उभरते सपने
उभरते सपने
वर्तमान समय में महिलाओं ने घर की दहलीज से लेकर माउंट एवरेस्ट की चोटी तक खुद को साबित किया है। महिलाओं ने खुद के सपने को पूरा करने के लिए अपने हौसलों को शिखर तक पहुंचाया है। कुछ समय पहले जहां समाज के कुछ लोगो के मन में महिलाओं के लिए हिन भावनाए पनप रही थी। बेटियों ने खुद को साबित करके उन लोगो को गलत साबित कर दिया है। कुछ घरों में जब बेटियों का जन्म होता था तो लोगो के रूढ़िवादी ताने शुरू हो जाते थे। लेकिन जब उन बेटियों ने खेल के मैदान से लेकर जंग के मैदान में अपनी काबिलियत को साबित किया है। अनेक वीरांगना गीता फोगाट, बबीता फोगाट, पीवी सिंधू, साक्षी मालिक, एमसी मैरीकॉम जैसी अनेक वीरांगनाओ ने अपने आप को साबित करके उन रूढ़िवादी विचारधारा को परिवर्तित करने का कार्य किया है। आज समाज में ना जाने कितने लोगो की प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।उन्होंने सभी युवाओं को अपनी ऊर्जा को पहचानने के लिए प्रेरित किया है। और हमेशा उनको यूथ आइकॉन के नाम से अलंकृत किया जाए तो गलत बात नहीं होगी।
आज भी हमारे समाज में बेटियों को कितनी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है । आज भी ना जाने कितनी बेटियों को दहेज के लिए प्रताडित किया जाता है। जो हमारे समाज के लिए एक कलंक है। एक लड़की के माता पिता अपनी सारी उम्र उस लड़की के लालन पालन में लगा देते है। फिर भी कुछ लोगो की गलत मानसिकता के कारण दहेज जैसी कुप्रथा को बढ़ावा दिया जाता है। और ना जाने कितने लोगो द्वारा उन महिलाओं के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती है। लोगो को इस कुप्रथा को बन्द करना चाहिए। और हमेशा महिलाओं का आत्म सम्मान करना चाहिए। मा की कोख से जन्मी नवीनतम बच्ची को समाज में लाकर उसके सपनों को उड़ान देनी चाहिए। घरेलू कलह में भी महिलाओं का दमन किया जाता है उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती हैं।जिससे वह बहुत आहत हो जाती हैं और खुद को अहसहज महसूस करती है।
इस तरह उनको प्रताड़ित करना एवम् तरह तरह के नकारात्मक शब्दांश का प्रयोग करके इंसानियत को तार तार नहीं करना चाहिए।बल्कि उनका सहारा बने और उनको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए। अशिक्षा भी हमारे समाज के पतन का मूल कारण है जिससे व्यक्तित्व का समग्र विकास ना हो पाने के कारण वह किसी दूसरे पक्ष पर अपनी इच्छाओं और गलतियों को थोप देता है। जो उसकी नकारात्मकता को प्रकट करता है आज के युग में महिला अपनी जिम्मेदारी को उठाने में निपुण हैं और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत भी है।ये हमारे समाज के लिए एक सकारात्मक सूचक है अगर उनको कोई कमजोर समझता है तो यह उनकी मानसिक अवरुद्ध ता का सूचक है लेकिन कुछ राक्षस हमारे समाज में ऐसे भी हैं जो अपनी हवस के लिए बेटियों का जिस्म नोच लेते हैं ऐसे दरिंदों को उनके इस कुकृत्य के लिए कठोर सजा का प्रावधान करना चाहिए जिससे बेटियों पर हो रहे अत्याचार बंद हो और दुष्ट कृत्य करने वालों को सबक मिले।महिला सशक्तिकरण सर्वोपरि है। चरण पादुका स्पर्श ________________(समाप्त)
