मुक्ति
मुक्ति
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मौन होकर जब कोई
मुक्ति की तरफ होता है।
जीवन के सारे अनुभव
तब वह समेट रहा होता हैं।
दुख दर्द की फिक्र
जब नहीं होती हैं।
किसने सही किया
किसने गलत किया
इन उलझनों में जो नहीं पड़ता
असल में वह
ईश्वर में शरणागत होता है।
किसी के दर्द से जब
मन विचलित हो जाए
हर किसी की मदद के लिए
हाथ खुद-ब-खुद बढ़ जाए
तो नीले आसमान को देखकर
आंखों में नींर भर कर उस
परम सत्ता को धन्यवाद कर
यह महसूस करना, कि तुममें
भी अभी खुद ईश्वर रहता है।।