वो लड़की।
वो लड़की।


हां ,वो ही थी जिसे मैंने प्लेटफॉर्म पर देखा था, वो प्लेटफॉर्म पर बेंच पर बैठी थी , क्या बला की खूबसूरती थी ,लगभग प्लेटफॉर्म पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति उसे देख रहा था। मेरे मन में भी उसको लेके कई प्रकार के विचार आ रहे थे। क्योंकि मै भी उसी बेंच में बैठा था तो मैंने उससे पूछ लिया था कि वह कहां जा रही है तो उसने बताया कि वो कानपुर जा रही है। उस समय मैंने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा पर उसकी खूबसूरती मेरे मन में बस गई थी। मैं अपनी ट्रेन पकड़ कर लखनऊ निकल गया । मै उस समय लखनऊ में एक पैथोलॉजी में एचआर विभाग में हेड था , उस समय उस लड़की की खूबसूरती देखकर मुझे उस जैसी लड़की को अपनी भार्या के रूप में देखने की इच्छा हुई थी ,पर आज मै ऑफिस के लिए एक असिस्टेंट की वकेंसी को भरने के लिए ऑफिस में था तभी वही लड़की मुझे केबिन से बाहर वेटिंग हाल में बैठी दिखाई दी । मैंने तुरंत अपने चपरासी को भेजकर उसको बुलवाया पर यह क्या वह तो आज वैसाखी पर आ रही थी , मुझे उसे इस हालत में देखकर अचरज हुआ ,मैंने उससे जब इस बारे में पूंछा तो उसने बताया कि उसका एक्सिडेंट हो गया था जिसमें उसकी एक टांग काटनी पड़ी , इसके बाद उसने बताया कि वो यहां असिस्टेंट की नौकरी के लिए आयी है । मुझे उसकी इस हालत पर तरस भी आया , पर उसका चेहरा देखकर एक बार पुनः मुझे उसे अपनी जीवन संगिनी के रूप में देखने का विचार आया परन्तु उसी क्षण मुझे उसकी कटी टांग दिखी , परन्तु मेरी अंतरात्मा ने मुझे धिक्कारा कि मैंने उसे सिर्फ उसके चेहरे के कारण पसंद किया था । तब इस प्रकार की कोई बाधा नहीं थी तो आज ये विचार फिर क्यो ,इसी उथल पुथल के बीच उसने मुझे टोकते हुए पूछा कि "कोई समस्या है क्या सर , अगर आप नौकरी नहीं देना चाहते तो कोई बात नहीं मेरे लिए रिजेक्शन कोई नई बात नहीं है ।" मैंने उसे बीच में रोकते हुए बताया कि अगर तुम बुरा न मानो तो "मैं तुम्हे अपने जीवन के लिए सेलेक्ट करना चाहता हूं।" अब उसके आंखो से आंसू टपक पड़े और वो मुझे निहारने लगी जिसे मैंने उसकी मौन स्वीकृति समझा। इसके बाद वो बोली "मुझे स्वीकार्य है ,और हां मुझे अपने इस प्रकार सिलेक्शन की उम्मीद नहीं थी।"