकने को कहं रही है..सोचा पापा को एक सरप्राइज़ दु. मे उन्हें लेने आया .मगर यहां तो उन्होंने ही मुझे..! और वो छोटे बच्चे कि तरह बिलख बिलख कर रोने लगा..!