Versha Janardan

Inspirational

4.5  

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वैद्य बाबा

वैद्य बाबा

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"मेरे जीवन को हर पल inspire करने वाले व्यक्ति, मेरे वैद्य बाबा "

मेरे गांव में रहने वाले जीवन बाबा,जिसे मैं वैद्य बाबा कहकर बुलाती हूं।जैसा उनका नाम,वैसा ही उनका नाम भी है।

वैद्य बाबा एक किसान हैं और एक मजदूर हैं।साथ- ही -साथ एक वैद्य भी हैं।

बाबा के दो बेटे हैं और एक बेटी, पत्नी और मां।जिन पर वो अपना जान न्यौछावर करते हैं।उनका एक बेटा शारिरिक रूप से बेहद कमजोर है, वह बोल और सून नहीं सकता।

बाबा का जीवन ऐसा है जैसे रोज कुंआ खोदो और रोज पानी पियो।

बाबा के जीवन में ऐसा कोई दिन नहीं आया,कि उनका वो दिन बिना संघर्ष से बिता हो,उनका हर दिन एक संघर्ष है।

बाबा किसान तो हैं,पर उनके पास जो एक खेत था,वह भी नहीं उनके पास।

अपने बहन के बेटे को बचाने के लिए उन्होंने अपना खेत बेच दिया। बेहद लगाव था उन्हें अपने खेत से। मां से कम नहीं थी उनके लिए।पर बहन के लिए उन्होंने उसका भी त्याग कर दिया लेकिन ना तो अब उनके पास वो खेत रहा और ना ही वो बच्चा।

बाबा ने कहा था एक बार मुझे,कि उस बच्चे ने उनसे यह बात कही थी -----मामा जी बचा लिजिए मुझे ! नहीं जाना आप सब को छोड़कर।बचा लिजिए मामा जी मुझे ! 

बाबा ----- नहीं बचा पाया बिटिया मैं उसे।

बाबा को देखा था मैंने, कितना लगाव था उन्हें अपने भांजे से । अपने बेटे की तरह मानते थे।

बाबा को मैंने बिलखते हुए भी देखा था,जब उनका भांजा इस दुनिया को छोड़ कर चला गया था।

मैंने उन्हें यह कहते हुए भी सुना था --- भगवान तेरी लीला भी गजबे है। तुझे दोष सकूं इतना बड़ा व्यक्ति नहीं। तुने यह दुख दिया है मोक्ष, उसे खुद हरेगा भी ।

शायद मुझसे ज्यादा तुझे जरूरत थी मेरे बच्चे की । ध्यान रखना उसका,बस इतनी सी गुज़ारिश है और मेरी बहन को सम्भालिएगा भगवान।

बाबा के पास उस खेत के अलावा कुछ भी नहीं था।इस कारण उसके जाने के बाद मजदूरी करना शुरू कर दिया।

हर रोज मैंने उनका थका हुआ चेहरा देखा है। फिर भी उन्हें यह कहते हुए सुना है ---- नहीं थका हुआ अभी ! 

बाबा के पास कुछ नहीं है देने को, कभी - कभी उन्हें खुद ही मांगना पड़ता है।तो बाबा किसी को क्या ही दें।

पर बाबा वैद्य हैं,जिसका ज्ञान उन्हें भगवान ने वरदान स्वरूप दिया है। बाबा इस कला को भगवान का आशीर्वाद मानते हैं। जिसका उपयोग वे नि: स्वार्थ भाव से करते हैं।

बाबा कोई social worker नहीं है,बस मन की शांति के लिए ल

वो यह करते हैं।

बाबा से मैंने यह भी सवाल किया था -------- बाबा अगर आप अपने लाए हुए इन जड़ी बूटियों के थोड़े पैसे लेते तो, वक्त पर आपको पैसों की तंगी कम होती।

( मैं जानती हूं बाबा जड़ी- बूटियों को कितनी मेहनत से लाते, कुछ तो पहाड़ियों में पाए जाते हैं।) 

बाबा की हर दवाई असर होती है।

बाबा ने मेरे इस सवाल पर यह जवाब दिया ---- ठीक कहा बिटिया तुने। इससे आ सकती है, थोड़ी आमदनी हमारे घर ।पर संतुष्टि और सुकून नहीं।

बिटिया तु तो जानती है ना कैसा है मेरा जीवन। किसी को कुछ हुआ चीज खरीद कर या अपनी कुछ पुरानी चीजें भी किसी को नहीं दे पाता हूं, क्योंकि खुद हमें इन सब चीजों की जरूरत होती है।

इसलिए जो दे सकता हूं बिटिया, वहीं सब देता हूं लोगों को। अपने इस विद्या के सहारे लोगों के थोड़े शरीर के कष्ट दूर कर देता हूं। जिसके लिए वो मुझे लाखों दुआएं देते हैं।

जो मेरे बच्चों के लिए कमाता हूं।

"प्रणाम आपको वैद्य बाबा"

समाप्त।

दादा जी आपको तो पता चल गया होगा ना, हमने किसके बारे में लिखा है,है ना दादा जी !


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