राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

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राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

सुरक्षा

सुरक्षा

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सुशील मुम्बई के नजदीक उपनगर ‘ विरार ‘ में रहता था। उसके ताऊ गांव से मुम्बई घूमने के इरादे से उसके यहां आए हुए थे। सुशील के साथ मुम्बई के दर्शनीय स्थलों की सैर करते हुए उसके ताऊ गगनचुम्बी इमारतें और लोगों की भीड़भाड़ के साथ ही सड़कों पर चमचमाती गाड़ियों की कतारें देखकर विस्मित थे।

शाम के समय दादर में प्रभादेवी स्थित सिद्धिविनायक श्री गणेश जी के दर्शन कर घर वापसी के लिए दोनों दादर रेलवे स्टेशन पहुंचे। प्लेटफॉर्म पर लोगों की भारी भीड़ और ट्रेन में घुसने के लिए लोगों की धक्कामुक्की देखकर ताऊ की हिम्मत जवाब दे गई। ट्रेन में घुसने के चक्कर में कई ट्रेन छोड़ चुके थे। निराश ताऊ को समझाने की नीयत से सुशील ने कहा ” ताऊ जी ! यहां तो ऐसे ही जबरदस्ती घुसना पड़ता है। कोशिश नहीं करेंगे तो आधी रात तक यहीं खडा रहना पड़ेगा। ”

” ठीक कह रहे हो बेटा ! लेकिन मेरा मानना है , कोशिश करके ट्रेन से लटक कर यात्रा करते हुए कहीं ‘ और ‘ पहुंचने से बेहतर है कि चुपचाप यहीं खड़ा रहा जाये। आधी रात के बाद ही सही घर तो पहुँच जाएँगे ! ” ताऊ ने दृढता से जवाब दिया।


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