टीचर जीव - एक खोज

टीचर जीव - एक खोज

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वर्षों के गहन अध्ययन और शोध के बाद टीचर नाम का यह जीव आख़िर मैने खोज ही निकाला। आज के कंप्यूटर युग में अपनी घटती संख्या के कारण विलुप्त होता हुआ यहजीव आज विनाश के कगार पर है।

यह जीव धरती पर तकरीबन दस हज़ार साल पहले उत्पन्न हुआ। इसकी अलग अलग प्रजातियाँ धरती की विभिन्न भोगोलिक स्थितियों में विकसित हुईं। कॉर्डिटा वर्ग का यह जीव होमो सेपीयन्स कहलाता है। यह जीव स्थलचर है और इसके नर व मादा रूपों को आसानी से देखा जा सकता है। नर की संख्या अपेक्षाकृत कम ही होती है। आकार में यह पाँच से छ फीट तक लंबे हो सकते हैं। शरीर से यह छरहरे, लंबे, छोटे और स्थूल काया वाले यह जीव श्याम वर्ण, गेहुआ या फिर गोरे रंग के हो सकते हैं। इनके शरीर में करीब २०६ अस्थियाँ और ५०० माँस पेशियाँ होती हैं।

सामान्यतः शांत रहने वाले ये जन्तु विद्यालयों, लाइब्ररी, कॉलेज के आसपास आसानी से मिल जाते हैं। स्वभाव से कम बोलने वाले ये जीव अक्सर मूडी होते हैं और अनायास ही चिड़चिड़े, हंसोड़ और गंभीर हो जाते हैं। विद्यालय के प्रांगण में अक्सर छात्रों से घिरे रहते हैं। यह जीव छात्र और पुस्तक प्रेमी होते हैं और अपनी पसंद के अनुसार अलग-२ विषयों की पुस्तकों के आसपास देखे जा सकते हैं। अपने खाली समय में ये किताबों, कॉपियों के ढेर में छिपे रहते हैं। इनके पास अक्सर एक लाल स्याही वाली कलाम हुआ करती है जिससे ये कॉपियों पर आड़ी तिरछी रेखाएँ खीचते रहते हैं।

बढ़ती उम्र में अक्सर इनकी आँखे कमज़ोर हो जाती हैं; .दृष्टि विकार दूर करने के लिए ये अपनी आँखों के सामने काँच के दो टुकड़े लगाते हैं। विद्यालय के प्रांगण में ये सामान्यतः सवेरे सवा सात बजे तक दाखिल हो जाते हैं या यों कहें की भागते हुए आते हैं। उस वक़्त इनके चेहरे की हैरानी, परेशानी देखते ही बनती है। कुछ जीव अपने -२ पुष्पक विमान नुमा वाहन में आते हैं। इनके हाथ में कुछ कागजों से भरे बैग और खाने पीने का सामान हुआ करता हैं।

विद्यालय में आते ही ये एक यन्त्र के सामने खड़े हो जाते हैं और मशीन पर अपना अंगूठा लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। उसके बाद इनके क़दमों की बिजली जैसी गति देखते ही बनती है। हडबडाहट और परेशानी अक्सर ही इनके चेहरे पर होती है। ये तुरंत ही अपनी -२ कक्षाओं में दाखिल हो जाते हैं। शोर इनका सबसे प्यारा साथी होता है। खुद अशांत होते हुए भी कक्षा में ये विद्यार्थिओं को शांत करने का भरसक प्रयास करतें हैं।

और फिर शुरू होता है इनका पढ़ाने का दैनिक क्रम। इसके बाद ये हर चालीस मिनट में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में दौड़ते देखे जा सकते हैं। बीच -२ में ये एक दूसरे को देख कर मुस्कराने।


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