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Saumya Singh

Drama Inspirational

5.0  

Saumya Singh

Drama Inspirational

माँ की चिंता

माँ की चिंता

4 mins
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एक गांव था जिसमें एक बहुत प्रसिद्ध घर था। उस गांव का बच्चा-बच्चा उस प्रसिद्ध घर को जानता था। उस घर में चार भाई रहते थे। वे चारों भाई काफी समझदार थे। उनकी कोई आदत बुरी नहीं थी। वे सभी बहुत सम्मान से जीते थे क्योंकि उन चारों का व्यवहार ही ऐसा था कि गांव के सभी लोग उनके बहुत प्रिय थे।

उन लोगों के किसी भी बात को पंचायत तक नहीं टाल पाती थी क्योंकि उनकी बातों से ही सभी मोहित हो जाते थे। वे कभी किसी का बुरा न करते थे न ही होने देते थे। वे बहुत समझदार थे।

चारों अपना-अपना काम करते थे और ख़ुशी-ख़ुशी सभी साथ रहते थे। उन चारों भाइयों के सम्मान और प्यार से माता-पिता बहुत ही ख़ुश थे। वे कभी झगड़ा नहीं करते थे। सब अच्छे से चल रहा था। एक दिन माँ अपने बेटों से बोली- बेटा, तुम्हारे पापा और मैं सोच रहे थे की तुम लोगों की शादी हो जाये। हमें बहुत अच्छा लगेगा अगर तुम लोग हमारी बात मानो।

वे माँ की बातों को टाल नहीं सकते थे। उन्होंने बोला- ठीक है माँ, जो आपको अच्छा लगे। माँ बहुत ख़ुश हुई। माँ ने गांव में सभी लोगों को कह दिया, उनके बेटों के लिए अच्छी सी लड़कियाँ ढूंढने के लिए। सारे गाँव के लोग खुश थे। सभी अपने-अपने स्तर पर कोशिश करने लगे। बहुत सारी लड़कियाँ आयी। माँ ने कुछ को बेटों से भी मिलवाया। फिर बात बन गयी और अब उन लोगों की शादी होने का दिन आ गया। शादी बड़ी धूमधाम से हुई।

माँ बहुत ख़ुश थी। चारों भाई अपनी-अपनी जिंदगी में काफी व्यस्त हो गए। उन चारों भाइयों में दूरियाँ आ गई थी।

उन्हें एक-दूसरे से बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था। वे काफी अलग-अलग से रहने लगे थे। माँ यह सब देख कर काफी दुखी रहने लगी लेकिन कुछ दिनों बाद ही उन सभी लोगों की छुट्टियाँ शुरू हुई तब सभी ने कहीं एक साथ घूमने जाने का सोचा। सभी घूम कर आये। फिर सब ठीक था। माँ को ऐसा लगा पुराने दिन आ गए हो। फिर सभी अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए।

फिर चारों भाइयों को बात तक करने की फ़ुरसत नहीं थी। माँ यह सब देख कर फिर से दुखी रहने लगी और माँ ने सोचकर कहा- कहीं घूम कर आती हूँ।

माँ अपनी बहन के घर घूमने चले गई। वहाँ पहुँचने के बाद उसने अपनी बहन को सारी बात बताई। उसकी बहन ने बोला- ठीक, कुछ दिन यहाँ रहो, फिर इसका जवाब दूँगी। कुछ दिन वहाँ रहने के बाद वो अपनी सारी दुख और चिंता को भूल गई थी और बहन की बेटी के साथ बहुत ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगी थी। वे दोनों इतना ज्यादा समय साथ बिताने लगे थे की उसे उससे बहुत लगाव हो गया था। उसने अपनी बहन को बोला कि मैं कुछ दिन इसे अपने घर ले जाऊँ। बहन मान गयी, फिर बोली- ठीक है ले जाओ।

अब वे दोनों घर आ गई। घर आने के बाद भी वह बहन की बेटी के साथ दिन भर रहती और अपने बेटों के बीच क्या चल रहा था उस बात से उसका ध्यान ही हट गया। कुछ दिनों बाद उसकी बहन ने बोला- बेटी को वापस भेजने को तो वह उसको लेकर वापस बहन के घर आई। जब वे लोग घर आये तो बहन ने पूछा- बेटों का क्या हाल है, कैसे है सभी, अभी भी उन लोगों के बीच वही चल रहा है क्या।

तब माँ ने थोड़ा सोचा, फिर बोली- मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया उन लोगों के बीच क्या चल रहा है। मैं तो इसके साथ ही हँसती-खेलती रह जाती थी। यह सुन कर बहन ने बोला- बस जो तूने उस दिन कहा था उसका जवाब यही है कि जब किसी भी इंसान के जीवन में नए लोग आते हैं तो वह पुराने लोगों पर ध्यान नहीं देते हैं लेकिन ऐसा नहीं कि तुम्हें कभी भी उनकी चिंता नहीं होगी।

बस, कुछ समय के लिए ही ऐसा होता है। देखना उन लोगों के बीच भी सब ठीक हो जायेगा और सभी फिर से ख़ुशी ख़ुशी साथ रहने लगेंगे, इसीलिए उन लोगों की ज्यादा चिंता मत करो। वे बहुत समझदार है।

सीख:- "जब इंसान के जीवन में कुछ नया होता है तो वो कुछ समय के लिए पुरानी चीज़ों को भूल जाता है, हमेशा के लिए नहीं।"


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