Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अंधेरे के भेड़िये

अंधेरे के भेड़िये

2 mins
1.2K


गाँव की बस आने में समय था अभी, बस स्टैंड के बैंच पर बैठी मैं कभी ठेले वाले तो कभी गंगानगर गंगानगर, अबोहर अबोहर चिल्लाते बस कंडेक्टरो को देख रही थी ! सूरज ढलने को आतुर अपने घर की तरफ सरपट दौड़ रहा था ! मैं मन ही मन सोच रही थी, घर पहुँचूँगी, इतने में सूरज ढल जायेगा। सूरज डूबने पर घर लौटती लड़कियों को गाँव के लोग कुछ और गहरी नजरों से ताकने लगते हैं, कितनी आंखें कितने सवाल मुझसे टकराते महसूस हो रहे थे।

डबवाली डबवाली चिल्लाने की आवाज आई तो ध्यान टूट गया। देखा पास में 12-13 साल की लड़की, मासूम सा चेहरा लिए खड़ी है, जिस पर मिट्टी और मेल के धब्बे ऐसे पडे़ हैं जैसे किसी चित्रकार ने मटमेले रंग से भरा ब्रश कैनवास पर फैंक दिया हो। पाँच रूपये माँगती वो लड़की बिल्कुल पास आ गई।

मैंने कहा- 'क्या करोगी पाँच रूपये का ?

जवाब मिला- ऑटो करके घर जाऊँगी।

घर कहाँ है ?

अनाज मंडी होती है ना, जहाँ दाने आते हैं बेचने के लिए, वो बड़ी सी बनी होती है।

हाथों के इशारो से बडे का आकार बनाती वो आगे बोलती उससे पहले मैंने दूसरा सवाल दाग दिया-

कौन-कौन है वहाँ ?

दादी है, उसको दिखता नहीं है, तो मुझे कहती है, खाने को लाकर दे, तो पैसे माँगती हूँ। आज 20 रुपये है, रोटी ले जाऊँगी इससे, तो पाँच रूपये दे दे ना, ऑटो से घर जाऊँगी, दे ना ए दीदी ...

हर सवाल का जवाब विस्तार से दे रही थी, मैं समझ गई थी बातुनी है !

मैंने फिर सवाल किया- मम्मी-पापा कहाँ है ?

वो सीकर गये हैं, हमारा गाँव है वहाँ, पान मैथी लाने, हम बेचते हैं यहाँ, पान मैथी गाड़ियों में।

मुझे मजा आने लगा था उसकी बातों में पर बैचेनी से हाथों को मरोड़ती वो जल्दी में लगी।

मैंने कहा- घर जाने की जल्दी है ?

हाँ दीदी, देख ना अंधेरा हो रहा है, दे दे ना पाँच रूपये, मुझे डर लगता है।

अंधेरे से डरती हो ?

चेहरे पर गंभीरता लाती बोली- अंधेरे के भेड़ियों से डरती हूँ दीदी, वो पकड़ लेते हैं।

उसकी आँखों में उतर आये भय ने भीतर तक हिला दिया मुझे, अंधेरे के भेड़िये कौन होते हैं, पूछने का साहस ना कर सकी, दस रुपये उसके हाथ में देकर उसे ऑटो में बैठाने उसके साथ चल पड़ी पर 'अंधेरे के भेड़िये' जेहन में गूंजता रहा !


Rate this content
Log in

More hindi story from प्रियंका भारद्वज

Similar hindi story from Drama