आदमी (सब सही है)
आदमी (सब सही है)
मुस्कुराता तो लगता के सब सही है
मन ही मन उसने पीड़ा सब सही है
कहता नहीं वो कुछ भी किसी से कभी
पुछा तो बस बोलता सब सही है
उसे कुछ मिला ना मिला सोचता नहीं
तुम गर खुश हो तो सब सही है
गलती उसकी हो ना हो फिर भी
तुम जो भी कहो वो सब सही है
पाला है तुम्हें खुद खर्च हो के उसने
बिदाई के पल भी लगता के सब सही है
चुपचाप चलता राह जिंदगी वो
दाह हो कठिन हो सहज हो सब सही है
आशा है उसे बस कोई तो कहे
करता है वो जो भी सब सही है