रफ्फ़ू
रफ्फ़ू
सरोज आँगन में बैठी सुबक रही थी ,चट्टेदार चर्मरोग से शरीर जल रहा था कुंठा और घृणा घर करने लगी थी।
उसपर महुआ की शादी के लिए सिलवाया रेशमी ब्लाउज़ चूहा कुतर गया था ,अम्मा ने पास आकर पुचकारते हुए कहा
“जीवन इस रेशमी ब्लाउज की तरह है" फिर रुक कर बोलीं
"हमेशा लगता है की यह सुन्दर दिखे पर कभी कभी चूहे कुतर जाते है इसे". सरोज को उठाते हुए बोलीं
"इसका मतलब यह नहीं की ब्लाउज की चमक फीकी रह गई ,जाके सुई धागा ले आ मैं रफ्फू किये देती हूँ “
सरोज मुस्कुराते हुए अंदर दौड़ी
अम्मा ने आज ब्लाउज से ज्यादा, कई चीज़ें रफ्फ़ू कर दी