खास दिन का और महज़ चंद रुपयों की चीज़ का मोहताज कोई क्यूँ रहे। खास दिन का और महज़ चंद रुपयों की चीज़ का मोहताज कोई क्यूँ रहे।
यादें छोड़ कर जानेवाले से क्या गुज़ारिश और क्या इल्तज़ा ! यादें छोड़ कर जानेवाले से क्या गुज़ारिश और क्या इल्तज़ा !
प्रवीन जी की बातें सुनकर रमा जी की आंखें शर्म से झुक गयी व जुबान बंद हो गई क्योंकि अब शायद व्यग्यं क... प्रवीन जी की बातें सुनकर रमा जी की आंखें शर्म से झुक गयी व जुबान बंद हो गई क्यों...
जहाँ से धूप का एक टुकड़ा उसकी जिंदगी को रोशन करता झाँक रहा था। जहाँ से धूप का एक टुकड़ा उसकी जिंदगी को रोशन करता झाँक रहा था।
बच्चों की जरूरतें पूरी जरूर करनी चाहिए पर किसी पर मोहताज नहीं बनने देना चाहिए। बच्चों की जरूरतें पूरी जरूर करनी चाहिए पर किसी पर मोहताज नहीं बनने देना चाहिए।