समय का उल्टा चक्र
समय का उल्टा चक्र
एक बात सर्वमान्य सत्य है कि व्यक्ति जैसा बोता है वैसा ही पाता है अर्थात जैसा कर्म करता है ईश्वर उसे वैसा ही फल देता है।
ऐसी ही एक जातक की रोचक कथा है, नाम मनसुख लाल, व्यवसाय से ऑटो चालक, परिवार में पत्नी सवित, 2 पुत्रियां रीना और रानू और लड़का सुभाष ।
जिंदगी अपनी ही रफ्तार से सरपट सरपट दौड़ रही थी सब कुछ ठीक ही चल रहा था। अचानक एक रात लगभग 2 बजे किसी ने मनसुख लाल का दरवाजा खटखटाया।
मनसुख लाल ने पूछा कौन ? मैं सुरेश, राकेश जी का बेटा आप के बगल वाले गाँव से।
अच्छा अच्छा "इतनी रात को कैसे आना हुआ" दरवाजा खोलते हुए मनसुख लाल ने पूछा।
"आप का ऑटो चाहिए था चाचाजी, रेलवे स्टेशन तक, इसके लिए आप को मनमर्जी का भुगतान करूँगा।
अधिक रुपयों की लालच में वह सुरेश के साथ चल पड़ा रास्ते मे उसने अपने ही गाँव कि एक लड़की को भी ऑटो में बैठाया जो कि सुरेश का इंतजार कर रही थी।
दोनो को रेलवे स्टेशन छोड़ने के बाद और उनसे रुपये वसूलने के बाद वह चुपचाप घर आ गया और मन ही मन खुश हो रहा था कि सुबह जब दोनों परिवारों को पता चलेगा,उनके ऊपर जब समाज थूकेगा तो कितना मज़ा आएगा।
सुबह गाँव में हल्ला था कि चतुरघुन की लड़की मिश्री कल रात से गायब है और एक पत्र छोड़ कर गई है, जिसमे उसने लिखा है कि वह अपनी मर्जी से किसी के साथ जा रही है।
गाँव मे चारो तरफ चतुरघुन की निंदा हो रही थी कि लड़की जात को संभाल कर न रख सका।
धिक्कार है ऐसे बाप पे।
आ थू,आ थू
उधर मनसुख लाल को अपने किये पर फक्र हो रहा था कि उसने दो प्रेमी युगलों को आपस मे मिलवा दिया था और इसका प्रचार और प्रसार भी जोर शोर से अपने मित्र मंडली में कर रहा था।
और उस बाप को भी कोस रहा था जो अपनी लड़की को संभाल नहीं पाया।
अब तक मनसुख लाल लड़कियों को भगाने वाले शख्स के रूप में प्रचारित हो गया था।
वह अब ऐसे जोड़ो का मसीहा बन चुका था।
आस पास के गाँव मे जब भी कोई ऐसी घटना घटित होती सभी को मालूम होता कि यह काम किसके सहयोग से हुआ है परंतु कोई सबूत नहीं होने के कारण कोई कुछ बोल नहीं पाता था।
मनसुख लाल के मित्रों ने को कई बार उसे समझाया कि यह गलत है, पाप है, ऐसा मत करो प्रायश्चित कर लो नहीं तो पाप के प्रभाव से सम्पूर्ण परिवार नष्ट हो जाएगा।
कहीं तुम्हें अपनी करनी पर पछताना न पड़े।
"तौबा कर लो तौबा।"
पर मनसुख कहाँ मानने वाला था, इसके बाद भी उसने कई और लोगो को भी भागने/भगाने में मदद की और उनसे मोटा पैसा कमाया और उनके परिवार का दुष्प्रचार भी किया।
समय का चक्र तेजी से चलता भागता ही जा रहा था।
अचानक, एक सुबह मनसुख लाल के घर में कोहराम मचा हुआ था, रोने, धोने, चीखने की जोर शोर से आवाज आ रही थी, मनसुख लाल की पत्नी बेहोश थी, खुद मनसुख विक्षिप्त सा दिख रहा था।
पता करने पर मालूम चला कि मनसुख लाल की बड़ी पुत्री रीना किसी ऑटो ड्राइवर के साथ भाग गई है और वह भी शादी से 2 दिन पूर्व, धन संपदा गहने आदि के साथ जो मनसुख लाल ने अपनी पुत्री के लिए बनवाने थे।
माहौल में अचानक बहुत शान्ति थी सब तरफ बस यही चर्चा थी कि मनसुख ने जैसे बोया था वैसा मिला है।
शायद जिन की लड़कियों को मनसुख लाल ने भगवाने में मदद की थी उन्ही के परिजनों का शाप उस पर लगा था।
