"समझ"

"समझ"

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ईशा की बेटी पुण्या पढ़ाई के साथ-साथ बैडमिंटन के खेल में भी अच्छी है।अब तक कई मैडल जीत चुकी है। माँ-बाप दिन भर मेहनत करके उसका खर्च उठा रहे हैं ।पुण्या आज कुछ उखड़ी-उखड़ी सी घर में आई।आते ही तुनक कर बोली, मेरी सहेली के माता-पिता ने उसे स्कूटर लेकर दिया है,मैं ही रोज़-रोज़ साईकल पर स्टेडियम जाऊंँ, थक गई हूँ मैं अब।मुझे भी स्कूटर चाहिए।

ईशा ने बहुत ही प्यार से उससे कहा, "बेटी, तुमने मेरीकॉम के संघर्ष की कहानी तो पढ़ी है ना।"

पुण्या तभी साईकल की चाबी उठाते हुए बोली,"माँ मैं तो भूल ही गई साईकिल से स्टेडियम जाने से कुछ व्यायाम तो रास्ते में ही हो जाता है। मैं छ: बजे स्टेडियम से वापिस आ जाऊंँगी, गर्म दूध तैयार रखना।" दोनों ने मुस्कुराकर भीगी आंँखों से एक दूसरे को देखा व एक दूसरे को गले से लगा लिया।

 



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