इंतज़ार
इंतज़ार
आज इंतज़ार से मेरी बात हुई
मैंने उससे पूछा तू किस-किस से रोज़ मिलता है
बोला हर रोज़
एक नया दिल मुझे अपने पास बुलाता है
कभी वो रूठा होता है
कभी दिल टूटा होता है
कभी होती है खुशनुमा सवेर
तो कभी गमगीन सी शाम होती है
कभी होता है अनजान शहर
कभी राहें अपनी सी होती है
कभी होता है आने का इंतज़ार
कभी बुलाने की आह होती है
कभी बेशक आशिकी तो
कभी बेहद दिल्लगी होती है
फिर बोला तुम ने कैसे यूं
आज मुझे याद किया
मैं बोली
तुम्हे कहाँ याद किया मैं तो उस दिल का
इंतज़ार कर रही थी जो मेरे लिए धड़कता है
बेख़ौफ़ बेहिसाब और बेधडक धड़कता है
हर सूरज संग आने का वादा कर
हर शाम संग छुप जाता है
निभाता है हर रोज़ वह वादा
कभी तन्हाई में तो कभी सपनो में आ जाता है
कोई शिकवा नही है उससे न कोई शिकायत है
हर अदा पे उसकी मेरा दिल मचलता है
तू होगा बेशक कई नगरो में प्यार के पर
मेरे शहर में तो बस प्यार का बसेरा है ....
बस प्यार का बसेरा है.......