मंच पर घबराने का मज़ेदार अनुभव
मंच पर घबराने का मज़ेदार अनुभव
कभी कभी आप बहुत तैयारी करते है मंच में सबके सामने बोलने की पर जैसे ही मंच पर जाते है ना जाने ऐसा क्या हो जाता है कि सब कुछ जानते हुए भी मुख से आवाज़ जैसे गायब हो जाती है और हाथ पैर दर के मारे कांपने लगते है, ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ था जब मैंने 10वी में वार्षिक वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने वक्त तो जी तोड़ मेहनत की परंतु जैसे ही मंच पर पहुंची मेरी हवाइयां उड़द गयी इस लगा मानो स्लेट पर लिखे हुए शबदों पर किसी ने गीला कपड़ा फेर दिया हो,आज का विषय है...बस इसके बाद कुछ याद ही नही आया कि क्या बूलना है और धन्यवाद बोल के नीचे उतार गयी । सारे शिक्षको और बच्चो की निगाहें मुझ पर ही थी क्योंकि सबसे ज़्यादा बक बक करने वाली लड़की एक दम से शांत जो हो गयी थी।मुझे समझ नही आ रहा था कि ये भूल इतनी मेहनत करने के बाद भी क्यों हुई जबकि मैन हर एक पंक्ति को रट्टू टोटे की तरह रात लिया था फिर मुझे मेरी हिंदी शिक्षिका ने समझाया कि बस रत्न ही सबसे बड़ी भूल है बचपन से हैम हर चीज़ रटते ही आ रहे है जिसके कारण हैम सफलता के नज़दीक हो कर भी उससे दूर हो जाते है।मेरे लिए ये एक असफलता का अनुभव था जिससे मैंने सीख ली और अगली बार कही पर बोलने जाने से पहले जिस विषय पर बोलना है उस विषय की पूरी जानकारी ली फिर ही बोलने गयी और उस दिन के बाद से भगवान की दया और हिंदी की अध्यापिका की मुझे एक अच्छी वकता बनाने की लगन के कारण मुझे ऐसी बेज़्ज़ती का सामना दुबार नही करना पड़ा एयर मेरा मंच पर बोलने का डर हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।