वो और उसकी कहानी
वो और उसकी कहानी
एक मध्यम परिवार था जिसमे एक पति, उसकी पत्नी, उनके दो बेटे और उनकी एक छोटी सी परी (बेटी) रहती थी। हर पिता की तरह उस पिता का भी बस एक ही सपना था की उसके तीनों बच्चे इंजीनियर बने। एक छोटी सी स्टेशनरी शॉप थी उसकी, पर एक बात थी उसकी पत्नी को, टीवी सेरिअल्स देखना बहुत पसंद था, वो जब भी घर आता तो उसकी बीवी उसके साथ वक्त बिताना छोड़ कर अपना टीवी देखने में मग्न रहती और बच्चे अपने मन की करने में, कोई उस पिता का सपना समझ नहीं रहा था। कोई बच्चा खेल रहा होता था, कोई खा रहा होता था, या कोई दोस्तों के साथ गप्पें मार रहा होता था, पढ़ना लिखना सबको बेफिजूल लग रहा था। माँ अपना व्यस्त थी, बच्चे अपना व्यस्त थे, ये सब देख कर उस थके हारे पिता को बहुत ही दुःख पहुँचता था, वो सोचता था, ऐसे तो मेरे बच्चे, मेरा सपना कभी पूरा नहीं कर पाएंगे, और कई -कई बार उसकी अपनी पत्नी से बहस भी हो जाती थी। गुस्से की वजह से कई- कई बार उसने अपनी पत्नी पर हाथ उठाया और अपने बच्चों को भी वो मारता था, उसे था की , बस मेरे बच्चे खूब पढ़ें और मेरी पत्नी उनका ध्यान रखे, उन पर नजर रखे की वो पढ़ाई कर रे हैं या नहीं?
वो कर्जा ले ले कर अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता था, पर बच्चे पढ़ना ही नहीं चाहते थे, धीरे धीरे वक्त बीतता गया, और बच्चे पिता के डर से थोड़ा -थोड़ा पढ़ाई करने लगे थे। बड़ा बेटा बारहवीं में ७५% से विथ होनोर्स पास हुआ, और उसने जो इंजीनियरिंग का एग्जाम दिया था उसमे उसे आल इंडिया रैंक बहुत अच्छी मिली। पर उसे गवर्नमेंट कॉलेज नहीं मिला, तो उसके पिता ने सोचा मैं अब इसका एक और साल बर्बाद नहीं करूँगा और इसे किसी प्राइवेट कॉलेज में ही पढ़ाऊंगा। यद्यपि उसके पास प्राइवेट में पढ़ाने के लिए इतने पैसे नहीं थे, तो उसने बैंक से लोन लिया कुछ 5 लाख के लगभग, बैंक ने उसे लोन दिया पर बदले में उसे अपना घर गिरवी रखना पड़ा। पहले उसे समझ नहीं आया की मैं घर गिरवी रख दूँगा और अगर इसका प्लेसमेंट नहीं हुआ, तो मैं और मेरा परिवार तो सड़क पर आ जाएगा, पर अंत में उसने भोले बाबा का नाम लेकर वो लोन ले लिया और अपना घर उसके भरोसे छोड़ कर गिरवी रख दिया। अब बच्चा, कॉलेज पहुंचा, उसे बहुत मजा आ रहा था, क्योंकि प्राइवेट कॉलेज की फैसिलिटीज बहुत बढ़िया थी, खाना भी अच्छा था, हॉस्टल में।कुछ टाइम तक सब अच्छा चल रहा था, उसका फर्स्ट ईयर का रिजल्ट भी बहुत अच्छा आया। पिता को बहुत ख़ुशी हुई, उसे लगने लगा था, देर सवेर ही सही, मेरा एक बेटा तो इंजीनियर बन गया अब दो और हैं, इन्हे भी बनाऊंगा। उस दिन वो बहुत खुश था, उसे लगा उसने बैंक से लोन लेकर और उसका साल बर्बाद न करके अच्छा ही किया। अब कोई टेंशन नहीं। पर वो कहते हैं न- कोई भी ख़ुशी ज्यादा देर तक टिकती नहीं है, और वही हुआ।
उस लड़के के कॉलेज में कुछ दोस्त बने, और उनकी संगत में रह कर वो बिगड़ने लगा, अपना हॉस्टल छोड़कर उसने कॉलेज से कहीं दूर एक कमरा किराये पे ले लिया, पर उसने अपने घर पर इस बात का ज़िक्र नहीं किया , और इस दौरान वो लड़का बिगड़ता चला गया, कॉलेज भी बहुत कम जाने लगा, आवारा होकर मोटरसाइकिल लेकर घूमने लगा, यहाँ तक की उसने अपना सेमेस्टर देना भी जरूरी नहीं समझा, उस दौरान डायरेक्टर तक ये बात पहुंची, उसकी गैंग के सारे लड़कों को बुलाया गया, उन सबकी अटेंडेंस १५% से भी कम थी, और उन्हें अगले सेमेस्टर की परीक्षा में भी नहीं बैठने दिया गया, और नोटिस दिया कि, अपने पेरेंट्स को बुलाकर लाएं वरना आपको कॉलेज से निकाल दिया जायेगा। वो सब बहुत डर गए, और डायरेक्टर ने उन सबको बिना बताये, उनके पेरेंट्स को एक नोटिस भेजा, जिसमें लिखा था- “आप सभी तुरंत कॉलेज आएं।"
जो पिता अपना सपना पूरा करने का ख्वाब देख रहा था, उसे जब ये सब पता चला तो उसका दिल टूट गया, परिवार में सब बहुत परेशान हो गए, उस रात वो पिता बहुत रोया, उसने अपने बेटे को बहुत समझाया पर उसका बेटा, उसकी बात एक कान से सुनता था, और दूसरे से बहार निकाल देता था। इस वजह से वो पिता फिर एक बार अपनी पत्नी पर चिल्ल्या कि देख “कैसी औलाद पैदा की है तूने?" वो बेचारी क्या करती, वो चुप हो गई। अगले दिन वो सब बच्चे अपने- अपने पेरेंट्स के साथ डायरेक्टर के ऑफ़िस में पहुंचे और उन्हें सब बातें बताई कि आपके बच्चों ने क्या किया है, और अब उन्हें कॉलेज से निकाला जायेगा, तो उसका पिता तो जैसे मानो टूट ही गया, उसका सपना तो चूर हुआ ही, साथ ही उसे लगने लग गया कि अब जो घर था वो भी चला जायेगा। एक आम आदमी, जिसने बहुत मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ाया हो, कर्जा लेकर, अपना घर तक गिरवी रख दिया हो, उस पिता के दिल पर उस वक्त क्या बीत रही थी ये और कोई नहीं जान सकता था, सिवाय उस पिता के।
उस पिता ने डायरेक्टर के सामने रो रोकर विनती की, कि –“साहब मेरा घर दाँव पर लगा है, मेरे बेटे से जो ग़लती हुई वो अब दोबारा नहीं होगी, कृपया इसे माफ़ कर दीजिए, इसे कॉलेज से मत निकालिए, मेरा तो पूरा जीवन, पूरा परिवार, मेरा घर, सब कुछ इसके भरोसा छोड़ा है, अगर इसे ही आप निकल देंगे तो सब बर्बाद हो जायेगा।" कृप्या समझिए। बहुत देर सोचने के बाद डायरेक्टर ने लड़कों को माफ़ कर दिया और इसके बेटे को भी ,और साथ ही ये चेतवानी दी कि अगर फिर कभी ऐसा हुआ तो हम इसे कॉलेज से निकालने में एक मिनट भी नहीं लगाएंगे। सबने उनका धन्यवाद किया और वो लोग वहाँ से निकल गए।
उसे, पिता ने बहुत समझाया और बेटे को लगने लगा कि उसने अपने पिता का विश्वास तोड़ा है, और धीरे धीरे वो उन बुरे लड़कों से दूर रहने लगा और पढ़ाई पर ध्यान देने लगा, एक साल सब ठीक रहा, कॉलेज वाले भी खुश थे कि चलो लड़का सुधर रहा है पर फाइनल ईयर जो सबसे एहम साल होता है, उसका ध्यान फिर भटक गया, इस बार वो एक लड़की के प्यार के चक्कर में फंस गया, उस लड़की ने इसे सब झूठ बताया कि वो इंजीनियरिंग कॉलेज (आई आई टी) में पढ़ती है, और उसे बहुत चाहती है, और इस लड़के ने उसके पीछे अपना पूरा करियर बर्बाद कर दिया। वो कहते हैं न, प्यार अँधा होता है , वही हुआ। पर बाद में पता चला वो लड़की सिर्फ ५ तक पढ़ी है और उसके गांव के कई सारे लड़कों के साथ वो पहले से ही रिश्ते में रह चुकी है । वो सिर्फ इसका इस्तेमाल कर रही थी , और जब तक इस लड़के को पता चला कि उसको धोखा दिया जा रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कॉलेज में लास्ट सेमेस्टर था, इसने उसके चक्कर में अपना कुछ भी नहीं पढ़ा और ऐसे ही परीक्षा देने चला गया और जब परीक्षा फल आया तो ये फेल हो गया था, उस दिन ये बहुत रोया। परीक्षा फल घर पहुंचा , उस पिता ने बड़ी ख़ुशी से परीक्षा फल देखा क्योंकि उन्हें तो इसके अफेयर का कुछ नहीं पता था, जब देखा तो उन्हें धक्का लग गया और वो कई दिनों तक खामोश हो गए, उसकी पत्नी ने अपने बेटे को तुरंत घर बुलाया और उसे कहा- तू कुछ भी छोटा मोटा काम कर और अपना लोन चुका । पिता उठा और कुल्हाड़ी लेकर आया , उसने कहा –“आज तो मैं इसे जान से मार दूँगा”, इसने अपने को तो बर्बाद किया ही, साथ ही हमारे पूरे परिवार को रास्ते पर ला दिया। अपने छोटे भाई-बहन का भी जीवन बर्बाद कर दिया। अपनी पत्नी से कहने लगा- “जहर है तो लाओ सब खा लेते हैं” , ऐसे बेइज़्ज़त से रहने से अच्छा तो मौत ही है।
वो सब बहुत रोये और तीन दिन तक भूखे-प्यासे सब खामोश से हो गए, उन्हें लगा अब जीकर क्या करना। इतना कर्जा हम चुका भी नहीं पायंगे। उसी साल इसके छोटे बेटे ने होटल मैनेजमेंट और बेटी ने इंजीनियरिंग क्वालीफाई किया और उसकी बेटी को सरकारी कॉलेज में दाख़िला मिला। बेटी के लिए वो पिता खुश था, पर बेटे के लिए निराश था, क्योंकि उसका सपना था, उसके तीनों बच्चे इंजीनियर बने। फिर सबने उस पिता को बहुत समझाया और वो मान गया पर दोनों के लिए फ़ीस दे पाना (ऐसे वक्त पर जहाँ उस घर कि परिस्थिति पहले से ही ऐसी थी), मुश्किल था। पर वो नहीं चाहता था कि मेरे दोनों बच्चों का साल बर्बाद हो और इसलिए उसने मज़बूरी में अपनी दुकान बेच दी और थोड़ा बहुत लोगों से कर्जा लेकर उन दोनों का साल बर्बाद नहीं होने दिया और वो अपने -अपने कॉलेज में पढ़ने लगे। एक तरफ अपने दोनों छोटे बच्चों कि कामयाबी देख कर उसे ख़ुशी भी थी, पर डर भी था, अपने बड़े बेटे के कामों के डर से अपनी बेटी को वो कॉलेज नहीं भेजना चाहता था, पर उसने भेज दिया और उसने अपने बड़े बेटे को घर से निकाल दिया, पर वो अभी भी नहीं सुधरा , उसने कोई छोटा मोटा काम तो पकड़ा, पर अपने माँ बाप को भूलने सा लगा, वो उनसे न बात करता, न कभी मिलने आता, और ४ साल बाद पता चला कि उसने शादी कर ली और वो विदेश में जाकर बस गया है। ये बात जब उसके माता- पिता को पता चली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ और उनके छोटे दोनों बच्चों ने बढ़िया प्रतिशत अंकों से ग्रेजुएट होकर कोई अच्छी सी नौकरी करना शुरू कर दिया और अपने पिता का सहारा बनने लगे, पर इतना पैसा इतने कम समय में दे पाना मुश्किल था, पर उन सबने हार नहीं मानी। उसकी बेटी बहुत परेशान हो गई, उसने सोचा कैसे भी करके मुझे वो बैंक का लोन जल्द से जल्द चुकाना होगा, अपने पापा को मैं परेशान नहीं देख सकती। उसने साइड -ब्यय-साइड गवेर्नमेंट की तैयारी भी करी और एग्जाम दिया और फिर वो चमत्कार हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी, उसकी बेटी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया में अफसर के पद पे पोस्ट हो गई और इस तरह उसने अपने पापा कि इज़्ज़त रखी और बैंक का सारा लोन भी चुकाया और अपना घर भी बचाया। इस तरह उस बेटी ने अपने पिता को सारी ख़ुशी दे दी और एक वो फर्ज निभाया जिसकी उम्मीद हर बाप को अपने बेटे से होती है। उस पिता कि आँखों में सिर्फ ख़ुशी के आँसू थे और अंत में उसने अपनी बेटी को गले लगाते हुआ कहा- “तू मेरी बेटी नहीं, मेरा बेटा है।" धन्य हुआ मैं, जो उसने तेरी जैसी बेटी का पिता मुझे बनाया, और अंततः सब ख़ुशी - ख़ुशी रहने लगे।
