SIJI GOPAL

Drama

5.0  

SIJI GOPAL

Drama

तुम आज भी मेरी हो

तुम आज भी मेरी हो

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आज पूनम की शादी है। उसके घरवाले जानते थे कि मैं उसकी शादी पर नहीं जा सकता, फिर भी न जाने क्यों यह शादी का कार्ड भेजा है ? कहीं वो भी मेरी लाचारी का मज़ाक तो नहीं उड़ा रहे हैं ? क्या मैंने अपनी खुशियों को पूनम की झोली में डाल कर गलती कर दी ? ज़िन्दगी के उस दोराहे पर मैंने पूनम से नाता तोड़ कर, खुद को मौत की ओर तो नहीं मोड़ दिया ना ? वो मुश्किल फैसला लेते वक्त तो मेरे होंठों पर पूनम के लिए सिर्फ दुआएं थीं, फिर आज क्यों उसकी यादें मेरी आंखों में आंसू भर रही हैं ? 

उस एक्सीडेंट ने हमारी ज़िंदगी ही बदल दी।

मुझे व्हीलचेयर के सहारे का मोहताज कर दिया। पूनम के शरीर पर एक खरोंच भी नहीं दिखाई दे रही थी। दर्द अपने अपाहिज होने का इतना न हुआ, जितना पूनम की आंखों में खुद के लिए बेगानापन देख कर हुआ। हमारा प्यार, वो वादें, हमारी शादी, सब कुछ अब पूनम के लिए कोई मायने नहीं रखता था। 

उस हादसे के चार महीनें बाद जब मुझे डिस्चार्ज मिल रहा था तो मुझे मिलने पूनम के पिता आए थे। मेरी आंखे पूनम को ढूंढ रही थी, पर पूनम तो मुझसे कोसों दूर जा चुकी थीं पूनम के पिता ने उस दिन जैसे मेरे बेजान पैरों को छूकर मेरी जान ही मांग ली हो। बहुत सोचने के बाद मैंने भी तलाक़ के पेपर्स पर अपना अंगूठा रखने के लिए हामी भर दी। जिसे मेरा चेहरा भूल गया हो, उसपर अपने इस लाचार शरीर का बोझ क्यों दूं ? 

काश उस दिन गाड़ी चलाते वक्त मैंने मोबाइल न उठाया होता ? काश उस हादसे में मेरे गर्दन से नीचे के हिस्से को निर्जीव न बनाया होता ? काश मेरी पूनम की याददाश्त उस दिन नहीं, अब वो मेरी पूनम नहीं रही, बस एक गुज़ारिश है आप लोगों से हमारी पुरानी ज़िंदगी का ज़िक्र कभी पूनम से न करना कुछ राज़ बनकर, कुछ यादें बनकर मेरे साथ ही दफ़न कर देना, दिल तोड़कर पूनम गई‌ होती, तो ये गीत गाता, पर यादें छोड़ कर जानेवाले से क्या गुज़ारिश और क्या इल्तज़ा !

दिल की गली में तन्हा कर,

सामान बांधकर तुम्हारा जाना,

रोकेंगे न हम, बस गुज़ारिश,

हमारी ज़रा सुनते हुए जाना !


लिखी थी संग मिलकर,

वादे,कस्मों की वो किताब,

जीवन भर साथ है निभाना,

चलो जिल्द तुम रख लो,

वो प्यार के पन्ने छोड़ जाना !


याद सताता है आज भी,

इस दहलीज को वो दिन,

सौलाह श्रृंगार में तेरा आना,

चलो पायल तुम ले जाओ,

वो झनकार छोड़ जाना !


आज हूँ मैं बैसाखी पर,

कभी भागा था मैं भी,

तेरा उड़ता दुपट्टा था लाना,

चलो कपड़े तुम ले जाओ,

वो खुशबू छोड़ जाना !


रोकेंगे न हम, बस गुज़ारिश,

हमारी ज़रा सुनते हुए जाना !


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