सुंदरता
सुंदरता
आज निशा के चेहरे प रसे पट्टीया उतरने वाली थी मगर ना कोई खूश था ना किसी को खबर थी के आगे क्या होने वाला है।
हस्पतालमे एक एक करके सारे जमा हो रहे थे। पुलिसवाले, न्यूज चॅनल वाले,सब भिड करके खडे थे।डाॅक्टर साहब आते ही सिस्टर निशा को विलचेअरपे बिठाकर डाॅक्टर साहब के पास ले आई ।डाॅक्टर साहबने पट्टीया खोलना शुरू किया के एक ही सन्नाटा छा गया
पट्टीया खोलकर होते ही सबने अपने मुहॅपे हाथ रखकर आंखें बंद कर ली।
अब बारी थी निशा की धिरे धिरे निशाने अपनी आंखें खोली और सामने रखे हुए आईने मे खुद को देखा और बस एक ही चिख उसके मुंह से निकली जो सबका सिना चिरकर निकल गयी । वही पे निशा बेहोश होकर गिर पडी। हर एक शक्स जो वहा मौजूद था उनका हाल बहूत बुरा था। सुदंर दिखने वाला निशा का चेहरा जलकर भयावह हो गया था।
सुंदर होना निशा के लिए जैसे शाप बन गया था। इसी सुदंरता ने किसी को उस पर एसिड फेकनेपर मजबूर कर दिया था।
