यारी विथ किंगफिशर
यारी विथ किंगफिशर
प्यार का पहला पन्ना
उधर खन की आवाज आई इधर सैकड़ों कांच के टुकड़े बिखर गए। उस आवाज ने एक युवा धड़कन को बिखरने की इस दुर्गति के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया।
श्याम बड़ा ही खुश मन में खुशियों की हिलोरें मारती जिज्ञासा लिए खुद में एक उलझी गुत्थी को सुलझाने में लगा था। अचानक श्याम का दोस्त आता है बोला - भाई कहां कूप मंडूक बना यादों के हसीन सपनों को पर दे रहा है। श्याम -नहीं यार बस सोच रहा था कि दोस्ती भी कितनी कमीनी चीज है, जिंदगी के हर दर्द को मिटाने का माद्दा रखती है। हां वो तो है खुशबुसाते हुए दोनों यार किंगफिशर की बोतल लेकर बैठ जाते हैं। पुरानी बातें, यादगार लम्हे, बियर से भरे प्याले और चिकन का चखना हो तो शाम यारी के नाम कुर्बान होने से भला कौन रोक सकता है! जहां चार बार प्याले टकराए, दो बोतल किंगफिशर खतम। अब ना जाने साला दिमाग बॉर्नवीटा पीने वाले से भी तेज कैसे काम करने लगता है! मिट्टी में दबी सैकड़ों साल पुरानी धरोहर की तरह उसके ढेलों को पलटने लगता है। अचानक मैसेंजर में टिंग की आवाज आती है, उधर श्याम चिकाई लेने लगता है। भाई हां, कौन है जो हमसे छुप रहा है। शर्म की एक्टिंग करते हुए राम बोला- कुछ नहीं भाई, बस ऐसे ही। ऐसे ही है तो हमसे क्या छिपाना श्याम बोला।
राम -ले भाई देख ले अच्छा। एक फ्रेंड अच्छी सी, बहुत पुरानी सी। न जाने कहां से मैसेज आ गया। रहने दे बेवकूफ बना रहा है। फ्रेंड है या कुछ और ? कसम से तुझे भाई पर यकीन नहीं है। यकीन की बात ना करना, तेरे लिए जान हाजिर है भाई राम श्याम कुछ ऐसे ही बोलता है। रुक अच्छा तेरी भी बात करता हूं, टेंशन ना ले कुछ यूं ही आत्मीयता के भाव से राम श्याम को बोलता है।
एक ओर किंगफिशर का कमाल भी गजब का था कि तुरंत काल लगा दी राम ने, दूसरी तरफ सच्ची दोस्ती में कुछ भी समर्पण की अनूठी मिसाल भी छिपी थी। अब राम लग गया फोन में अपनी दास्तान सुनाने और श्याम का जिक्र करने। दोस्त की तारीफों के कसीदों की बदौलत सामने वाली भी सोचने को मजबूर। उधर राम ने उसे श्याम के बारे में बता अपने सबसे अच्छे दोस्त से मिलाने की बात कह ,लो! मेरे दोस्त से बात करो एक बार। कहते हुए राम ने श्याम को फोन थमा दिया।
मन में अजनबी भाव और शर्मिंदगी की छाप लिए श्याम ने हाय हेलो की और दो-चार मिनट बाद राम की तरफ फोन देकर बोला -अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें। फोन काटा फिर लग गए अपनी हमदर्द किंगफिशर के साथ याराना बढ़ाने में। यह सिलसिला अगले कुछ घंटों तक चला और बेहतरीन यादों के नशीले अंदाज में खोए दोस्त अपने -अपने घरों की ओर बढ़ने लगे। बाय !गुड नाईट बोल कर अपना प्यारा याराना रात भर के लिए लेकर अपने-अपने घर चल दिए और सीधे बिस्तर में थके हारे मजदूर की तरह फैल गए। इधर किंगफिशर देवी ने अपना प्रकोप इस कदर फैलाया की आंखें बिना सुध बुध और चू-चपड़ कर बंद हुई और सीधे सुबह ही खुलीं।
(कहानी का अगला हिस्सा कुछ दिनों बाद। )
क्रमशः
