*ऊंची दुकान, फीके पकवान*
*ऊंची दुकान, फीके पकवान*


बहुत बड़े खानदान में शादी होना यानि अतरंगी लोगों से आपका पक्का पाला पड़ना ऐसे ही हमारी ननद के पति देव हैं उनको अपनी रईसी ठाट-बाट का बखान करना बहुत अच्छा लगता है
अक्सर जब परिवार का कुछ फंक्शन होता है तो ननदोई साहब हमारे रिश्तेदारों के बीच अपने शान ओ शोक़त का बखान करना कभी नहीं भुलते।
उनके पीठ पीछे घर के बड़े और जवान होते बच्चे क्या-क्या नकल उतारते हैं,अरे इंदौर वाले फूप्पा जी तो क्या मज़ेदार हैं हंसी ठोहकों से घर का माहौल बड़ा मज़ेदार हो जाता है। अक्सर हंसी ठिठोली में इंदौर वाले ननदोई साहब, या फूप्पा जी सबसे अच्छा टापिक होता है।
एक बार ननद अपनी फेमिली के साथ पास के शहर में शादी में जा रही थी। हम लोग भी दूसरी गाड़ी से उनके साथ ही चल रहे थे रास्ते में उनकी गाड़ी बिगड़ गई,इस बीच ड्राइवर को दस सुनाई तुम्हें कुछ नहीं आता है। कार का ख़्याल नहीं रखतें हो काहे के पैसे देतें हैं हम।सड़क किनारे एक दुकान मिली मेकेनिक की टपरी में 14 साल का लड़का मैकेनिक तारिक बड़ा एक्सपर्ट था उसने झट से कार की मिस्टेक पकड़ कर ठीक कर दी और कहा आपको कोई परेशानी नहीं होगी मैंने बहुत अच्छे से ठीक कर दी है आपकी कार ,आप उधर से लोट कर आएं तो बताना कार की वजह से परेशानी तो नहीं हुई। मगर ननदोई साहब को बड़े-बड़े सर्विस सेंटर की आदत थी, क्योंकि वहाँ साहब लोगों को ए. सी वाले रुम में बिठाया जाता है , बढ़िया चाय,काफ़ी आफर होती है,बस यहाँ टपरी वाला उन्हें कहाँ भाने वाला था बुरा सा मुंह बनाकर उसे हिकारत से कहा ठीक है ठीक है।
मुझे मेरे पति को लगा वो बच्चा इतने प्यार से बात कर रहा था। कितनी जल्दी उसने काम किया इन जीजा जी के मिज़ाज ही नहीं मिल रहे थे। खैर हमें उनकी आदत से वाक़िफ़ थे वो छोटे काम करने वालों को बड़ी हिकारत से देखते थे हमारे घर में भी काम वालों के लिए यही कहते थे अरे भाईसाहब और भाभी जी इन छोटे लोगों को ज़्यादा मुहं नहीं लगाना चाहिए। इनको ओकात में रखना चाहिए। हमारे अपने घर में काम करने वालों को उनके सामने जीजा जी कुछ भी बोल देते थे बुरी तरह से दुत्कार देते थे, हम दोनों से कहते थे, कितना सिर पर चढ़ा रखा है।,
पर हमारे "शो आफ मेन" कहाँ मानने वाले थे जैसे ही हम सब होटल पहुंचे वहाँ के जिस दीदी की बेटी की शादी में शरीक होने पहुंचे थे उन के बेटे से पूछने लगे, हमें यहाँ का कार का सर्विस सेंटर का पता देना , हमें सड़क छाप टपरी वाले लड़के पर भरोसा नहीं है, बड़े सर्विस सेंटर की बात अलग है हमारी मंहगी कार है ।
हम सब की हंसी नहीं रुक रही थी, क्योंकि उनके जुमले बस घमंड भरे लहज़े में बोलते थे। उन दीदी के बेटे कहा अरे अकंल
आप हमारे ड्राइवर को लेकर चले जाना अच्छे सर्विस सेंटर पर दिखला देगा बस फिर क्या था। फौरन ही अपनी फेमिली को होटल छोड़कर ड्राइवर और हमारे पति देव "साले साहब" को साथ लेकर पहुँच गए बड़े से सर्विस सेंटर में वहाँ के मलिक ने फौरन लड़को से कहाँ साहब को बिठाओ ए. सी. चलाओ। सर चाय, काफ़ी लेंगे आप।फौरन मंगवाई जीजा जी गदगद ऐसी आवभगत से उसने कहा एक घंटे में कर देगें मेरे लड़के। अब जीजा जी तसल्ली से बैठ गए , उन्हें लगा कार सही ठीक हो जाएगी एक घंटे बैठने के बाद सर्विस सेंटर के मालिक ने बताया क्या प्राब्लम थी ये, ये चैंज किया है। आपका बिल सात हज़ार रुपये हुए हैं, जीजा जी ने पर्स निकाला और फौरन पेमेंट कर दिया। टपरी वाले लड़के को पचास रुपए देने में दस बातें सुनाई थी तब जाकर उसे रुपए दिए थे।,
हम वहाँ से शादी वाले घर पहुंचे दो दिन शादी में बिज़ी रहे। फिर हम सब वहाँ से निकले तो रास्ते में तारिक़ की टपरी पर रुक कर उसको बताना था कि देख ऐसे ठीक होती हैं गाड़ी तारिक़ ने कहा सर में आपकी गाड़ी खोल कर देखना चाहता हूँ उसने क्या ठीक किया जीजाजी ने ड्राइवर से कहा खोल के दिखाओ बोनट,।
उस लड़के ने देखा और कहा अरे सर उसने आपकी गाड़ी का इंजन निकाल कर पुराना लगा दिया। जीजा जी मानने को तैयार नहीं उसने कहा आप घर जाकर अपनी गाड़ी के कागज़ात में चैसिस नम्बर चैक करले ना में सही कह रहा हूँ, हम सब दंग रह गए उस छोटे से का अदांजा लगाना खैर हम अपने घर आ गए और जीजा जी-दीदी इंदौर चले गए।
जीजा जी को तसल्ली नहीं हुई तो उन्होंने अपने भरोसे वाले मेकेनिक को दिखाया गाड़ी चैसिस नम्बर चैक करों उसने भी वहीं बताया के इंजन चेंज कर दिया है। जीजा जी ने उसे बताया जबलपुर शादी में गए थे गाड़ी खराब हो गई थी। तो वहाँ के सर्विस सेंटर पर ठीक करवाई थी। उसने सात हज़ार का बिल भी बनाया और ये फ्राड भी कर दिया।
जीजा जी ने मुझे भोपाल फोन किया और सारा किस्सा सुनाया मैंने कहा क्या कर सकते हैं जीजा जी आप ही बताएं वो टपरी वाला लड़का "तारिक़ *सही कह रहा था।
जीजा जी सिर पकड़ कर बैठ गए, मेरी पत्नी ने पूछा राहुल कौन था फोन पर इतने देर से बात कर रहे थे,
मैंने हंस कर कहा तुम्हें मालूम तो है गाड़ी वाला कांड
जीजा जी बड़े सर्विस सेंटर पर ले गए थे, मैं भी गया था सेंटर के मालिक ने सात हज़ार लिए थे। जीजा जी उसके व्यवहार से बड़े इम्प्रैस थे पर उसने गाड़ी इंजन ही बदल दिया पुराना लगा दिया है, इतना बड़ा फ्राड किया।......हम दोनों ने यही सीखा छोटे टपरी वालों को हकीर ना समझें वो बहुत मुश्किल हालात से गुज़रते हैं, तो बहुत अनुभावी होते हैं।
*ऊँची दुकान फीके पकवान *