मुहूर्त
मुहूर्त
एक.....
जाने कितनी बार आग को छुआ है
जाने कितनी बार गुलाब के पंखुड़ियों से झुलसे हैं हाथ
,रक्तरंजित हाथ हर बार कहते हैं मुझसे..
.ये आख़री दफ़ा सावधान किया तुम्हें।
दो.....
जितनी बार अस्वीकार करते हो
जितने तीव्र गति से मुझे दूर भेजते हो।
दिखता हैं मुझे तुम्हारे आँखों में
उतना ही प्रेम
तीन....
तन पर स्पर्श से अधिक कुछ छोड़ कर हटना।
प्रत्येक दोपहर,हवा,बैरागी धूप,पलक,नीम का पेड़
इतने दिन सब एकसार सा कैसे ?
चार...
सुबह के आसन पर सूर्य मठाधीश
उषा और निशा दो बहनें
दोंनो के संग उनका सहवास।