Student Life: An untold story chapter : 01
Student Life: An untold story chapter : 01
कहानी के बारे में:
ये कहानी है बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रहने वाले एक लड़के की। लड़का जो महाकाल की नगरी में रहता है जो कि पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध जगह है फिर भी वह महाकाल के दर्शन करने बहुत कम जाता है। वह अपने घर के मंदिर को ही सब कुछ मानता है।उसकी दिनचर्या और लड़को से बहुत ही अलग हैं, इसलिए इस कहानी में उसकी भूमिका एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस कहानी में लड़के के जीवन में बहुत सारी लड़कियां आती है, क्यों कि लड़का एक स्टूडेंट है इस कहानी में एक बहुत खास लड़की भी है, जो स्कूल पढ़ने के लिए बाहर से आती हैं। वो लड़का उससे एक तरफा प्यार कर बैठता है।
---------------------------------
शुरुवात: भूमिका वह लड़का अपने परिवार से बहुत प्यार करता है। और उसके परिवार के सदस्य भी उस से बेहद प्यार करते है।मैं ऐसा नहीं कहता कि किसी भी परिवार के लोग उनके बच्चों को कम प्यार करते है परंतु वह लड़का सबका लाडला रहा है इसलिए उसके घर के सदस्य उसे अधिक प्यार करते है।लड़के के परिवार में बहुत सारे सदस्य है, सभी एक एक करके इस कहानी को पूरा करते हुए आपके सामने आयेंगे।
वह लड़का रात को देर तक जागता है उसे रात टीवी देखना और मोबाइल चलाना भी बहुत अच्छा लगता है वो रातों को टीवी देखा करता है और अपने मन में चल रहे विचारों की सोच से निकल कर लेट नाइट में अपने विचारो को डायरी में लिखा करता है घर वालों को पता नहीं चलता और वह रोजाना यही करता है। और लेट तक सोता है देर रात तक जागने के वजह से उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती हैं जिस कारण वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाता है।
________________________________
दृश्य :01 अलार्म घड़ी और लड़का
देर रात सोने की वजह से वह लड़का अपनी अलार्म घड़ी में एक से अधिक अलार्म डालता है ताकि वह वक्त पर उठ सके और वक्त पर स्कूल जाने के लिए तैयार हो सके पर ऐसा नहीं होता क्योंकि लड़के को 5 से 8 घंटे सोने की आदत होती है, जिस कारण लड़के पर अलार्म घड़ी का कोई असर नहीं होता है अलार्म घड़ी उसे उठाने की पूरी कोशिश करती है परंतु वह उसे बार बार बंद कर देता है।
अब बेचारी घड़ी भी क्या करे ? उसने जितना टाइम डाला था उठने के लिए उतनी बार तो बज गई अब क्या?
आखिर अलार्म घड़ी की भी तो जान है कब तक दम पकड़ेगी आखिर उसने भी साथ छोड़ दिया जब भी वो सही वक्त पर बजती लड़के की नींद खराब होती वो उसे बंद कर देता है। फिर से वह बजती उसकी नींद खराब होती और वह फिर उसे बंद कर देता है।
ऐसा बहुत बार हुआ बेचारी,
ज्यादा अलार्म डाले थे उसने फिर बजने लगी वक्त पर आखरी में उसने उठा कर ही फेंक दिया।
"सारे आंत औजडे निकल कर आ गए " इतनी बेरहमी से फेंका था।
घड़ी की भावनाएं देखो :
घड़ी :ओय.... कुंभकर्ण !
लड़का: क्या है ?
घड़ी: तूने मुझे क्यों मारा?
लड़का: तू मुझे परेशान कर रही थी।
घड़ी: चुप कर देता पर मरा क्यों?
लड़का:मैं मस्ती करता हूं तो मेरी मम्मी भी मुझे मरती हैं।
घड़ी:अच्छा!
लड़का:हां!
घड़ी:जान से मार देती होगी?
लड़का:नहीं तो, पागल है क्या?
घड़ी:तो तूने मुझे क्यों मारा?
लड़का:मैने कहां मारा?
घड़ी: वाह... दीवाल पर तो दे मारा और पूछ रहा है कहां मारा ?
लड़का:तो मैं क्या करूं ? तेरे लिए रोना शुरू करूं क्या?
घड़ी: देखो तो! एक खूबसूरत, प्यारी, मासूम घड़ी को मार दिया।
लड़का:तू और मासूम, चिल्लाती तो रहती है|
घड़ी:अरे तो मैंने बोला था क्या मुझ में टाइम डाल खुद तो उठता नहीं है वक्त पर!
लड़का:चल दिमाग मत खा!
घड़ी:अब में सब को कैसे उठाऊंगी ?
लडका:अरे अच्छा है किसी को परेशान नहीं करेगी।
घड़ी:ढोर, कमिना, एक लड़की से ऐसे बात करता है।
लड़का : ओ... रुक रुक ...।
घड़ी : मैं तो जमीन पर ही हूं |
लड़का : ओय... Don't be smart ok.
घड़ी : हां, बोल।
लड़का : सामानों में कैसे कोई लड़की हो सकता है।
घड़ी: हो सकता है|
लड़का : नहीं हो सकता।
घड़ी: हो सकता है।
लड़का : नहीं हो सकता।
घड़ी : मान ले।
लड़का : नहीं मानू।
घड़ी : मान ले।
लड़का : नहीं मानू।
घड़ी : जा भग मत मान जब से बोल रही हूं मान ले, मान ले सुनने को तैयार ही नहीं है।
लड़का : नी मानू, नी मानू... मैं तो ।
घड़ी : वाह मत मान तेरी मर्जी।
लड़का: बताना।
घड़ी: नहीं।
लड़का: बताना।
घड़ी: नहीं... तू मानता ही नहीं है तो अब क्या।
लड़का : मानूंगा तू बता।
घड़ी : अच्छा ठीक है।
लड़का: हां।
घड़ी: सामानों में भी लड़की होती है जैसे; तपेली, घड़ी,अगरबत्ती, ऐसे बहुत से सामान है जो लड़कियों के नाम पर मिलते है।
लड़का : अगरबत्ता, घड़ा,तपेला हमारे नाम पर हैं।
घड़ी : हां हम क्या कर सकते है।
लड़का : ज्यादा हंस मत।
घड़ी : मैं तो हसूंगी जा।
लड़का:देख तुझे बाहर फेंक दूंगा।
घड़ी: फेंककर बता।
लड़का : सच में फेंक दूंगा।
घड़ी:बहुत देखे फेंकने वाले।
लड़का:रुक बताता हूं।
घड़ी:अरे बाप रे सच में आ रहा है फेंकने।
लड़का:अब क्यों डर रही हो?
घड़ी:'नहीं नहीं मत आओ'।
'अरे अरे मुझे बालकनी से मत फेंको'!
ओ गिरी गिरी.....!
'ओफ्फो बच गई'।
अच्छा....।
तो ये सपना था मुझे लगा की आज तो मैं मर गई। मेरी भी जबान केंची की तरह चलती है न तो मैं सपने में चुप रहती हूं और ना ही हकीकत में बहुत बेकार सपना देखा चलो अच्छा है "जान बची तो लाखों पाए लौटकर बुद्धू घर को आए" एक अलार्म और बचा है उसे समय पर बजा देती हूं शायद उठ जाए कितना बुरा लड़का है जो मुझे सपने में बालकनी से फेंक रहा था अगर इसके हाथ में आ गई तो मेरा सपना सच हो जाता।
अब वो समय नजदीक आ रहा था तब आखरी अलार्म बजना था क्योंकि उस लड़के को सुबह जल्दी उठ कर स्कूल जाना था। _______________________________
इसके आगे की कहानी चैप्टर: 2 में जिसमे हम देखेंगे...
वो लड़का आखरी अलार्म में उठता है या नहीं और उठता है तो कैसे उठता है ?सबसे जरूरी इस कहानी में जो लड़के और लड़की के बारे में बोला हैं.....दोनो का नाम क्या हैं?सब आपको पढ़ने को मिलेगा।
"स्टूडेंट लाइफ:एन अनटोल्ड स्टोरी " चैप्टर : 2 में।Student Life: An untold story chapter : 2 comming soon.
धन्यवाद

