मेरा या अपना??
मेरा या अपना??
"आज की ताज़ा ख़बर!"
"आज की ताज़ा ख़बर!"
हर अखबार में यही खबर। मैं भी उत्सुक था ये जानने को ऐसी क्या ख़बर थी। आखिर सुशांत सिंह राजपूत तो मेरे प्रिय अभिनेता है।चट से मैं भी एक अखबार खरीद लिया। मुझे जानना था कि ऐसी भी क्या ख़बर थी।कल ही मैंने अखबार पढा था कि सुशांत सिंह एक नया फिल्म साइन किए थे जिसका नाम था 'चंदामामा दूर के '।
अरे ये क्या....अखबार में लिखा है, "सुशांत सिंह ने खरीदा चन्द्र भूमी का एक टुकड़ा। और यह जगह चन्द्रमा के दूर की ओर, 'मूस मस्कोविएन्स' नामक क्षेत्र में, या 'सी ऑफ मस्कॉवी' में है।"
मैं आश्चर्चकित था कि ऐसे कैसे कोई चांद खरीद सकेगा। हालाकि सुशांत सिंह मुझे बहुत पसंद है और मैं ये भी जानता था कि उन्हें आसमान और तारे देखने का बहुत शौक है। मैंने यह भी सुना है कि उनको अंतरिक्ष और गैलेक्सी में काफी दिलचसपी थी जिसे वे अपने टेलीस्कोप से देखते है।
"बड़े लोग, बड़ी सोच!" करके मैं इस बात को छोड़ दिया।
अगले हफ्ते, सुशांत फिर से खबरों में थे। कुछ अन्य लोगों को भी यही संदेह था कि कोई भी चंद्रमा का एक हिस्सा खरीदने का दावा कैसे कर सकता है?
प्रदीप नाम का एक आदमी, इसे अदालत में लड़ने का फैसला किया। इसलिए वह अकबर के दरबार में गया। उन्होंने अकबर को अपना विवाद समझाया। अकबर के साथ दरबार के सभी मंत्रियों को रहस्यमयी ठहराया गया था क्योंकि वे अब तक इस तरह के किसी मामले में नहीं आए थे।
और वो परेशान थे कि वे अब क्या करें।
अकबर अपने चहीते बीरबल से पूछा, "क्या बीरबल, इस बार तुम्हारे पास क्या सुझाव है? हम इसे कैसे सुलझाएं?"
बीरबल ने जवाब दिया, "जहानपना, कल हम इस समस्या का समाधान करेंगे। कृपया मुझे अभी जाने की अनुमति दें क्योंकि मुझे इसके लिए तैयारी करनी है।"
बीरबल उनका अनुरोध मंजूर कर लिया और फिर अदालत से चले गए।
अगले दिन, बीरबल एक अन्य व्यक्ति के साथ महल में आए। दोनों किसी बात को लेकर बहस कर रहे थे।
अकबर ने पूछा, "बीरबल, यह सब क्या है? यह तुम्हारे साथ कौन है जिसके साथ तुम बहस कर रहे हो और क्यों?"
बीरबल ने जवाब दिया, "जहानपना, कृपया मुझे क्षमा करें। यह आदमी ने मेरी हवा चुरा ली है। इसीलिए मैं उसके साथ बहस कर रहा हूं।"
अकबर ज़ोर ज़ोर से हसने लगे और कहा, "तुम कैसी मज़ाक कर रहे हो। ऐसे कैसे कोई भी किसी की हवा चुरा सकता है?"
बीरबल ने कहा, "क्यूं नहीं ले सकते? इसने मेरे हिस्से के हवा को सांस लेने के लिए इस्तेमाल किया। ये कैसी जुर्रत है इसकी? मैं इसे उसे मुझे वापस करने के लिए कह रहा हूं। बस।"
अकबर ने फिर कहा, " अरे, पर हवा तो सबका होता है। प्रकृति सभी के लिए है। कोई भी उसपे दावा नहीं कर सकता हैं।"
तभी बीरबल ने जवाब दिया, "माफ़ करना जहानपना, जब कोई चांद का एक हिस्सा अपना बना सकता है तो हवा क्यूं नहीं? बस यहीं बात मेरी समझ के बाहर है।"
अब, अकबर को बात समझी। वह समझ गया कि बीरबल क्या समझाने की कोशिश कर रहा था।अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम बिलकुल सही कह रहे हो, प्रिय बीरबल। प्रकृति की ही तरह, चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी स्थान पूरे मानव जाति की सामान्य विरासत हैं। उन किसी पर भी कोई आदमी या राष्ट्र के स्वामित्व में नहीं हो सकते हैं।"
"और इसीलिए प्रदीप अपनी बात पे सही था। सुशांत सिंह राजपूत चांद पर कोई जमीन नहीं खरीद सकता। और अगर सुशांत कहता है कि उसने किसी 'अंतर्राष्ट्रीय चंद्र भूमि रजिस्ट्री' से यह चांद का टुकड़ा करीडा, तो ये ग़लत है। चांद हर किसी का था, है, और हमेशा रहेगा।'
, हमारे सम्राट अकबर द्वारा लिए गए इस फैसले को सुनके....
.....अब मैं क्या बोलूं ????