यक्षिणी एक डायन
यक्षिणी एक डायन
Part 1
रात के 2:00 बज रहे थे
और विराट मेघालय और आसाम बॉर्डर के बीच पढ़ने वाली किशनॉय नदी को पार कर रहा था
दूर दूर तक अंधेरा छाया हुआ था
एक गहरे सन्नाटे ने किशनॉय नदी को घेर कर रखा था और उसी नदी के ऊपर काले बादल मंडरा रहे थे जिन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल वह बरसने वाले हैं नदी में घुटनों तक पानी था जो धीमी रफ्तार के साथ बह जा रहा था विराट के एक हाथ में मोबाइल का टॉर्च था तो दूसरे हाथ में साइकिल का हैंडल विराट पैदल-पैदल मोबाइल के टॉर्च के सहारे नदी पार कर ही रहा था कि तभी उसका मोबाइल बजने लग जाता है
विराट फोन उठाते हुए कहता है
हां बन्ना बोलो
मोबाइल के अंदर से एक औरत की आवाज सुनाई देती है
कहां तक पहुंचे आप जी ?
किशनॉय नदी तक पहुंच गया हूं बन्ना बस यह किशनॉय नदी पार की और मैं सीधा तुम्हारे पास
बन्ना की घबराती हुए आवाज सुनाई देती है
क्या-क्या कहा किशनॉय नदी पार कर रहे हो आप?
और नहीं तो क्या अब तुम्हें तो पता ही है बावला मुंडा गांव से लॉन्ग का मोर्चा गांव जाने का एक मात्रा यही रास्ता है और वह भी नदी पार करके जाना पड़ता है
आपको इतनी रात में वापस नहीं आना चाहिए था ग्रेव्यार्ड कोठी में ही रुक जाना चाहिए था आपको पता है ना नदी के पास वह घूमती है
विराट हैरानी के साथ पूछता है, वह घूमती है मतलब
आप को सब पता है आप को सब पता है पर फिर भी आप जानबूझकर ऐसा बोल रहे हैं है न
माझी ने बताया था कि नदी पार करते वक्त उसका नाम नहीं लेना चाहिए वरना वह सच में आ जाती है
बंदना तुम भी ना कहा मां की बातों में आ गई लगता है मां ने तुम्हें भी यक्षिणी की कहानी..
विराट अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही वंदन घबराते हुए कहती है
चुप हो जाओ जी हे काली मां मेरी पति की रक्षा करना और अनजाने में इनसे जो अनर्थ हुआ है उसके लिए माफ कर देना अब कभी उसका नाम नहीं लेंगे
विराट हंसते हुए कहता है
क्या बंदना तुम भी ना यह यक्षिणी यक्षिणी कुछ नहीं होती समझी तुम यह सब बस मनगढ़ंत बातें हैं जो गांव वालों ने बनाया है और कुछ नहीं
आप नहीं मानते तो मत मानिए पर मैं तो मानती हूं ना
आप ना जल्दी से आ जाइए बस
हां वंदना आ रहा हूं बस यह नदी को पार कर लूं पहले
अच्छा मैं रखती हूं
अरे ऐसे कैसे तुम्हें नहीं लगता तुम कुछ भूल रही हो
क्रमशः


