बारिश
बारिश
रात भर क्यों सताता बारीश में !
कोई क्यों याद आता बारीश में !
दिल की हर नस मे बस गया तो फिर,
आंख से क्यूँ वो टपकता बारीश में !
जिसको भीगो दीया है आंसु ने,
अब वो क्यूँ खोले छाता बारीश में !
हर तरफ है उदासी का दलदल,
घर से कैसे निकलता बारीश में !
जलती है हरेक बूंद से यादे,
एक धुंआसा उठता बारीश में !
हरेक खिड़की पर लग गए परदे,
किससे मै दिल लगाता बारीश में !
खत मिले उनका बहुत दिनों के बाद,
और मै पढ़ न पाता बारीश में !
अब तो खुदसे बाते करो सुधीर,
कोई आता न जाता बारीश में !