तलाश
तलाश
गुजरे उन लम्हों की फिर से तलाश है
उन उजली सी किरणों सा फिर उमड़ा ज़ज्बात है
जी तो रहे है तेरे बिना भी खुशी से हम,
फिर ना जाने मन में दफन कोई ख़राश है,
क्यों साहिल पर होकर भी डूबने का एहसास है।
गुजरे उन लम्हों की फिर से तलाश है।।
बेचैन सा तुझे ढूँढता, छेड़ता बस यही साज है,
की काश पानी की एक बूँद का एक कतरा तो मिले।
इस जलते दरिया में आस का एक जरिया तो मिले,
इस तपती सी जमीन पर पलाश की आग तो जले।
पर दस्तक सी देकर फिर न लौटना,
ये तेरा ही अंदाज है।।
गुजरे...
तेरे लिए बेखुदी में टूटना ये हमारा एक राज है।
कोरे से जिंदगी के इन पन्नों को
बस तेरे ही रंगो से भरने की चाहत,
जिंदा होने का एहसास है।
पल भर को भी उस मुस्कुराहट का नसीब होना
बहुत खास है।