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मिड डे मील

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माधव एक मजदूर था दिन भर मज़दूरी करके भी दो वक्त की रोटी बच्चियों के लिए जुटा पाना उसके लिए कठिन होता था पत्नी मालती का देहांत भी इलाज की कमी के कारण दो वर्ष पूर्व हो चुका था। उसे हर वक़्त अपनी बच्चियों की चिन्ता लगी रहती थी दो प्यारी सी बेटियों के सिवा उसकी ज़िन्दगी में कुछ नही था। बहुत स्नेह करता था वह उन्हें। एक दिन उसके मजदूर मित्रों ने उसे दोनों बच्चियों को सरकारी स्कूल में डालने की सलाह दी। जिससे दोपहर में उनको मुफ़्त खाना मिल जाए पहले तो माधव का दिल नही माना बच्चियों को एक पल भी दूर नही करता था वह। फिर मुफ्त शिक्षा के साथ खाना भी मिलेगा सोचकर वह मान गया। सोचने लगा क्या पता पढ़ लिख कर मेरी बेटियाँ स्कूल की मैडम जैसी बन जाए। बच्चियों के लिए सुनहरा भविष्य व भोजन की व्यवस्था दोनों ही देखकर उसने दोनों को स्कूल भेज दिया।बच्चियाँ भी बहुत खुश थी स्कूल जाकर।बहुत जल्दी दोनों काफी कुछ सीख गई थी। माधव जब उन्हें पढाई की बाते करते सुनता तो बड़ा गर्व करता। वह अक्सर बोलता मेरी कुसुम बिटियाँ मैडम बनेगी और चंदा बिटियाँ अफ़सर।

एक दिन जब वह काम में था। तो दूर से शोर सुनकर वह वहाँ भागा। पूछने पर पता चला गाँव के स्कूल में दोपहर के भोजन के बाद बच्चों की तबीयत खराब होने लगी हैं, बच्चों को अस्पताल ले जा रहे हैं। एक दो बच्चों की मृत्यु भी हो गई है कई गंभीर है। माधव के तो जैसे होश ही उड़ गए। उसकी फूल सी बच्चियों का क्या हुआ होगा यह सोचकर उसकी आँखे भीग आई। सीधा अस्पताल पहुँचा सभी बच्चों का इलाज चल रहा था। तभी उसकी नज़र अपनी दोनों बच्चियों पर पड़ी दोनों स्वस्थ थी सभी बोल रहे थे माधव तेरी बेटियों ने खाना नही खाया इसीलिए बच गई। माधव नें दोनो के सीने से लगा लिया। भगवान ने तुम दोनों को बचा लिया चलो पहले मंदिर जाएंगे। अच्छा एक बात बताओ तुमने खाना क्यों नही खाया। कुछ झिझक कर चंदा बोली बापू हमने तुम्हें दो दिन से रात में खाना खाते नही देखा। तो हमने सोचा आज जो खाना हमें मिलेगा वो हम तुम्हारे लिए ले आयेगे इसीलिए वह खाना हमने बस्ते में छुपा लिया था। यह सुनकर उसकी आँखे भर गई दोनों को सीने से लगाकर बोला जुग-जुग जियों मेरी बच्चियों अब मैं और मेहनत करूँगा कोई ज़रूरत नही तुम्हें स्कूल जाने की। तभी दोनों बच्चियाँ माधव के आँसू पोछते हुए बोली नही बापू हमको स्कूल जाना हैं।और चंदा गर्व भरी आवाज़ मे बोली, और मोको अफ़सर भी तो बनना है बापू।माधव हस दिया।


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