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Deepali Saxena

Inspirational

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Deepali Saxena

Inspirational

सुनहरी किरण

सुनहरी किरण

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जगत अपनी लगातार असफलता से परेशान हो चुका था। उसे हर तरफ से निराशा ही मिल रही थी। प्राइवेट एम. बी. ए करने के उपरांत नौकरी की तलाश में भटकते भटकते उसे एक महीने से ज्यादा हो गया था। ना जाने कितने ही इंटरव्यू उसने दे दिए थे। कहीं पर तनख्वाह कम, कहीं अनुभव तो कहीं सिफारिश, तो कहीं से कोई जवाब नहीं।

अपने दोस्त वरुण के कहने पर इस शहर में तो आ गया था। जब आया था तो बेहद उत्साहित और खुश था। पर इस एक महीने में ही उसके इरादों को ठंडा कर दिया था। मुंबई जैसे बड़े शहर में रहने के लिये अच्छी ख़ासी मेहनत करनी पड़ती है जहाँ लोगों को किराया देने में ही काफी दिक्कतें उठानी पड़ती है। वो तो यहाँ अकेले आया था मगर पीछे थी अनेकों जिम्मेदारियाँ। यूपी के गाँव में रहने वाले उसके परिवार में 1 बहन 1 भाई और माता पिता थे। बहन की शादी छोटे भाई की पढ़ाई और माँ बाप। पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे। पर बच्चों की पढ़ाई और इस महँगाई ने उन्हें कर्ज़ में डुबो दिया था। जिसका बोझ भी 24 वर्षीय जगत के कंधों पर आ गया था।


आज भी उसे एक इंटरव्यू में जाना था अब मन तो नहीं था उसका पर वरुण के बार बार समझाने पर वो बुझे मन से जा रहा था।

एम वर्ल्ड मोबाइल कंपनी में उसका इंटरव्यू था। वहां पहुँच कर उसने देखा उसके जैसे ना जाने कितने लोग वहां आये है नौकरी की चाह लिये। वो अब उम्मीद ही छोड़ चुका था। निराशा लिए वो वापिस जाने ही वाला था, कि उसके कानों में वरुण की आवाज़ गुंजी। देख दोस्त तेरा काम मेहनत करना यदि तूने हार मान ली तो हार तुझे मिलेगी। पर अगर तुझे कामयाब होना है तो कोशिश करना बन्द मत कर। तू बस मेहनत कर और बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दे एक ना एक दिन तो तू सफल होगा पर यदि तू हार मान लेगा तो तू सफल कैसे होगा। तू जा और इंटरव्यू दे कभी तो वक़्त बदलेगा। लगभग आधे घण्टे बाद रिशेप्शन से आवाज़ आती है जगत शुक्ला आप अंदर जाइये।

जगत हिम्मत के साथ अंदर जाता है। अंदर कम्पनी के इंटरव्यू पैनल में प्रिया मेहता (कम्पनी की सी ई ओ) मदन किशोर (जनरल मैनेजर) और ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट के डिपटी मैनेजर विशाल अग्रवाल बैठे थे। 

करीब आधे घंटे के उपरांत वो तीनों काफी संतुष्ट नजर आ रहे थे। तभी प्रिया ने एक आखिरी प्रश्न किया ये प्रश्न आपकी परिपक्वता और सूझबूझ को जानने के लिये है कम्पनी के ट्रेड मैनेजर होने के नाते आपको उन्हें प्रोत्साहन करना आना चाहिए। मेरा प्रश्न आपसे यह है कि "आप के लिये सुनहरी किरण क्या है"? जगत कहता है

"मेरे लिये सुनहरी किरण मेरा अंतर्मन है वो मन जिसने आज मुझे यहां से बिना इंटरव्यू दिए जाने से रोक लिया। बाहर की भीड़ ने जब मेरे मन को निराश किया और मैं वापस जाने लगा मेरे अंतर्मन ने मुझे मेरे दोस्त के विचारों के माध्यम से मुझे कोशिश करने के लिये बाध्य कर दिया। जब तक इंसान का मन गवाही नहीं देता वो उस काम को ठीक तरह से कर ही नहीं सकता।" तीनों जगत के लिये तालियाँ बजाते है। और उसे मुबारक बाद देते है।

जगत को उसकी पसंद की नौकरी मिल जाती है और उसकी सुनहरी किरण उसकी हर मुसीबत में साथ दे कर उसे सफल बनाती है।



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