Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sabira Mallick

Drama Inspirational

4.9  

Sabira Mallick

Drama Inspirational

मैं कर सकती हूँ

मैं कर सकती हूँ

9 mins
1.6K


"ख्याति मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा। हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जोड़ी होंगे।" आज भी प्रथम के ये शब्द उसके कानों में गूंजते थे।

शादी को पाँच साल बीत चुके थे। अपने परिवार के लिए ख्याति ने नौकरी छोड़ दी थी और पूरी तरह एक गृहणी बन गयी थी। फिर उनका बेटा नक़्श पैदा हुआ तो वो और भी ज्यादा घुल गयी घर के कामों में पर हमेशा से ही वो एक स्वावलंबी लड़की रहना चाहती थी।

उसने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था "निफ्ड" से और "एंड" लेबल में काम भी किया करती थी।

अब मध्यम वर्ग संस्कार ही थे जो ज्यादा तवज्जो घर को देते हैं, शादी के बाद तो उसने भी वैसा ही किया, खुद को समर्पित कर दिया घर के लिए।

आज नक्श का दूसरा जन्मदिन था। वो सुबह से केक बनाने में लगी हुई थी और पूरी तैयारियों में। शाम को भव्य आयोजन था। प्रथम भी उस दिन जल्दी आ गए थे घर पे। उनकी छोटी बहिन पाखी जो की कक्षा बारह में पढ़ती थी ख्याति से बहुत प्यार करती थी और उसे छोटी बहिन सा प्यार ही देती थी।

उसने उसके लिए काफी अच्छी पोशाक बनायी थी।

"वाह पाखी ! बहुत सुन्दर लग रही हो इस पोशाक में "प्रथम ने कहा।

ख्याति बहुत खुश हुई प्रथम की प्रशंसा पाकर।

"भाभी ने बनायी है।" पाखी ने ख़ुशी से कहा।

"ख्याति..ख्याति ने बनाया।" और वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा।

उसे बहुत बुरा लगा। वह रोने ही वाली थी की पाखी ने कहा- "भैया आप हँस क्यों रहे हो ? भाभी ने एंड लेबल में काम किया है। बस हमारे परिवार के लिए छोड़ा वो सब।"

"छोटी तू ज्यादा बकबक मत कर। उसने अपनी मर्ज़ी से किया था ये।" उसने उसे डांटा।

हाँ उसकी मर्ज़ी थी वो और अब वो वापस काम करना चाहती थी। ये भी उसकी मर्ज़ी थी। पर शायद शादी के बाद प्रथम को उसकी मर्ज़ी जानने की जरुरत ही नहीं पड़ी थी।

ख्याति ने कई बार कोशिश की थी प्रथम से इस बारे में बात करने की पर वो हमेशा उसने ये कह कर चुप करा दिया- "घर पे रहो मुश्किल क्या है..नक़्श है न तुम्हारा दिल बहलाने के लिए।"

वो कभी समझ ही नहीं पाया था की ख्याति मन बहलाने के लिए नहीं बल्कि अपनी कला को उभारने और आत्मनिर्भर बनने के लिए काम करना चाहती थी।

आज जब उसकी मेहनत पर प्रथम ने खिल्ली उड़ाई तो उसे बहुत बुरा लगा। उसने ठान लिया की वो इस बारे में प्रथम से रात में बात करेगी। रात के ग्यारह बजे थे। सारा काम निपटा कर वो अपने कमरे में गयी तो प्रथम कुछ ऑफिस का काम कर रहे थे। उसने स्नान किया और नाईट गाउन पहन कर अपने बिस्तर पर लेटने आयी। नक्श पहले ही सो चुका था।

"प्रथम मुझे आपसे बात करनी है।" उसने कहा।

'अभी नहीं मैं बहुत बिजी हूँ।" उसने जवाब दिया।

"तो मेरे पास कौन सा वक़्त रहता है, मैं भी बिजी ही रहती हूँ।" उसने चिड़चड़ाते हुए कहा।

प्रथम हैरान था। उसने कभी ऐसा नहीं किया था। वो उठकर उसके पास गया और कहा- "बोलो क्या बात है ?"

“मुझे आज बहुत बुरा लगा।" उसने साफ़-साफ़ कहा।

"बुरा ? किस बात का बुरा लगा।" उसने आश्चर्य से पूछा।

"हाँ, आपसे पाखी ने जब कहा की उसकी ड्रेस मैंने बनायीं तो आप हँसने क्यों लगे ? क्या आप भूल गए कि मैं एक प्रोफेशनल डिज़ाइनर हूँ।" उसकी आँखों में आँसू थे।

"इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है ? वैसे भी तुम डिज़ाइनर थी..अभी नहीं हो।" उसने सादगी से कहा।

ख्याति का गुस्सा सातवें आसमान पे चढ़ गया।

"मतलब क्या है आपका ? मैं डिज़ाइनर थी और हमेशा डिज़ाइनर रहूंगी। मैंने अपने परिवार के लिए अपना करियर छोड़ा था।" उसने गुस्से से कहा।

प्रथम को भी गुस्सा आ गया- "तो वो तुम्हारी अपनी मर्ज़ी थी। न मैंने ना मेरे घर वालों ने तुम्हें कभी मजबूर किया था नौकरी छोड़ने को, तो ज्यादा मेरे मथे मत मढ़ो तुम।" उसने चिल्लाते हुए कहा।

"हाँ, अपनी मर्ज़ी से छोड़ा था और अब अपनी मर्ज़ी से वापस ज्वाइन करना चाहती हूँ। तुमसे मैंने कहा भी तो तुम्हारा रवैया अलग ही था।" उसने भी ऊंचे स्वर में कहा।

"सबसे पहले चिल्लाना बंद करो तुम। भूलो मत की मैं तुम्हारा पति हूँ। अपनी हद में रहो और मेरी इज़्ज़त करो। समझी तुम।" उसने उसकी तरफ घूरते हुए कहा।

ख्याति उसके इस रूप को पहली बार देख रही थी। यूँ तो शादी के बाद उसे प्रथम के सारे वादे झूठे लगने ही लगे थे पर आज उसने बची हुई आस भी ख़त्म कर दी।

"इज़्ज़त...ज़रूर मिलेगी...जब चाहिए तो देनी भी पड़ती है। मैं भी तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ..तुम्हारी केयरटेकर नहीं।" उसने भी जवाब दिया।

प्रथम भी स्तब्ध था। उनसे भी पहले कभी उसका ये रूप नहीं देखा था।

"तुम चाहती क्या हो। अपना घर छोड़कर, बच्चे को छोड़ कर नौकरी करो, पैसे कमाओ और उसकी फ़िज़ूल खर्च करो ?' उसने कहा।

ख्याति की आँखों में आंसू थे। उसने कभी नहीं सोचा था की उसके त्याग को, उसके आत्मनिर्भर होने को पैसों में तोला जायेगा।

"तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे प्रथम। तुम्हारा वो वादा की हम दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ जोड़ी होंगे सब खोखले थे" उसने रोते हुए कहा।

"वो सब शादी से पहले की बातें हैं, जवानी के जोश में बोला था। तुम भी क्या पकड़ कर बैठी हो ?" उसने झल्लाते हए कहा।

'तुम्हारे उन्हीं वादों की वजह से मैंने अपनी सारी ज़िन्दगी.. सारी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम कर दी और तुम कहते हो की जवानी के जोश में कहा था।" उसने हैरान होकर पूछा।

"उफ़ ! तुम भी ख्याति, थोड़ी प्रैक्टिकल बनो, हमारा एक बच्चा है। उसकी देख भाल करनी है। वैसे भी तुम क्या कर सकती हो अभी ज़रा बताओ ?" उसने प्रश्न किया।

" बच्चे की ज़िम्मेदारी मेरे अकेल की नहीं है तुम भी बराबर के ज़िम्मेदार हो और रही बात की क्या कर सकती हूँ तो मैं बहुत कुछ कर सकती हूँ। पहले भी किया है और अब भी कर सकती हूँ।" उसने उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा।

तभी नक्श भी नींद से जाग गया।

"मम्मी मम्मी" कह कर वो रोने लगा ख्याति दौड़ कर उसके पास गयी।

"बस यही कर सकती हो तुम। चुपचाप घर बैठो और इसका ध्यान दो।" और वो वापस चला गया अपना काम करने।

ख्याति ने मन में ठान लिया की अब वो कुछ कर के ही रहेगी। उसे प्रथम को दिखाना था की वो क्या-क्या कर सकती है। "शीतल मैं वो जॉब ऑफर एक्सेप्ट करना चाहती हूँ फ्रीलांसर वाला" ख्याति अपनी एक पुरानी सहकर्मी से बात कर रही थी।

शीतल उसके ऑफिस की सहकर्मी थी जिसने उसे सुझाया था की वो घर से फ्रीलांसिंग का काम कर सकती है।

ख्याति ने सोचा शुरुआत तो अच्छी है। इस तरह वो नक्श का ध्यान भी दे पायेगी और कुछ काम भी कर लेगी।

खैर पैसे से ज्यादा वो चाहती थी इसे लोगों की सराहना मिले जो की अभी उसे कोई देता नहीं था।

प्रथम ऑफिस चले गए। पाखी भी स्कूल चली गयी।

माजी और बाबू जी उसकी देवरानी के घर गए हुए थे। करीब एक महीना रहने वाले थे वहाँ।

तो उसके पास अच्छा मौका था की अपना खली वक़्त अच्छे से बिता सकती थी वो।

उसने फ्रीलांसर की नौकरी स्वीकार कर ली और कुछ ही दिनों में उसके डिज़ाइन काफी पसन्द आने लगे और एक फैशन शो में उसके डिज़ाइन किये कपडे इस्तेमाल होने वाले थे।

उसका मन तो बहुत था जाने का पर वो जा नहीं पायी।

फैशन शो के बाद कॉल आया शीतल का। वो काफी उत्साहित थी।

"ख्याति तूने मिस कर दिया...तेरे डिज़ाइन देख कर तो सब पागल हो गए।"

उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। आज कई सालों बाद उसे खुद पे गर्व महसूस हो रहा था। उसे ये लग रहा था की वो कुछ कर सकती है।

"देखा प्रथम मैंने कहा था न मैं कर सकती हूँ।" उसने खुद से कहा।

“अब तो तू फुल टाइम वर्क फ्रॉम होम के लिए बात कर।" शीतल ने सुझाया।

"क्या सच में ये हो सकता है।" उसने ख़ुशी से पूछा।

"हाँ यार एक बार बात तो कर बॉस से " उसने बोला।

उससे पहले उसने सोचा की प्रथम को बताना होगा। पर ज़रुरत क्या है ?" उसका दिमाग कह रहा था।

"क्या वो समझेगा ? वैसे भी अभी तो कोई है नहीं नज़र रखने को एक महीने कर के देखती हूँ।" उसने मन ही मन सोचा।

"ठीक है मैं कल ही बात करती हूँ।" उसने मुस्कुराते हुए कहा।

वो गुम हो गयी अपने सपनों की दुनिया में, "मुझे मेरे काम से पहचाना जायेगा न की सिर्फ एक गृहणी की तरह।" उसने खुद से कहा और जुट गयी अपने कामों में।

ख्याति ने बॉस से बात की और उसे घर से काम करने की इजाज़त मिल गयी।

अब वो अपना सारा घर का काम निपटा कर नए काम पे ध्यान देती। शुरुआत में थोड़ी मुश्किल हुई पर एक हफ्ते में सब कुछ अपनी जगह पे पहुँच गया।

नक्श ने भी काफी साथ दिया उसका। अपने नए समय पे उसका काम कर रही थी वो। वो काफी खुश थी की उसका बेटा उसका इतना साथ दे रहा था। बार-बार वो भगवन का शुक्रिया अदा करती।

उसके काम की बहुत तारीफ होती और उसके ऑफिस वाले काफी खुश थे उसके काम से।

ख्याति के सपनों को मानो उड़ान मिल चुकी थी। अब वो रुकने वाली कहाँ थी।

"ख्याति तुम बेमुसाल हो।" उसकी सहेली शीतल ने उसे कहा।

"तेरी जितनी तारीफ करें काम हैं। क्या डिज़ाइन हैं, क्या क्रिएटिविटी है..बहुत खूब। तुम्हे "स्टार ऑफ़ द मंथ" पुरस्कार से नवाज़ा गया है।" उसने उसे बताया।

उसे तो मनो यक़ीन नहीं हो रहा था कहाँ प्रथम ने उसे कहा था की वो क्या कर सकती है और आज उसे ये पुरस्कार मिला था।

"देखा प्रथम मैंने कहा था न मैं कर सकती हूँ" उसने खुद से कहा।

वो बहुत खुश थी और उसने खाने में सारी अपनी मनपसंद चीज़ें बनायीं।

प्रथम शाम में आठ बजे घर वापस आये। पाखी भी अपनी ट्यूशन क्लासेज ख़तम कर के आ गयी थी।

"वाह भाभी क्या बात है ? सब स्पेशल बनाया है आपने।" पाखी ने उससे पूछा

"हाँ ख़ुशी की बात तो है। आज तुम लोगों से एक खुश खबरी साझा करनी है।" उसने गर्व से कहा।

"अच्छा क्या खुशखबरी है" स्टार ऑफ़ थे मंथ " प्रथम ने बिना भाव के पूछा।

ख्याति बिलकुल स्तब्ध थी। वो यही सोच रही थी उसे कैसे मालूम हुआ।

"तुम्हें किसने बोला ? कैसे पता ?" उसने जिज्ञासा से पूछा।

वो उसके पास गया, उसका हाथ अपने हाथ में लिया कर कहा, "मैं तुम्हें ज़िन्दगी की सारी खुशियां दूंगा यही वादा किया था न मैंने। मुझे मालूम है तुम सिर्फ घरेलु काम कर के खुश नहीं थी। तुम्हें अपनी एक पहचान चाहिए थी। तो मैंने ही तुम्हारी कंपनी में बात किया ये फ्रीलांसर वाले जॉब के लिए। शीतल को साझा किया खुद के साथ और तुम्हें जानबूझ कर भला बुरा कहा ताकि तुम अपने आत्मा सम्मान के लिए कुछ करो। और मैं सही था। तुमने ये किया और मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूँ तुम पे।" उसे गले लगा लिया।

ख्याति निशब्द थी. खुद को कोस रही थी की उसने प्रथम के प्यार पे शक किया।

"मुझे माफ़ कर दो प्रथम।" उसने रोते हुए बोला।

"अरे ये माफ़ी मांगने का नहीं बल्कि जश्न मानाने का वक़्त है और उसने दरवाज़ा खोला और उसके कुछ सहकर्मी खड़े थे एक बहुत बड़ा सा केक लेकर "बधाई हो" वो चिल्लाते हुए अंदर आए।

ख्याति की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

शीतल उसके पास गयी और कहा- "तुम भाग्यशाली हो जो तुम्हें इतना सपोर्ट करने वाले पति मिले हैं।

"हाँ वो तो है" कह कर वो प्रथम की तरफ प्यार से देखने लगी।

सच ही तो है अगर आपका जीवनसाथी आपके साथ हो तो आप कोई भी मंज़िल पा सकते है। बस खुद पे यक़ीन और अपनों का साथ चाहिए होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama