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The FrozenFire Girl

Fantasy

4  

The FrozenFire Girl

Fantasy

vampire & white witch story

vampire & white witch story

46 mins
360

Description . . . .

अर्श जो की बला की खूबसूरत है। जिसे अपनी असल पहचान छिपा कर करनी पड़ी है आरव राठौर शहर के बिजनेस टाएकून , राठौर कम्पनी के CEO से शादी। जबकी आरव करता है उससे बेइंतिहा नफ़रत। आखिर क्या मक़सद है अर्श का ? क्यों की है उसने आरव से शादी और क्या वज़ह है आरव के नफरत की ?जानने के लिए पढ़िए " Arsh"

कहानी कि शुरूआत . . . . . . .

" ऐईइइ . . . ! य . . . ये क्या कर रहे हो ? छोड़ो मुझे . . . ! तुम ऐसा नहीं कर सकते . . . आरव . . . ! तुम पागल हो गये हो ? "

आसमान में तारें हिरों की तरह चमक रहें थे . . . और पूरे चाँद की रौशनी रात को और भी हसीन बना रही थी . . .।

एक बड़े से मेंशन के एक खूबसूरत कमरे में एक बहुत ही हैंडसम लड़का एक लड़की को कमर से पकड़ रखा था . . . .

उसका एक हाथ उस लड़की के कमर पर था और दूसरे से वह उसकी गर्दन को पीछे से पकड़े हुए था . . .। वह उस लड़की के चेहरे को अपने चेहरे के करीब ला रहा था और अपने होंठ उसके होंठों के करीब ले जा रहा था . . .। वह उसे कीस करने वाला था पर उसकी आँखों में ना ही प्यार था और ना ही हवस . . . उसकी आँखें गुस्से से भरी थीं . . .। मानो वह उस लड़की से बेइंतिहा नफरत करता है . . . .।

इसके विपरीत उस लड़की के आँखें हैरान और लाचार दिख रहीं थीं और वह उसकी पकड़ से छूटने के लिए कसमसा रही थी . . .।

कि तभी उस लड़की की आँखें कठोर हों गयी . . .। उसने उस लड़के के दोनों हाथों " एक उसकी कमर पर था और दूसरा जो उसकी गर्दन पर " उन्हें कस कर पकड़ लिया और एक झटके से उस लड़के को पलट दिया . . . .। उसने उसके हाँथों को मोड़ कर उसके पीठ की तरफ कर दिया था और उसे दिवार से सटा दिया . . . .। वह उसके हाँथों को बेरहमी से मोड़ रही थी मानों तोड़ देगी . . . . . . .। ऐसा लग रहा था की उस लड़की को बात करना कुछ खास पसंद नहीं था . . . उसने और ज्यादा ताक़त उस लड़के के हाथों को मोड़ने पर लगाते हुए कहा " चुपचाप एक कोने में पड़े रहो . . ., ज्यादा फूदके तो कहीं ऐसा ना हो कि हमारी फर्स्ट नाइट, तुम्हारी लास्ट नाइट बन जाये . . . . .। "

कि तभी उसे अपने होंठों पर कुछ हरक़त महसूस हुई . . .। उसकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो गयीं . . .। और वह अपने खयालों से बाहर आ गयी . . .। उसने देखा की वह लड़का अब उसे कीस करने लगा है . . . .। वह काफी रूडली उसे कीस कर रहा था मानों वह अपनी नफ़रत और गुस्से में उसे खत्म कर देना चाहता था . . . . . .।

उस लड़की का एक पल के लिए मन किया की वह अपने खयालों को हकीकत में बदल ले . . . . पर उसने लाचारी से अपनी आँखें मींच लीं क्योंकि वह ऐसा नहीं कर सकती थी . . .।

ऐसा नहीं था कि यह उसके लिए बहुत मुश्किल था बल्कि यह तो उसके लिए पल भर का काम था, पर वह ऐसा ना करने के लिए मजबूर थी . . . . . .।

वह लड़की इस वक्त सीर्फ स्ट्रगल कर सकती थी . . . .। क्योंकि उसे अपनी आइडेंटिटी छिपानी थी . . . .।

वहीं वह लड़का हर पल और ज्यादा वाइल्ड होता जा रहा था मानों उसकी नफरत खत्म होने कि बजाये बढ़ती जा रही थी . . . .। अब उस लड़की को सफोकेशन होने लगी . . .। उसे लगने लगा कि अगर यह अभी उससे दूर नहीं हुआ तो वह मर जायेगी . . . . .।

उसी वक़्त उसने सब कुछ भूल कर अपनी पूरी ताक़त से उस लड़के को धक्का दिया . . .। क्योंकि कुछ देर उसके द्वारा कोई भी हरक़त ना होते देखकर उस लड़के को लगा कि वह अब हार मान गयी है . . .। पर उसे इसका कोई आईडिया नहीं था कि उस लड़की में इतनी चालाकी होगी . . . . .।

तो इस तरह अचानक धक्का लगने से वह कुछ दूर लड़खड़ा गया . . .। उस लड़की ने इस मौके का फायदा उठाया और जोर जोर से हाँफती हुई बाथरूम में भागी . . .। वह लड़का भी उसके पीछे गया पर उस लड़की ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर लिया . . . .।

वह लड़का गुस्से दरवाज़े पर अपना हाथ मारकर चिल्ला कर बोला " आरव राठौर ! से तुम बच नहीं सकती . . .। तुमने मेरे खिलाफ़ जाकर मुझसे शादी कि है . . .। आईल मेक श्योर, योर लाइफ़ टर्न इंटू हैल ! मार्क माई वर्ड्स . . . . "

यह आरव है . . ., गोरा रंग, काली गहरी आँखें, हाईट 5 फ़िट 25 इंच, बाल पर्फेक्ट सेट, और पर्सनैलिटी से एक परफेक्ट जेंटलमैन . . .। पर गुस्सा हमेशा नाक पर 24 ×7 जॉब करता है . . .।

वहीं बाथरुम के अंदर उस लड़की के चेहरे पर आरव की बात सुनकर भी परेशानी कि एक लकीर तक नहीं आयी . . .। ऐसा लग रहा था की कुछ देर पहले जो लड़की आरव की बाँहों में थी और यह लड़की जो इस वक़्त बाथरुम में थी, ये दोनों दो अलग लड़कीयाँ हैं . . .।

उस लड़की ने बेफिक्र से आरव कि बातों को इग्नोर कर दिया और अपनी साँसों को नॉर्मल करने के बाद अपनी एक हाथ की उँगली अपने कानों पर लगे ब्लूटूथ के पास ले गयी . . .। वह शायद किसी से बात कर रही थी . . .। वह उसकी आवाज़ सूनने कि कोशिश करने लगी . . .।

दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज़ आयी " हैलो . . . ! अर्श ! क्या तुम ठीक हो ? क्या हुआ ? "

यह है अर्श जो बला कि खूबसूरत है !, गहरी हल्की हरी आँखें जो काफ़ी ध्यान से देखने पर ही समझ आएँ, गेंहुँआ रंग, सुर्ख गुलाबी होंठ, हाईट लगभग 5 फ़िट 12 इंच और एक आकर्षक बॉडी शेप . . .। पर यह जितनी खूबसूरत है, उतनी ही उलझी हुई इसकी शख़्सियत है . . .। बिल्कुल एक पहेली !

अर्श ने उस लड़की के जवाब में कहा " हाँ, मैं ठीक हूँ ! " पर वह काफी गुस्से में थी . . .।

कुछ समय पहले . . . .

आज अर्श और आरव की सुहागरात है . . .। अर्श को पर इससे कोई मतलब नहीं था . . ., इसलिए उसने कमरे में आते ही अपने गहने उतारने लगी . . .। उसने मेकअप भी उतार दिया . . ., फिर उसने झुँझला कर अपने बाल खोल दियें . . .। मानो उसके लिए इन सब को टोलरेट करना बहुत मुश्किल था . . .। तभी अर्श के फोन पर कॉल आया . . .। उसने स्क्रीन पर देखा और कॉल पिक कर के ब्लूटूथ कान में लगा कर बोली " प्लान बताओ . . . ! " फिर वह ध्यान से सुनने लगी . . .।

उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे . . .। दुलहन के जोड़े में वह काफ़ी खुबसूरत लग रही थी . .। उसके रेश्मी बाल हवा से लेहरा रहें थें . . . .। वह रूम में इधर-उधर चलने लगी . . .।

वह बहुत ध्यान से बातें सुन रही थी इस लिए उसने ध्यान नहीं दिया जैसे ही वह दरवाज़े के पास पहुँची आरव दरवाजा खोल कर अंदर आया . . . . अर्श का चेहरा आरव की चेस्ट से टकरा गया . . .। आर्श के बाल उसके चेहरे पर आ गयें. . .।

वह बेहद खूबसूरत लग रही थी पर उसे देखकर आरव के एक्सप्रेशन कठोर हो गये . . .। उसने मन में कहा " अच्छा तो मैडम को सुहागरात मनानी है . . . ! अब

बताता हूँ मैं इसे ! " और उसके आँखों में गुस्सा और नफ़रत भर गया . . .।

अर्श धीरे से पीछे हटते हुए " सॉरी ! " बोली . . .।

पर अभी उसने दो ही क़दम पीछे लिया था की आरव ने उसे कमर से कसकर पकड़ कर ख़ुद से सटा लिया . . .।

अर्श की आँखें हैरानी से फैल गयीं . . . ., तो आरव बोला " अरे . . ! शादी की है, तो शादी के बाद की रश्म नहीं निभाओगी ? "

अर्श उसकी बातों और हरकतों का मतलब अच्छी तरह से समझ गयी थी, वह घबरा कर बोली " क्या बकवास कर रहे हो ? छोड़ो मुझे . . . ! "

आरव उसे बेयकिनी से देख कर बोला " अच्छा तो तुम यह दिखाना चाहती हो कि मैं तुमसे जबरदस्ती करूँ ? "

अर्श उसकी बातें सुनकर हैरान थी और वह बोली " तुम तो मुझे पसंद नहीं करते हो फिर . . . "

आरव ने तुरंत ही कहा " बेशक़ ! मैं तुम्हें रत्ती भर भी पसंद नहीं करता !, इनफैक्ट तुम अगर अपने पूरे कपड़े मेरे सामने उतार भी दो ना तो भी मुझे तुम में कोई इंट्रेस्ट नहीं है !, पर तुमने मेरी बात ना मानने कि और मुझे फॉर ग्रान्टेड लेने की गलती की है . .। और आरव राठौर कि लाईफ़ में ग़लती के लिए माफ़ी नहीं सीर्फ और सीर्फ सज़ा है . . . . !, फिर चाहे वह गलती मेरी वाइफ की ही क्यों न हो ! " कहकर उसने अर्श का दुपट्टा एक तरफ फेंक दिया और उसके गर्दन को पीछे कि तरफ से पकड़ कर बेरहमी से दबा कर अपने चेहरे के क़रीब लाने लगा . . .।

अर्श को उसके गर्दन में बेइंतिहा दर्द हो रहा था . . . .। वह आरव की पकड़ से ख़ुद को छुड़ाना चाहती थी पर उसे अपनी पहचान छुपानी थी, और एक बेचारी लड़की बने रहना था . . . .।

तो वह खुद को छुड़ाने के लिए कसमसाने लगी . . . .।

बाथरुम में . . . . .

अर्श से वह लड़की बोली " हैलो !, क्या तुम आज के मिशन पर आ पाओगी ? "

अर्श को इस वक्त आरव पर बेहद गुस्सा आ रहा था . . .। उसने अपने पास आने वाले हर लड़के को मार कर ख़राब कर दिया था, पर आज आरव ने उसे इतनी बुरी तरह से कीस कर लिया था। वो भी उसकी मर्जी के खिलाफ़। अर्श का तो दिल कर रहा था की वह दरवाज़ा खोल कर बाहर जाये, और आरव को जी भर कर पिट दे।

पर वह ऐसा ना करने के लिए मजबूर थी और उसने आरव पर का सारा गुस्सा उस कॉल पर जो लड़की बात कर रही थी उस पर उतारते हुए बोली " भाड़ में जायें मिशन ! यहाँ मेरा पती मेरे साथ फर्स्ट नाईट मनाना चाहता है ! मेरा तो मन कर रहा है या तो उसे जान से मार दूँ या ख़ुद भाग जाऊँ और तुम्हें मिशन की पड़ी है . . . ?, मैंने पहले ही कहा था कि मुझे यह शादी नहीं करनी ! "

तभी दूसरी तरफ से तभी किसी आदमी कि आवाज़ आई, यह आवाज़ सुनकर अर्श के चेहरे के भाव

बदल गये . . .।

कुछ देर बाद वह बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर बाहर आ गयी . . .। आरव गुस्से में बैठा था उसने नज़र उठाकर अर्श को देखा . . .।

अर्श उससे डरती नहीं थी। उसने मन ही मन कहा " घूर तो ऐसे रहा है जैसे मुझे अंदर तक डरा देगा . . .। "

पर वह जानती थी कि इस बार उसके बचने कि कोई गुंजाइश नहीं है . . .। और ऐसा ही हुआ आरव गुस्से उसके पास आया और उसकी बाँह को कस कर पकड़ कर उसे बिस्तर पर ढकेल दिया . . .। आरव उसके उपर आ गया . .। और रूडली उसे कीस करने लगा . . .। काफ़ी देर स्ट्रगल करने के बाद अर्श के अंदर इतनी ताक़त नहीं रही कि वह कुछ भी कर पाये . . .। तब आरव ने उसके होंठों को छोड़ा और अब उसके होंठ अर्श के गर्दन पर थें . . .। अर्श बहुत तेज़ साँसें ले रही थी . . .।

* * * * * * * * * * * * *


कुछ ही देर बाद अर्श और आरव के कपड़े बेड के चारों तरफ बिखरे पड़े थे . . .। अर्श ब्लैंकेट ओढ़े सिस्कियाँ ले रही थी . .। आरव उसके बगल में सोया था . . .। सोते हुए आरव बेहद मासूम लग रहा था . .। पर अर्श जानती थी कि वह अभी कुछ देर पहले कितना कठोर था . . .।। अर्श मन ही मन उसे गालियां दे रही थी . . .। और ना चाहते हुए भी अब उसकी आँखों में आरव के लिए नफरत भर रही थी . .। ऐसा लग रहा था वह मन ही मन अब उससे दुश्मनी कर रही थी . . .। फिर उसने तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।

फिर कुछ देर बाद वह सो कर उठी उसने टाइम देखा तो सुबह के 5 बज रहें थे। वह उठने की कोशिश करने लगी . .। उसके पूरे बदन में बेतहाशा दर्द हो रहा था . . .। इसका जिम्मेदार सीर्फ और सीर्फ आरव ही था . .। उसने गुस्से से एक बार फिर आरव को देखा उसका मन किया की वह अपनी बगल के टेबल पर रखे टेबल लैंप को अभी ही उसके सर पर दे मारे . . .।।

पर बेचारी मजबूर थी उसे अपना काम होने तक अपनी सच्चाई का किसी को भी पता नहीं चलने देना था . . .। वह उठकर बाथरूम मे जाने कि कोशिश कर रही थी कि तभी आरव ने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया . . . .। अर्श कुछ मिनट के लिए दहल गयी . . .। उसने आरव कि ओर आरव ने बिना आँख खोले कहा " अगर तुमने भागने कि कोशिश भी कि तो मैं तुम्हें ढूँढ लूँगा याद रखना !, और फिर मैं तुम्हारी जिंदगी इससे भी बुरी बना दूँगा !, बहुत शौक था ना तुम्हें मुझसे शादी करने का तो अब तुम्हें पता चलेगा . . . .। " कहकर उसने अर्श का हाथ झटक दिया . . . .।

अर्श को उसपर बहुत गुस्सा आ रहा था, पर उसने कुछ कहा नहीं उसने अपना सीर झटक कर अपने मन में आये खयालों को निकाला और ब्लैंकेट लपेट कर बाथरूम में चली गयी . . .।।

उसने शावर लिया और बाहर आयी . . .। आरव सामने बैठा कुछ फाइल्स देख रहा था . . .। अर्श ने उसे इग्नोर किया और अपने बालों को सुखाने लगी . . .। अर्श बहुत गोरी नहीं थी पर वह बोहोत आकर्षक थी . . .। आरव ने अब उसे देखा . . .। अर्श बहुत खुबशुरत दिख रही थी . . .। आरव को उसकी ओर खिंचाव महसूस होने लगा पर जब उसने देखा कि अर्श उसे इग्नोर कर रही है तो उसने अपने हाथ में पकड़ी हुई फाइल को गुस्से से बंद कर के कॉफी टेबल पर फेंक दिया . . . .। पर जब उसने देखा कि अर्श का डरना तो छोड़ो उसने बिल्कुल ऐसे इग्नोर कर दिया मानों आरव वहाँ है ही नहीं . . .। आरव का गुस्सा तो मानों सातवें आसमान पर पहुँच गया, वह तुरंत ही चलकर उसके पस गया उसने अर्श की कमर पीछे से पकड़ी . . .। अर्श कि ठण्डी कमर को जैसे ही आरव के गर्म हाथों ने छुआ दोनों के शरीर में एक करंट दौड़ गयी . . . .।

अर्श कुछ भी रिएक्ट करती उससे पहले ही आरव ने उसको पलट कर उसका चेहरा अपनी तरफ किया . . .। आर्श गुस्से से उसे देख रही थी वहीं आरव कि नज़रें अर्श के होंठों पर ठहर गयी . . . .। आरव मानो सब कुछ भूल गया और इससे पहले कि अर्श कुछ भी कहती, आरव ने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया . . .।

अर्श कि आँखें हैरानी से बड़ी हो गयीं . . .। आरव उसे बहुत ही डीप और पेशिनेट कीस कर रहा था . . .। अर्श उससे खुद को छुड़ाने के लिए कसमसाने लगी . . .। अब उसने उसे मुक्के मारने भी शुरू कर दिये थें . . .। पर आरव को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसका अर्श को छोड़ने का कोई भी इरादा नहीं है . . .। अर्श को अब साँस लेने में तकलीफ हो रही थी . . . .। तभी आरव झटके से उससे दूर हुआ . . . .। उसकी आँखें आग उगल रहीं थी वह बहुत गुस्से में लग रहा था . . .। वहीं अर्श बहुत तेज़ और लम्बी साँसें लेने लगी थी . . . .। उसने आरव कि तरफ देखा वह गुस्से से उसकी तरफ बढ़ कर बोला " यू . . ., तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे काटने कि . . . ? "

आरव ने अपने होंठों को छुते हुए गुस्से से कहा . . . .। उसके होंठ टमाटर कि तरह लाल हो गये थे. . .। मानो अगर अर्श ने थोड़ी और ताक़त से

उसे काटा होता तो उसके होंठों से खून निकल आता . . .। अर्श ने सचमुच उसे बहुत तेज़ काटा था . . .। आरव का तो दिमाग़ खराब हो रहा था। वहीं अर्श मन ही मन बोली " कितना बेशर्म है ये ! पहले तो इसने कल रात मेरी मर्जी के बिना मेरा साथ वो सब किया और अब ये . . . !, बेटा एक बार मेरा काम पूरा हो जाने दे उसके बाद अगर मैंनें तुझे रूलाया नहीं तो मेरा नाम भी अर्श ! नहीं। " फिर अर्श ने अपना सर झटक दिया और निचे जाने लगी।

अभी वह दो ही कदम आगे बढ़ी थी कि तभी अर्श को अपने हाथ पर एक मजबूत पकड़ महसूस हुई। इससे पहले कि वह कुछ करती या कहती। आरव ने झटके से उसे वापस अपनी ओर खींच लिया। अर्श सीधा आरव के सीने से टकरायी। तभी आरव ने अपने एक हाथ से उसके कमर को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर आये बालों को हटाते हुए बोला " बड़ी शौक से शादी कि है ना तुमने मुझसे ?, और एक ही रात में शादी की सारी निशानीयां छोड़ रही हो ? "

आरव कि बात सुनकर अर्श की दोनों भौंहें आपस में जुड़ गयी। अर्श सवालिया नजरों से आरव की आँखों में देखने लगी . .। आरव को ना जानें क्यों उसकी आँखों में देख कर एक अज़ीब सी फीलिंग महसूस हुई। उसने तुरंत ही अपनी आँखें चुरा ली और फिर उसने अपने एक हाथ को ड्रेसिंग टेबल पर रखें मंगल सूत्र तक ले गया और फिर उसने उसे अपने हाथ में पकड़ कर अर्श के चेहरे के सामने लाया। फिर उसने अर्श की कमर को छोड़ कर उसे मंगल सूत्र अपने हाथों से पहना दिया और सिंदूर अपने हाथों में लेकर उसे लगाने ही वाला था कि अर्श कि मध्यम आवाज़ उसके कान में पड़ी।

अर्श ने कहा " रेहने दो ! मैं ख़ुद . . . . " अर्श ने इतना ही कहा था कि आरव के चेहरे के एक्सप्रेशन डार्क हो गयें उसने अपने एक हाथ से अर्श के चेहरे को पकड़ लिया। उसने अर्श के दोनों गालों को अपने हाथों कि उँगलियों से दबा कर पकड़ रखा था, फिर उसने नफ़रत और गुस्से से भरी अपनी आँखों से अर्श कि आँखों में देख कर कहा " क्यों ? मुझसे शादी करने का बहुत शौक था ना तुम्हें ? अब क्या हुआ ? तकलीफ हो रही है ? अगर हाँ !, तो अब आदत डाल लो क्योंकि अब मैं तुम्हें हर पल दर्द दूँगा !, तुम्हारी वज़ह से मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे छोड़ दिया। जिससे मैं सबसे ज्यादा प्यार करता था !, उसने मुझे धोखेबाज़ कहा !, और सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वज़ह से !, तो अब तुम्हें इसका हर्जाना तो चुकाना ही होगा !, तुमने मुझसे शादी करके मेरी जिंदगी बर्बाद कि न ?, अब मैं तुम्हारी जिंदगी ही नर्क बना दूँगा ! "

इतना कहकर आरव ने अर्श की माँग सिंदूर से भर दी और उसे एक ओर झटक कर बाथरूम में चला गया . . .। अर्श ने कुछ देर शीशे में अपना चेहरा देखा। उसके गालों पर तेज़ दर्द हो रहा था। पर दूसरे ही पल उसके चेहरे के भाव बदल गये उसने अपना सर झटक दिया और फिर कमरे से बाहर चली गयी . . .।

नीचे हॉल में एक लगभग 50 साल कि औरत थी जिनके चेहरे पर अर्श को सीढ़ियों से नीचे उतरता देख कर चमक भरी मुस्कान आ गयी।

* * * * * * * * * * * * *


यह आरव कि माँ थी . . .। उन्होंने चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी सी मुस्कान लाकर कहा " बेटा ! बड़ी जल्दी उठ गयी ? अभी तो बस दिन के सात ही बजे हैं! "

उनकी बात सुनकर अर्श मन ही मन बोली " जैसा आपका नालायक, बेवकूफ, राक्षस बेटा है न . . ., उसके साथ तो 1 मिनट भी रेहना मुश्किल है !, और मैं पूरी रात रहीं हूँ . . ., मुझे तो अवॉर्ड, मेडेल और शाबाशी मिलनी चाहिए . . .। ख़ैर अभी तो मुझे मेरा काम होने तक उसे झेलना ही है . . .। "

ये सब सोचते हुए उसने एक मुस्कान के साथ कहा " हाँ ! मम्मी वो ऐक्चुअली मेरी नींद खुल गयी थी तो मैंनें सोचा निचे। आकर कुछ काम करवा लूँ . . .। ", " मुझे क्या करना है ? " अर्श ने एक सभ्य संस्कारी बहु कि तरह आरव की मम्मी से कहा . . .।

अर्श कि बातें सुनकर आरव की मम्मी के हाल तो कुछ ऐसे थें मानों उन्हें दुनिया कि सबसे अच्छी बहु मिल गयी थी . . .। वह बहुत ही ज्यादा खुश दिख रहीं थीं और उन्होंनें अर्श से कहा " पहले मंदिर में दिया जला दो। फिर पेहली रसोई कि तैयारी करनी होगी और फिर मुँह दिखाई की रश्म होगी। फिर तुम और आरव कुल देवी के मंदिर जाकर दर्शन कर आना . . . .। "

उनकी बात सुनकर तो जैसे अर्श का सर ही घूम गया उसने फिर अपना सर झटका और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ मंदिर की तरफ बढ़ गयी . . .। उसने भगवान के सामने दिया जला कर हाथ जोड़ें और बोली " भगवान् जी प्लीज !, मैं जिस काम के लिये शादी कर के इस घर में आयीं हूँ वह काम जल्दी करवा दो और जितना हो सके मेरे उस बेवकूफ नालायक पति को मुझसे दूर रखो . . . प्लीज ! " उसने जैसे ही ये सब कह कर अपनी आँखें खोलीं और मुड़ी आरव उसके बिल्कुल बगल में खड़ा था। आरव को अपने ठीक सामने देख कर उसकी आँखें बड़ी हो गयीं। वह हैरान थी . . .। उसके उलट आरव के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था, उसने धीरे से अर्श की कानों में कहा " इतनी सीद्दत से मुझसे दूर होने की प्रार्थना कर रही हो ?, पर अफसोस आरव राठौर के कहर से बचने के लिए कोई भी दुआ काम नहीं करती। " फिर वह बड़ी ही स्टाइल से अर्श के बगल से निकल गया।

अर्श ने उसे जाते हुए देख कर मन ही मन कहा " ये लड़का मेंटल वेंटल है क्या ?, नहीं मतलब मैं आख़िर इसे दिखती क्या हूँ . . . ?, मतलब आते जाते, इत्तफाक तो छोड़ो, कैसे भी देख कर बस मेरी जिंदगी बर्बाद करने कि धमकी दे जाता। मानो मेरी जिंदगी ना हुई हलवा हो गयी जो ये बर्बाद कर देगा। मेंटल कहीं . .। बेटा बस मेरा प्लान ट्रैक पर चलना शुरू हो जाये फिर दिखा . . . नहीं इसे दिखा ही तो नहीं सकती असल अर्श को। " फिर उसने भगवान जी कि मुर्ति कि तरफ चेहरा कर के कहा " क्यों इस मेंटल का चेहरा दिखा कर बार बार मेरी सब्र का इंतहान ले रहे हो ? " इतना कहकर वह मुड़ी और किचन कि तरफ चल दि . . .।।

पहली रसोई कि रश्म के बाद . .। सभी ने अर्श के बनाये हुए खाने कि खूब तारीफ़ की . . .। जिसे सुनकर आरव के कानों से मानो ख़ून ही आने वाला था। पर उसने कुछ भी ज़ाहिर नहीं होने दिया। अपना खाना खत्म करने के बाद वह उठा और अपनी माँ " कामिनी जी " और पिता " आलोक जी " के पैर छू कर ऑफ़िस के लिये निकलने लगा।

तभी उसके भाई बहन जो कि बैठकर नाश्ता कर रहें थें, उन सब ने मिलकर उसे घेर लिया। आरव ने गुस्से से कहा " सामने से हटो !, मुझे ऑफ़िस के लिए लेट हो रहा है " आरव ने कहा तो उसके भाई बहन उसकी बाँह पकड़ कर बिठाते हुए बोलें " तो होने दीजिए !, पर आप आज कहीं नहीं जानें वाले। "

उन सबकी बात सुनकर आरव ने थोड़े गुस्से से कहा "क्यों नहीं ? " तो उनमें से एक लड़की जिसमें चश्मा पहन रखा था। वह बोली " क्योंकि अभी आपकी शादी कि रश्में बाकी हैं ! "

उसकी बात सुनकर आरव चिढ़ कर उठ खड़ा हुआ और बला " स्टोप इट सिम्मी !, वाह्ट रबीश् ? " आरव को देखकर सिम्मी थोड़ निराश हो गयी। क्योंकि शायद वह उन सब में सबसे छोटी थी। तभी आरव का भाई बोल पड़ा " इट्स नॉट रबीश् भाई ! "

तो आरव बोला " अब कौन सी रस्में बचीं हैं ?, और वो सब मुझे थोड़ी करनी होंगी। " तो उसमें से एक और लड़की जो सिम्मी से थोड़ी बड़ी लग रही थी। उसने कहा " भाई !, अभी आप दोनों कि वो रिंग ढूँढने वाली और वो कुल देवी के दर्शन कि और भाभी कि मुँह दिखाई भी तो है। आप नहीं रहोगे तो कैसे होगी रस्में ? "

उसकी बात सुनकर आरव चिढ़ गया और बोला " चुप कर यार निम्मी !, अब क्या उसकी मुँह दिखाई कि रश्म में मैं घूँघट डाल कर बैठूँगा ?, या फिर लोगों के देखने के लिये मुझे उसका घूँघट उठाना और गीराना होगा ? "

" वैसे !, हमने तो ऐसा कुछ नहीं कहा . . ., पर अगर आपका इतना ही मन हो रहा है तो आप जरूर कर सकते हो। हम लोग मना नहीं करेंगे। " आरव की बात पर सिम्मी ने सरकैस्टीक स्माइल के साथ उसे छेड़ कर कहा।

आरव ने उसे तुरंत गी आँख दिखा कर कहा " तू न पिटेगी मुझसे। जाकर पढ़ाई कर, बकवास नहीं। "

वहीं अर्श किचन में अपने कानों में ब्लूटूथ लगाकर बोली " हाँ !, बोलो ! "

ना जाने दूसरी तरफ से क्या बोला गया। अर्श ने रिप्लाई में कहा " ओके आज रात !, शार्प 1 am !, ओके बाय। " कह कर उसने कान से ब्लूटूथ हटा दिया।

जब वह बाहर आयी तो सभी आरव को लेकर बैठ गयें थें और वहाँ अँगूठी ढूँढने कि रश्म कि सारी तयारी हो चुकी थी। अर्श को आता देख कर सिम्मी तुरंत बोली " निल भाई !, चलो भाभी को जल्दी से ले आते हैं। " कहकर वह और निल फटाक से अर्श के पास आयें और सिम्मी उसकी बाँह पकड़ कर बोली " भाभी ! जल्दी चलो। " और अर्श को ले जाकर आरव के सामने बिठा दी। उन दोनों के बिच में दूध का एक बड़ा बर्तन रखा हुआ था जिसमें गुलाब कि पंखुड़ियां थीं।

निम्मी ने एक अँगूठी उन दोनों को दिखाते हुए कहा " भाई !, भाभी !, आप दोनों को अपने एक एक हाथ इस बर्तन में डालकर इस अँगूठी को ढूँढ कर निकालना है। जिसने निकाल लिया इस शादी में उसी कि हुकूमत चलेगी। " कह कर उसने उस अँगूठी को उस बर्तन में डाल कर घूमा दिया और फिर काउंट डाउन गीनते हुए बोली " 1, 2, 3 ! सर्च ! " उसके कहते ही आरव और अर्श दोनों ने अपना अपना राईट हैंड, उस बर्तन में डाल दिया और उस अँगूठी को ढूँढने लगें।


* * * * * * * * * * * * * *


अर्श और आरव दोनों अँगूठी ढूँढ रहें थे . .। आरव और अर्श के हाथ बर्तन के अंदर एक दूसरे के हाथ से टकरा गये . . . .। अर्श ने आरव कि ओर देखा तो दोनों की नज़र मिली . . .। आरव ने अर्श के हाथ को बर्तन के अंदर पकड़ लिया और उसे कसकर दबानें लगा . . .। पर वह हैरान था कि अर्श के चेहरे पर दर्द कि एक शीकन तक नज़र नहीं आ रही थी। अर्श ने जैसे कैसे कर के आरव से अपने हाथ को छुड़ा लिया और अब अर्श का गुस्सा इतना बढ़ चुका था की वह अब आरव को छोड़ने वाली नहीं थी . . .। उसने आरव की उँगली में अपनी उँगलियों को फँसा लिया और फिर आरव की उँगलीयों को मरोड़ दिया।


आरव ने तुरंत ही दर्द से अपने हाथ को बर्तन से निकाल कर चिल्लाने लगा " आह . . . ! " सभी परेशान होकर उससे पुछने लगें कि आख़िर उसे हुआ क्या . . .। तभी अर्श ने अँगूठी उस बर्तन से ढूँढ निकाला . . .। सभी के चेहरे पर खुशी थी . . .। सिम्मी ने कहा " आरू भाई !, तैयार रहो . . ., अब आपको जिंदगी भर भाभी कि हुकूमत में रेहना है . . . ! " फिर निम्मी, निल और सिम्मी तिनों आरव को " बेस्ट ऑफ लक कहने लगें . . . .। " आरव को इस वक्त अर्श पर बेहद गुस्सा आ रहा था पर उसने कुछ भी कहना या करना ठीक नहीं समझा . . . .।


उसके बाद अर्श ने अपनी मुँह दिखाई और कुलदेवी के मंदिर के दर्शन कि रश्म पूरी कि . . .। उसके बाद आरव अपने ऑफिस चला गया . . .। आरव जैसे ही ऑफिस पहुँचा उसके असिस्टेंट " राकेश " ने आकर उसे ग्रिड किया और बोला " सर ! तनवी मैंम आयीं हैं . . .। " राकेश ने अभी इतना ही कहा था कि आरव कि आँखें तनवी का नाम सुनकर चमक उठीं . .। उसने तुरंत कहा " वो कहाँ है . . . ? "


राकेश ने जवाब में उसे कुछ हैरानी के साथ देख कर कहा " आपके कैबिन के प्राईवेट रूम में . . .। " आरव उसकी बात सुनकर तुरंत ही भागा और अपने कैबिन के प्राईवेट रूम में गया . . .। उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माईल आ गयी उसने जाकर देखा तो वहाँ पर एक पतली दूबली सी लड़की ब्लू कलर कि शॉर्ट ड्रेस पहने वहाँ खड़ी थी . . .। उस लड़की कि पिठ आरव कि ओर थी . . .। उसने पैरों में अपनी ड्रेस से मैचिंग करते हुए हाई हिल्स पहन रखें थें और उसके बाल उसके कन्धों से बस कुछ ही निचे थें . . .।


आरव कि आँखें उसे देखते ही चमक उठीं और वह तुरंत ही जाकर उससे लिपट गया . . .। आरव ने उस लड़की को पीछे से हग कर के उसके कंधे पर अपना सर रख कर आँखें बंद कर लिया और कहा " आई नोव . . . !, आई नोव कि तुम भी मुझसे बहुत प्यार करती हो !, और तुम मेरे पास ज़रूर आ जाओगी . . . .। आई लव यू . . . ! " आरव ने इतना कह कर अपनी आँखें खोलीं और उसके कंधे पर किस कर दिया . . .।


पर उसी वक्त उस लड़की ने आरव को झटक कर खुद से दूर किया और मुड़ कर उसे देखते हुए बोली " डोंट लाई विथ मी ओके ?, एंड बाई द वे . . ., मैं तुमसे ब्रेकअप कर के पूरी तरह से तुम्हारे साथ सारे रिश्ते खत्म करने आई हुँ !, समझे तुम . . .। गुड बाय ! विश यू अ वेरी हैप्पी मैरीड लाइफ़ आरव राठौर ! " इतना कह कर वह वहाँ से जाने लगी . .।


आरव। उसे इस तरह से जाता देख कर लगभग गीड़गीड़ा कर बोला " नो . . . ! तनवी प्लीज स्टॉप ! डोंट गो . . . ! आईल एक्सप्लेन यू एवरीथिंग . . .। " यह कहते हुए आरव तनवी को रोकने लगा . . .।


और तनवी रूक भी गयी . .। पर वह मुड़ी नहीं उसके चेहरे पर एक स्माइल थी जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह जानती थी कि आरव ऐसा ही कुछ करेगा . .। तभी उसके कानों में आरव के उसके नज़दीक आने की कदमों कि आवज़ पड़ी। उसके चेहरे पर जो स्माइल थी वह तुरंत ही गायब हो गयी और उसने अपनी आँखें नम कर के कहा " अब क्या कहना है तुम्हें ?, क्या एक्सप्लेन करोगे तुम . . . !, तुमने तो मुझे डिच करके उस अर्श से शादी कर ली है। " वह यह कहते हुए ऐसे दिखा रही थी मानों वह सचमुच रो ही पड़ी है . . .।


आरव ने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर कहा " नो . . . ऐसा नहीं है डियर . . . . !, मैं तुम्हें कभी डिच नहीं कर सकता . . .। आई रियली लव यू ! " आरव उसे अपने सीने से लगा कर कहने लगा . .।


मौके का फायदा उठाते हुए तनवी भी उसे गले लगा कर रोने का नटक करने लगी . .। आरव उसके बालों को बहुत ही प्यार से सहलाने लगा . .।। वहीं तनवी के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गयी . . .। फिर उसने वापस से अपना चेहरा मासूम दुखियारी लड़की जैसा बना कर आरव के सीने में दफ़न कर लिया . . .। और सिस्कियाँ लेकर रोने का नाटक करनें लगी।

* * * * * * * * * * * * * * 


तनवी आरव के सीने से लग कर सिसक सिसक कर कहने लगीं " मैं मर जाऊँगी . .। मैं अगर तुम्हारी नहीं हो सकती तो मुझे ज़िंदा ही नहीं रहना है . . .। " कहकर वह आरव से दूर होने लगी . .।


आरव ने तुरंत ही उसे पकड़ कर कहा " तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी . .। तो क्या हो गया अगर मेरी शादी हो गयी है तो, पर मैं तुमसे प्यार करता था और हमेशा करता रहूँगा तुम्हें कुछ करने कि ज़रूरत नहीं है। "


" तो मैं क्या करूँ ?, तुम्हारी शादी तो उस अर्श से हो गयी है। मेरा अब क्या होगा ?, अब तो तुम मुझसे शादी भी नहीं कर सकते तो अब मैं जी कर क्या करूँ ? " कहते हुए तनवी रोने लगी।


आरव का अब अर्श पर गुस्सा और भी ज्यादा भड़क उठा, वह मन ही मन बोला " अर्श सींघानिया !, तुम्हारी वज़ह से मेरी तनवी कि आँखों में आँसू आये हैं। मैं अब तुम्हें छोड़ूंगा नहीं। "


तभी आरव ने तनवी को चियर अप करते हुए कहा " हेय ! डार्लिंग . . ., तुम्हें तो नया कॉन्ट्रैक्ट मिला है न ब्राँड कि मॉडल का ? "


उसकी बात पर तनवी ने " हाँ " में सर हिलाया। आरव अच्छी तरह से जानता था कि तनवी को पार्टी, शॉपिंग वग़ैरह बेहद पसंद है और उसके मूड को चियर अप करने का इससे अच्छा तरीका और कोई नहीं। उसने तुरंत गी कहा " तो फिर तुम्हें तो अभी शॉपिंग करनी चाहिए, इस ख़ुशी को सेलीब्रेट करना चाहिए और तुम यहाँ रो रही हो। "


आरव कि बात सुनकर तनवी तो मन ही मन बहुत ही खुश हो गयी पर उसने ना जताते हुए, उदासी भरा मुँह बना कर कहा " तुम्हारे बिना मैं कुछ भी कैसे सेलीब्रेट करूँ। मेरे तो हर पल में तुम हो !, पर अब तुम्हारा हर पल किसी और के नाम हो गया है। तो ऐसे में मैं कुछ भी कैसे सेलीब्रेट करूँ। " तनवी बस आरव को अपने हर बात से इतना ज्यादा गिल्ट में डालने कि कोशिश कर रही थी कि, वह कभी भी तनवी को छोड़ ही ना सके।


पर बेवकूफ आरव को भी अभी ये सब कहाँ समझ आने वाला था। उसने तनवी के चेहरे को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर कहा " ऐसा कुछ नहीं है !, मुझ पर मेरे प्यार पर, मेरी लाइफ़ पर और मेरे हर पल पर सिर्फ तुम्हारा और तुम्हारा ही हक है। "


उसकी बात सुनकर तनवी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी और उसने मन ही मन खुद से कहा " और तुम्हारे पैसों पर भी . . . " और फिर प्यार से आरव कि तरफ देख कर बोली " पक्का ? " तो आरव ने भी हामी भर कर कहा " पक्का ! " तो तनवी खुशी से चहक कर बोली " तो फिर चलो शॉपिंग पर चलते हैं। "


वहीं राठौर मैंशन में अर्श का फैमिली के सभी मेम्बरस् से इंट्रो कराया जा रहा था . .। इंट्रो आरव की माँ " कामिनी जी " करा रहीं थीं। उन्होंने एक आदमी जो लगभग 30 साल का लग रहा था। उसे दिखा कर कहा " यह विशाल है। " फिर उन्हें उसके बगल में खड़ी एक खूबसूरत लड़की को दिखा कर कहा। " और यह इसकी पत्नी है। मेरी दूर कि बुआ कि लड़की के बेटे हैं, ये दोनों मेरे बच्चे जैसे ही हैं, और मेरे साथ ही रहते हैं। "


उनके कहने पर विशाल ने तुरंत ही अपना हाथ अर्श से हैंड सेक करने के लिए बढ़ा दिया। वह कब से ही अर्श को गलत तरीके से घूरे जा रहा था। अर्श उसके आँखों में दिख रहे हाल को बखूबी समझ रही। उसने उसे दूर से ही नमस्ते किया और फिर आगे बढ़ने लगी।


अर्श उनकी बात बढ़े ध्यान से सुन रही थी और फिर मन ही मन बोली " हाँ ! अच्छी तरह से जानती हुँ इसे। इसे क्या इन्फैक्ट आपके पती से लेकर उनके दोस्त, और इस विशाल तक सारे दोषियों कि जनम कुंडली पड़ी है मेरे पास। आख़िर बदला जो लेना है मुझे इस परिवार से, और शुरूआत हो चुकी है अब। " अर्श के होंठों पर हँसी थी पर उसकी आँखें गुस्से के आग से धधक रही थी।


फिर कामिनी जी ने अपने पती के पास खड़े एक आदमी से मिलवाकर कहा " यह अखिल है। आरव के पापा का सबसे खास दोस्त, इनके अलावा एक और दोस्त हैं वो कल यहाँ आयेंगें तुम्हारी शादी में नहीं आ सके ना। "


उनकी बात सुनकर अर्श ने एक प्यारी सी मुस्कान दि और " हाँ " में सर हिला दिया। अर्श ने मन ही मन कहा " हाँ !, आना तो उसे होगा ही, आखिर उसकी मौत जो बुला रही है उसे। " ये सब सोचते हुए अर्श का चेहरा डार्क हो गया और फिर वह तुरंत ही उपर अपने कमरे कि ओर जाने लगी।


तभी उसे पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई " अर्श !, " अर्श पीछे मुड़ी तो उसने देखा कि यह विशाल था। उसने अर्श को देख कर कहा " जी ! मुझे पानी मिलेगा ? " अर्श उसके बात का जवाब दिये बिना सिर्फ " हाँ " में सर हिलाकर। किचन में चली गयी। उसने एक ग्लास उठाया और उसमें पानी भर कर जैसे ही पीछे मुड़ी, वह घबरा गयी। उसने देखा कि विशाल उसके एकदम क़रीब था उसी पल उसका मन हुआ कि वह उसी वक्त उस ग्लास का पानी, विशाल के सर पर दे मारे।


फिर उसने अटक कर कहा " आ . . . आप !, य . . यहाँ ? " अर्श इसके आगे बोल हि नहीं पायी क्योंकि विशाल बेशर्मो कि तरह उसके पास ही खड़ा था और दूर होने का नाम नहीं ले रहा था, जिसकी वजह से अर्श को उससे घिन आ रही थी।


उसने तुरंत ही " पानी के ग्लास को वहां छोड़ा दिया और वहाँ से चली गयी। "अपने कमरे में जाकर उसने अपना फोन उठाकर कुछ टाइप किया। उसने किसी को मेसेज किया था तुरंत ही दूसरी तरफ से रिप्लाई भी आ गया। अर्श के चेहरे के भाव सीरियस थे और उसने फोन एक तरफ रख कर कहा " आज रात के बाद विशाल कल सुबह का सूरज नहीं देख पायेगा . .।


वहीं विशाल के फोन पर किसी का कॉल आया, उसने अपनी पत्नी से हाथ छुड़ा कर तुरंत ही उस कॉल को पिक किया और एक घर के बाहर के गार्डन में बात करने चला गया।

दूसरी तरफ से किसी लड़की कि चीज़ी आवाज़ आयी " मैं आपसे मिलूँगी पर अगर घर पर किसी को पता चल गया तो ? "


उसके जवाब में विशाल ने कहा " उसकी चिंता तुम मत करो !, किसी को कुछ नहीं पता चलेगा !, बस आज रात तुम मून होटल में मिलों पूरी रात रंगीन कर दूँगा। "


उसके जवाब में दूसरी तरफ से आवाज़ आयी " ठीक है ! "


और कॉल कट गया। उसके बाद तो विशाल के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गयी और वह उतावला होकर नाचने लगा। फिर वह अंदर कि तरफ चला गया।


वहीं अर्श अपने कमरे कि खिड़की पर खड़ी सब देख रही थी और उसने कॉल पर किसी से कहा " गूड जॉब !, बकरा हलाल होने के लिए काफ़ी बेताब है। " कहकर उसने अपने फोन को अपने कान से दूर कर दिया। उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थें।


तभी उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ। वह तुरंत हरक़त में आयी और उसने अपनी कोहनी पीछे कि तरफ मार दिया। उसके मारते ही उस हाथ ने उसकी कमर को छोड़ दिया और " आह . . . ! " किसी के कराहने कि आवाज़ उसके कान में पड़ी।


उसे यह आवाज़ जानी पहचानी लगी। वह तुरंत ही पीछे मुड़ी। उसने देखा आरव अपना पेट पकड़े तड़प रहा था। उसने तुरंत ही कहा " आई !, आई एम सॉरी !, तुम यहाँ क्या कर रहे ?, तुम्हें तो इस वक़्त तनवी के साथ होना चाहिए था। "


अर्श के मुँह से निकले शब्द सुनकर आरव एकदम हैरान होकर उसे घूरने लगा। मानों उसके शब्द सुनकर ही उसका सारा दर्द गायब हो गया। उसकी दोनों भौंहें आपस में जुड़ गयीं और वह उसे घूर कर कहने लगा . . . . .


* * * * * * * * * * * *


आरव ने उसे घूर कर देखते हुए कहा " क्या मतलब है तुम्हारा . . . . ? "


उसका सवाल सुनकर अर्श को रियलाईज़ हुआ कि उसने गलती से क्या कह दिया। वह उससे नजरें चुराने लगी और बोली " म . . म मेरा मतलब तुम्हें अपने ऑफिस होना चाहिए। तुम यहाँ क्या कर रहे . . . . ? "


" नहीं !, तुमने अभी अभी तनवी का नाम लिया ?, सच बताओ वरना . . . . " आरव उसे धमका कर बोला।


तो अर्श ने कहा " हाँ !, वो कल तुम कह रहे थे न कि तुम तनवी से प्यार करते हो तो मैंनें तुम्हारे फोन से उसे मेसेज कर दिया ताकी तुम दोनों एक दूसरे से बात कर के सब सॉट कर लो, और मैंनें हमारे डिवोर्स पेपर्स के लिए भी बात कर ली है। "


आरव उसकी बात सुनकर हैरान था। तभी उसके दिमाग़ में ख्याल आया कि हो ना हो ये अर्श उसके साथ गेम खेल रही है। वह उसे घूर कर देखने लगा वह शायद उसके चेहरे के भावों को पढ़कर यह पता लगाने कि कोशिश कर रहा था कि " आखिर अर्श के दिमाग़ में चल क्या रहा है ? " पर उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था . . . . .।।


अर्श ने उस से कहा " क्या हुआ ? " आरव ने उसे कुछ नहीं कहा और बाल्कनी में जाकर कहीं खोया हुआ सा कुछ सोचने लगा। अर्श ने अपने कंधें उच्का दिये और उसे इग्नोर कर दिया। अर्श ने टाईम देखा तो 10 बज रहें थें। वह जल्दी से जाकर सो गयी। " मतलब सोने का नटक करने लगी। " ताकी वह आरव के सोने के बाद अपने काम को अंजाम देने जा सके।


वहीं आरव सोच रहा था कि " आखिर यह लड़की कैसी है ?, माँ ने तो बताया था कि यह मुझे बहुत पसंद करती है। पर यह तो कल रात भी मेरे साथ इंटिमेट होने में नाटक कर रही थी। इन्फैक्ट यह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी। और फिर आज सुबह इसने मेरे हाथ को भी कितनी बूरी तरह से मोड़ दिया था। और इसकी आँखों में तो मेरे लिए जरा भी प्यार ही नहीं दिखता। आखिर यह लड़की है क्या ? कुछ तो गड़बड़ है इस लड़की में ! " यह सब सोचते हुए वह बाल्कनी से वापस रूम में आया और क्लोजेट रूम से कपड़े लेकर शावर लेने चला गया . . . . .।।


कुछ देर बाद आरव शॉवर लेकर बाथरूम से बाहर आया। अर्श अब सो चुकी थी। आरव ने अर्श कि तरफ देखा और फिर टॉवल सोफे पर फ़ेंक कर सोने लगा। आरव सोने कि कोशिश कर रहा था। पर जब उसने आँखें बंद कि तो उसके आँखों के सामने अर्श का चेहरा आने लगा। वह बेचैन हो गया था। उसने तुरंत अपनी आँखें खोल लीं। आरव ने जैसे ही करवट बदली उसकी नज़र अर्श कि पीठ से होती हुई उसकी कमर पर जाकर ठहर गयी। अर्श ने ऑपोजिट साईट चेहरा कर रखा था तो आरव कि तरफ उसकी पीठ थी।


अरव ने अपने सर को झटक दिया और दूसरी और चेहरा कर के सोने की कोशिश करने लगा। पर वह सो नहीं पा रहा था। अब उसे और भी ज्यादा बैचैनी हो रही थी। उसने दो बारा से करवट लिया, और अर्श कि कमर को पकड़ कर उसे अपनी तरफ कर लिया। इससे अर्श ने तुरंत ही अपनी आँखें खोल लीं। आरव तुरंत ही उसके उपर आ गया। और इससे पहले कि अर्श कुछ भी कहती या करती आरव ने उसके होंठों को अपनी होंठों के गिरफ्त में ले लिया। आरव जितना ही उसे कीस करता वह उसमें ही खोता जाता . . . . .।


वहीं अर्श को तो जैसे सदमा ही लग गया था। उसने आरव से ऐसे किसी हरक़त कि कोई उम्मीद नहीं कि थी। क्योंकि वह जितना हो सके उससे दूर रहना चाहती थी और इसीलिए ही उसने तनवी और उसका पैचअप कराना चाहा था। और उसने सोचा था कि आरव डिवोर्स के बारे में जानने के बाद उसके साथ ये सब नहीं करेगा . . . . .। पर यहाँ उसका बिल्कुल उल्टा हो रहा था। . . . . .। अर्श ये सब सोच कर हैरानी से आँखें फाड़ देख ही रही थी कि कीस करते हुए आरव की जीभ ने अर्श कि जीभ को टच कर दी . . . . . । . . . . . . अर्श को तब होश आया, और उस ने कसमसा कर आरव को अपनी पूरी ताक़त से धक्का देकर खुद से दूर किया। आरव उसके बगल में लेट गया। दोनों ही तेज़ साँसें लेनें लगें। अर्श ने आरव को घूर कर देखते हुए कहा " जब तुम मुझसे प्यार नहीं करते, तो फिर इस सब का क्या मतलब है ?, देखो प्लीज मुझसे दूर रहो। " वह उससे जवाब नहीं चाहती थी। क्योंकि उसे उससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। पर वह ये सब बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। इसलिए वह उसे इस सवाल से सोचने पर मजबूर करना चाहती थी . . . .। कि वह गलत कर रहा है। क्योंकि इस वक्त वह इसके अलावा और कुछ कर भी नहीं सकती थी। क्योंकि उसे अपनी आइडेंटिटी छिपा कर रखनी थी। इस वक्त उसे आरव पर इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका मन हो रहा था वह अभी के अभी आरव को जान से मार दे। 

तभी आरव ने उसका आर्म पकड़ लिया और उसके उपर आ गया। वह अर्श के आर्म पर जोर दे कर अपनी आँखों में गुस्सा भर कर बोला " तुम . . . . . " 

* * * * * * * * * * * * *


आरव कहते हुए रूक गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि " आखिर अर्श है क्या ? ", " और क्या करना चाहती है ? " वह जब भी अर्श कि आँखों में देखता, उसकी ओर खिंचाव सा महसूस होता उसे, और वह उनमें ही खोकर रह जाता। उसे समझ नहीं आ रहा था कि " आखिर यह क्या हो रहा है उसके साथ ? " दूसरे उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि जब भी वह उसके मन कि बात जानने कि कोशिश करता। वह वो भी नहीं कर पाता था। उसे अब बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेशन होने लगी थी। उसने अर्श के आर्म को छोड़ दिया और बेड से उठकर उसने बेड के पास वाले ड्रावर को खोला और उसमें रखे सिग्रेट के पैकेट से एक सिग्रेट और लाइटर निकाल लिया, फिर वापस बाल्कनी में चला गया। उसने सिग्रेट जलाकर एक कश ली और उसके धुँए के बीच से चाँद को देखते हुए कुछ सोचने लगा। उसने अपने हाथ रेलिंग पर टिका लियें। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थें। आरव को सिगरेट पिने कि लत नहीं थी बस वह टेंशन के टाइम ही पीता था।


वहीं रूम में अर्श आरव के बिहेव से बिल्कुल हैरान और परेशान थी उसने आरव को देखा और मन ही मन बोली " ये कैसा मेंटल पती है यार ?, मतलब कुछ भी !, कल तक तो इसे अपनी गर्लफ्रेंड से शादी ना होने का सदमा था। जिसमें इसने मेरे साथ . . . . . | और अब जब मैंनें इसे इसकी गर्लफ्रेंड वापस दि। तो भी यह मुझसे . . . . | लगता है !, बचपन में कहीं गिरा होगा !, छोड़ो यार मुझे क्या ? " सोचते हुए उसने अपना सर झटका। फिर वह आरव को देख कर बुदबुदाइ " अरे यार !, सो जा अब !, सोने का क्या लेगा तू ? " फिर उसने सर घुमाकर टेबल पर रखे क्लोक में टाइम देखा | और उसका चेहरा सीरियस हो गया। उसने मन में कहा " लगता है अब कुछ करना ही होगा। " फिर वह बेड से उठी। उसने टेबल पर रखे ग्लास में पानी डाला और लेकर आरव के पास गयी। उसने वह ग्लास का पानी आरव के सामने किया और बोली " अगर टेंशन है तो पानी पी लो . . . ! " आरव एक बार को तो उसे झिड़क देने वाला था पर ना जाने क्या सोचकर उसने अपने सिग्रेट को पैरो से रौंद कर बूझा दिया और अर्श से पानी लेकर पी लिया।


अर्श के चेहरे पर वैसे तो कुछ खास भाव नहीं दिख रहें थे पर शायद वह यही सोच रही थी कि " कहीं आरव ने पानी नहीं पिया तो ? " पर आरव ने पानी का ग्लास उसके हाथ से लेकर पानी पी लिया। अर्श उसके हाथ से ग्लास वापस ले लिया। अचानक ही आरव को यह महसूस हुआ कि उसकी आँखें भारी हों रहीं हैं। मानो उसे बहुत ज्यादा नींद आ रही हो। वह कमरे में गया और जाकर बेड पर लेट गया। लेटते ही उसने आँखें बंद किं और उसे नींद भी आ गयी।


अर्श ने जब देखा कि आरव बेड पर सो गया है। वह भी अंदर गयी। उसने ग्लास को टेबल पर रखा और एक नज़र आरव को देखा। तभी उसके फोन पर शायद कुछ मेसेज आया उसने देखा। और फिर कुछ टाइप कर के सेंड किया। फिर वह क्लोजेट रूम में चली गयी। कुछ देर बाद वह बाहर निकली। उसने ब्लैक कलर कि स्किनी जिंस और ब्लैक टॉप पहन रखा था और उपर से ब्लैक कोट डाल रखा था। उसने अपने बालों को सलीके से पौनी टेल में बाँध रखा था। उसने हाथों में ग्लवस पहन रखें थें और पैरों में ब्लैक बूटस्। उसने अपने चेहरे पर एक ब्लैक मास्क पहना और कैप लगा कर एक गन को अपनी कमर में पीछे टिका कर रख लिया। और बाल्कनी से कूद कर चली गयी। गेट के बाहर एक रौयल एनफील्ड बूलेट पर एक आदमी बैठा था जिस्का हुलिया बिल्कुल अर्श जैसा ही था। उसने अर्श को देखा तो पीछे कि सीट पर बैठ गया। अर्श ने उसे देखा पर कुछ भी नहीं कहा और ना ही रिएक्ट किया वह जाकर सीधा बूलेट पर बैठी और उसने बूलेट स्टार्ट कर दी।


दोनों में से किसी ने भी कुछ नहीं कहा। अर्श बुलेट काफ़ी तेज़ चला रही थी। कुछ दोर बाद वो दोनों एक बिल्डिंग के निचे खड़े थे। जिसके टॉप पर एक ब्राइट लाइट से " मून होटेल " लिखा बोर्ड टंगा था। असल में यह वही मून होटेल था, जहाँ विशाल को बूलाया गया था। वहाँ पहुँच कर अर्श ने बुलेट को ब्रेक लगा कर रोक दिया। उसके बाद उसके पीछे वाला शख्स उस बुलेट से उतर गया। दोनों ने उस बिल्डिंग को सर उठाकर देखा। फाइनली उस शख्स कि आवाज़ सुनाई दि जब उसने अर्श से कहा " क्या हम उसे अभी मार देंगें ? या फिर उसके तिसरे साथी के बारे में जानने तक उसे टॉर्चर करेंगे ? "


उसकी बात सुनकर अर्श ने एक गहरी साँस ली और बोली " पता नहीं !, मूड पर डिपेंड करता है। वैसे भी बोहोत ठरकी है ये, क्या पता, दिमाग़ ख़राब कर दिया।तो अभी ही उड़ा दूँगी। " उसके बाद दोनों ने कुछ नहीं कहा। उस शख्स ने सिर्फ अपना सर हिला दिया। उसके बाद अर्श उस होटेल के अंदर चली गयी। उसने रिसेप्सनिस्ट से रूम पता किया। उस रिसेप्सिनस्ट ने उसे 104 में जानें को कहा। क्योंकि अर्श का हुलिया कुछ अज़ीब था तो उसे अर्श में कुछ गड़बड़ लगी। उस रिसेप्सनिस्ट ने उसे शक कि निगाहों से देखा। 

* * * * * * * * * * * * * 


अर्श जानती थी कि वह रिसेप्सनिस्ट उसके काम में गड़बड़ी करा सकती है। वह रिसेप्सनिस्ट उसे देख ही रही थी और अर्श ज़ल्दी से लिफ़्ट में चली गयी। अर्श के लिफ़्ट में जाते ही, वहाँ उस रिसेप्सनिस्ट ने सिक्योरिटी गार्डस् को बूला लिया। वह भी उसके पीछे उन्हें लेकर जानें लगी। लिफ्ट बिजी होने कि वजह से उन्हें सीढ़ियों से जाना पड़ा। तब तक अर्श उस कमरे में पहोच चुकी थी। उसने कमरे में जा कर दरवाज़ा बंद कर दिया। वहाँ कोई भी नहीं था। शायद उस रूम में जिसने चेक इन किया था, वह अंदर के कमरे में था। पर अर्श के दरवाज़े को बंद करने कि आवाज़ से वह आदमी बाहर आया। उसने सीर्फ टावल लपेट रखा था। वह कुछ हैरानी से अर्श को देखने लगा, पर अर्श ने उसे इग्नोर किया। उसने अपनी रिस्ट पर लगायी वॉच में टाइम देखा। फिर वह उस आदमी को आँखें सिकुड़ कर उपर से नीचे तक स्कैन करने लगी। मानो कह रही हो कि " तुम्हें मेंन काम के अलावा सारे फाल्तू कि कामों में टाइम वेस्ट करने में, बड़े मज़े आते हैं। "


जब उस आदमी ने अर्श कि आँखों को देखा तो उसने दोनों हाथों से अपने चेस्ट को ढक कर कहा " व्हाट ?, शर्म नहीं आती तुम्हें ?, शादी सूदा होकर एक कुंवारे हैंडसम लड़के को घूर रही ! "


उसकी इस बात पर अर्श ने उसे घूरा और बिना किसी एक्सप्रेशन के बोली " शट अप !, वरना . . . " उसने इतना ही कहा था कि वह लड़का डर गया और अपने सफेद दाँत दिखाने लगा। अर्श ने इरिटेट होकर कहा " अब दाँत फाड़ना बंद करके, काम पर लगोगे ? या इन्हें तोड़ना है ? " अर्श उसके दाँत को देख कर कहा।


उसकी बात सुनकर वह लड़का ज़ल्दी से कमरे में भागा। अर्श भी जाकर सोफे पर बैठ गयी। फिर उसने कॉफी टेबल पर रखा लैप्टॉप खोल लिया। उसने उसमें पासवर्ड डालकर खोला और स्क्रीन को देखने लगी। यह देखने में किसी रूम कि फुटेज लग रही थी। तभी उस फुटेज में एक आदमी दिखायी दिया। जिसने हाथ में शराब का ग्लास पकड़ रखा था। वह बार बार रूम में इधर-उधर चल रहा था। शायद वह किसी का इंतजार कर रहा था। यह इंसान और कोई नहीं बल्कि विशाल ही था। अर्श फुटेज देख ही रही थी कि वह लड़का अपने बालों में हाथ फेरते हुए वापस से कमरे से बाहर आया। इस बार उसने एक चेक शर्ट और नीचे ट्रैक लोअर पहन रखा था। यह लड़के कि हाइट लगभग अर्श से थोड़ी ऊँची थी। उसकी जॉ लाइन्स और बॉडी भी पर्फेक्ट थीं, और रंग भी गोरा था। वह आकर अर्श के पास सोफे पर बैठ गया और लैपटॉप में देख कर बोला " बोहोत उतावला है !, पिछले 1 घण्टे से ऐसे ही रूम में टेहल रहा है। इसे देख देख कर तो मैं थक गया। " वह लड़का कहता ही जा रहा था। इस बात से बेखबर कि अर्श उसे घूर रही थी।


अब गुस्से से घूर रही थी या फिर कुछ और यह तो वही जाने पर जब उस लड़के को खुद पर किसी के नजरों कि तपिश महसूस हुई तब उसने अर्श के चेहरे को देखा। अर्श कि आँखें देख कर वह एक पल को काँप उठा और मन ही मन बोला " अब मैंनें क्या कर दिया ?, क्या अब फिर से मुझसे कुछ गलती हो गयी ? "


फिर उसने अर्श कि ओर देख कर पूछा " क्या हुआ ? " उसने काफ़ी डरते हुए ये शब्द कहें। अर्श आँखें सिकुड़ कर उसे घूरते हुए बोली " ऐसे कैमरा फ़िट करते हैं ?, बेवकूफ !, गधे !, आधी स्क्रीन तो सूटकेस से छिप गयी है। इसमें हम क्या देखेंगे ? क्या रिकॉर्ड करेंगें ? तुम . . . . " वह कह ही रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने अपने होंठ भींच कर दरवाज़े को देखा और बोली " लो अब इन महाशय कि ही कमी थी . . . . "


तो वह लड़का अपना सर खुजा कर बोला " क्या हुआ ?, कौन है ? " उसकी बात पर अर्श ने दाँत पीसकर उससे कहा " सिक्योरिटी गार्डस् ! " कहकर उसने कहा " अब हैंडल करो इन्हें ! " इस बात पर उस लड़के ने मन ही मन सोचा " ये सही रहेगा !, मैंने अभी काम बिगाड़ा है उसकी भरपायी के लिए मैं इन्हें हैण्डल कर लेता हूँ कम से कम अस्सू का गुस्सा तो कम हो जाएगा। " सोचते हुए उसने अर्श से कहा " बस इतनी सी बात !, मैं अभी इन्हें हैण्डल करता हूँ और आप जाकर ड्रेस चेंज कर लो। " कहकर वह दरवाज़े कि तरफ बढ़ गया, और अर्श अंदर के कमरे कि ओर बढ़ गया। उस लड़के ने दरवाज़ा खोला और देखा सामने रिसेप्सनिस्ट और दो सिक्योरिटी गार्डस् थें। उसने एक मुस्कान के साथ उनसे पोलाइटली कहा " येस ? "


उसे देख कर उस रिसेप्सनिस्ट ने बड़ी ही पोलाइटली कहा " सर ! एक्चुअली एक लड़की ने काले कपड़े और मास्क पहन रखें थें और उसने आपका रूम पूछा था। सो वी आर जस्ट हियर टू चेक, आर यू सेफ ? हू इज शी एंड वेयर ? " उसकी बात पर वो लड़का हँसते हुए बोला " ओह ! वो लड़की, एक्चुअली वो न मेरी . . . ., एक्चुअली वो मेरी . . ., हाँ वो तो मेरी गर्लफ्रेंड है ! "


उसकी बात सुनकर वह रिसेप्सनिस्ट शॉक होकर बोली " व्हाट ? " तो वह लड़का कुछ शर्माते हुए बोला " एक्चुअली न ! वो बहुत नॉटी है . . . . तो ऐसे ही मुझे परेशान करने के लिए अलग अलग ड्रेसअप में आती है। "


फिर रिसेप्सनिस्ट ने कहा " तो मैम अभी कहाँ हैं ? " उस पर वो लड़का बोला " अब क्या आप हमारे पर्सनल स्पेस में भी इंटरफेयर करेंगी ? "


उस पर वो रिसेप्सनिस्ट झेंप गयी और बोली " सॉरी सर ! एन्जॉय योरसेल्फ ! " फिर वह वापस चली गयी। तभी अर्श अंदर के कमरे से बाहर आयी। उसने अपने कपड़े कुछ खास नहीं बदलें थें। उसने बस अपने जैकेट के अंदर टॉप को चेंज कर दिया था। उसे ऐसे देखकर वह लड़का बोला " अस्सू ! " उसने इतना ही कहा कि उसे अपनी गलती रियलाइज हुई और वह अपने शब्दों को सही करते हुए बोला " आई मीन कैप्टेन !, तुमने ड्रेस चेंज नहीं किया ? " उस पर तो अर्श का दिमाग़ और खराब हो गया और उसने दाँत पीसकर कहा " कैसी ड्रेस है वो ?, वो पहनूँ मैं ?, निहायती घटिया ! "


उसकी बात सुनकर वह लड़का सर खुजा कर बड़बड़ाते हुए बोला " पर मेरी गर्लफ्रेंड ने पहनी थी तो बहुत ही हॉट लग रही थी। " भले ही उस लड़के ने ये बात बहुत ही धीमी आवाज में कहा था पर अर्श ने यह सुन लिया था और वह तुरंत ही उसे झिड़क कर बोली " शट अप !, अपनी गर्लफ्रेंड को ही दिया करो ! " फिर वह कमरे से निकल गयी। वह कॉरिडोर से कुछ दूर गयी और उसने एक कमरे का दरवाजा नॉक किया। उस कमरे के दरवाजे को विशाल ने खोला। उसकी आँखें शराब कि नशे में पूरी तरह से डूबी हुई लग रहीं थीं। उसने अर्श को उपर से निचे तक देखा और उसकी नज़र अर्श के खुले हुए पेट पर टिक गयीं। उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गयी। अर्श उसकी नज़रों से अंजान नहीं थी। उसकी मुट्ठियां भींच गयीं उसका मन कर रहा था कि वह इस इंसान को अभी ही गोली मार दे। तभी उसने अपने कान में जो ब्लूटूथ पहन रखा था उसमें होटेल के बाहर खड़े उस आदमी कि आवाज़ आयी। जो बुलेट पर उसके साथ आया था। उसने कहा " अर्श ज्यादा टाइम नहीं है या तो इंवेश्टीगेट करो या फिर उठवा लो इसे। अपनी तरह से पूछताछ करेंगे। इस जगह पर कुछ हंगामा नहीं कर सकते। " अर्श ने उसकी बात सुनी पर कोई रिएक्ट नहीं किया। वह रूम में अंदर गयी।



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