shiv kriti raj

Inspirational

4.5  

shiv kriti raj

Inspirational

उस बच्ची की मुस्कान

उस बच्ची की मुस्कान

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ये कहानी उस बच्ची की जो अपनी रोज़मर्रा की तरह निकल पड़ी थी आज के दिन को भी खुशनुमा बनाने। 

एक 7-8 साल की प्यारी प्यारी गुड़िया जैसी बच्ची अपनी बड़ी बहन(12 साल) की उंगली पकड़ कर शायद ये सोच रही हो ,आज का दिन कही तकदीर बदल दे ,पर शायद ईश्वर को ये अभी ये मंजूर न हो। मेरी मुलाकात उससे गरौल स्टेशन (बिहार) पर हुई जब मैं अपने डॉक्टर से मिलने पटना जा रहा था। ट्रेन की स्टॉप नहीं होने पर गुस्सा तो आ रहा था पर मेरी किस्मत शायद ये चाहती थी कि उस प्यारी सी गुड़िया की दर्शन हो जाए। ट्रेन के आधे घंटे रुके रहने पर मैं ट्रेन से उतरकर ट्रेन की हालत जानना चाहा,तभी दूर से दोनों बच्ची दौड़ी चली आ रही थी जैसे उससे अपनी मंज़िल पे जल्दी पहुंचना हो। मेरे डिब्बे के सामने आ कर बड़ी बहन ने कर्तव्य निभाते हुए अपनी छोटी बहन को पहले चढ़ाया और फिर खुद चढ़ गई। मेरे लिए जैसे वो आकर्षण का केंद्र बन गई हो, मैं उसे ही देखे जा रहा था पता नहीं क्यों।

ट्रेन रुकी रही, सभी बेसर्बी से इंतजार कर रहे थे पर उनसे भी ज्यादा वो दोनों बच्चियाँ। भूख के कारण छोटी बच्ची उतरी और मूंगफली वाले से मूंगफली ख़रीद के जा रही थी तभी उसे एक अंधा आदमी दिखा जो एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में जाने वाला था, सभी लोगो को लगा की ये उस अंधे आदमी की रोज़ की बात है वो कर लेगा पर शायद उस बच्ची की मासूमित को नहीं। उसने अपनी मूंगफली अपनी बड़ी बहन को दिया और चल पर उस आदमी की मदद करने को । उसने उस व्यक्ति का हाथ थामा और दूसरे डिब्बे तक पहुंचने में उसकी मदद की। सारे लोग ये मंजर देख रहे थे,और उस बच्ची की चेहरे पे एक अलग ही मुस्कान झलक रही थी। वास्तव में उसने अपनी मासूमियत से सबको मोह लिए था। 


कुछ देर बाद दोनों बेहनें उतरी, शायद उसे विश्वास हो गया था कि ट्रेन अभी नहीं खुलने वाली। बड़ी बहन ने झोला से तबला निकाला और अपना खेल दिखाने लगी,सभी लोग आश्चर्य से देखने लगे और सोचने लगे ये कैसे हो सकता है ,पर दोनों बच्चियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों की ये ही उनका पेशा था और ये ही उनकी कमाई। वो दोनों बड़े आराम से तरह तरह के खेल दिखाने लगी,जब बड़ी बहन तबला बजाती तब छोटी बहन करतब दिखती और जब छोटी बहन बजाती तब बड़ी। सभी लोग बड़े प्यार से उन दोनों को उत्साहित करते रहते है क्योंकि वो थी ही इतनी प्यारी। 

अभी 5-10 मिनट हुए ही होंगे कि तभी ट्रेन का सिग्नल हो जाता है और सभी अपनी अपनी डिब्बों की तरफ भाग उठते है, उस दोनों बच्ची के चेहरे पर एक मायूसी छा जाती है ,और हो भी क्यों ना उन्होंने कड़ी मेहनत जो की थी।फिर वो पैसे मांगने लगती है, अचानक ही छोटी बच्ची मेरे पास आकर कहती है भैया पैसा दीजिए ना और मैं सिर्फ उस दो टूक देख रहा था, मैंने जेब से पैसे निकाल कर उस दे दिया और वो मुस्कुरा कर चली गई।धीरे धीरे सब ट्रेन में चढ़ने लगे ।

वो बच्चियाँ फिर से मेरे डिब्बे में थी और पैसे गिन रही थी। वो मुस्कुरा तो रही थी पर दिल से नहीं,मुझसे रहा नहीं गया और चल पड़ा उनसे बातें करने।मैंने सबसे पहले पूछा पढ़ती हो तुम दोनों, बड़ी बहन ने कहा" हाँ "और छोटी मुस्कराने लगी। फिर मैंने उनसे उनके परिवार के बारे में जानना चाहा ,उसने बताया कि उसके घर में वो ही एक कमाई का जरिया है जो अपने परिवार का पालन पोषण करती है।दिन भर कमा के शाम में फिर वो चली आती हैं और रात में अपनी मां के कामों में हाथ बंटाती है।

मैं खुद ये सोचने लगा कि हर व्यक्ति को ऐशो आराम नहीं मिल पाता ,उनके लिए उन्हें कठिन मेहनत का सामना करना पड़ता है और उसके बाद जो एक सुकून भरा मुस्कान मिलता है वो शायद किसी भी दौलत से खरीदी नहीं जाती। बेशक ये गरीब है पर असली अमीर तो लोग दिल से होते हैं और मेरे नजर में सबसे अमीर है क्योंकि ये मेहनत करते है किसी के सामने सर नहीं झुकाते। 


जिस उम्र में इन छोटे छोटे बच्चों को अपने भविष्य पे ध्यान देना चाहिए उस उम्र में ये दर दर की ठोकरें खा रहे हैं,और ना जाने कितने बच्चे ऐसे ही हालात से तंग है। शायद ये हमारी सरकार और हमारी अब तक की सबसे बड़ी हार है,मौजूदा तारिक में बच्चे भुखमरी से मरे ही जा रहे हैं और सभी चुप बैठे है। बेशक सभी के चेहरे पे मुस्कान होंगी पर उनके पीछे का दर्द बहुत ही भयानक होगा। हमलोग ऐसे ऐसे बच्चो को देखते है तो रूह काप उठती है,फिर भी वो मुस्कान लेके चल पड़ी है जीवन से लड़ने।


वो सारे बच्चे अपने जीवन के दर्द को बहुत चतुराई से मुस्कान में बदल लेते हैं जैसे कि ये दोनों बच्चियों को देख लग रहा था। धीरे धीरे सभी अपनी अपनी मंज़िल पे उतरने लगे,फिर मै भी उतर गया चेहरे पर एक मुस्कान लेके मानो उसने मुझे सीखा दिया हो जीवन से लड़ना, मानो उसने मुझे एक नई ऊर्जा दी हो। मैं सभ कुछ भुला पर आज भी उसकी मुस्कान मुझे याद आती है जब भी में परेशान होता हूं क्योंकि "रोने की वजह कोई दूसरा दे ही देता है, मुस्कुराना तो खुद ही पड़ता है ना।" 



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