सकारात्मक सोच और धैर्य
सकारात्मक सोच और धैर्य
सरिता एक सुंदर, समझदार,मन से चंचल,जीवन को जीने वाली और शरारती लड़की थी।सरिता को बोलना बहुत अच्छा लगता था ।उसे हंसी मजाक करना बहुत पसंद था।सरिता 24 साल की हो गई।माता पिता उसके लिए रिश्ता देखने लगे।देखते देखते दो साल लग गए और 26 साल में विवाह हेतु अच्छे घर का रिश्ता आया।सरिता और सत्यम ने कुछ ही क्षणों में बात करके अपनी शादी हेतु हाँ कर दी।सरिता बहुत खुश थी ।उसके लिए नहीं यह उसके पूरे परिवार व सत्यम के पूरे परिवार के लिए भी बहुत बड़ी खुशी थी।
सत्यम, सरिता से बिल्कुल अलग था।सत्यम को कम बोलना, अपने दायरे में रहना, लोगों से कम मिलना- जुलना ही पसंद था।सरिता से शादी हो गई, लेकिन उसके साथ भी वह कम ही बात करता था।सरिता जैसे शादी के बाद बिल्कुल शांत हो गई हो।पति का कम बात करना उसको ऐसा लगता था जैसे उसके पति की जबरदस्ती शादी करवा दी गई हो।पर उसके सास-ससुर उसका बहुत ध्यान रखते थे।वे उसको अपनी बेटी की तरह प्यार करते थे।एक नया जीवन उसके लिए संघर्ष भरा था।पति के स्वभाव के कारण सरिता जैसे मुरझा सी गई हो ।परंतु वह अपने सास-ससुर का बहुत आदर करती थी।धीरे धीरे शादी के दो वर्ष बीत गए।सत्यम के कम बोलने के स्वभाव को सरिता ने अपना लिया था और प्रत्येक रिश्तेदार के साथ सामंजस्य भी स्थापित कर लिया था।प्रत्येक रिश्तेदार और घरवाले सरिता को बहुत प्यार करते थे।सरिता घर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का भी बहुत आदर करती थी।सरिता ने अपने अच्छे स्वभाव, प्रेम और खुशमिजाज तरीके से सबके हृदय को जीत लिया।धीरे-धीरे सत्यम के व्यवहार में भी परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगा ।वह धीरे-धीरे बदलने लगा।कम बोलना तो उसका स्वभाव ही था परंतु अब वह रिश्तेदारों के साथ बैठने लगा, बातें करने लगा।रिश्तेदार और सत्यम के माता-पिता भी बहुत खुश थे।सत्यम में आए हुए सकारात्मक परिवर्तन को देखकर वे अत्यंत प्रसन्न चित्त थे।इसका सारा श्रेय सरिता को ही दे रहे थे।धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदलने लगी।जीवन में आए हुए सकारात्मक व्यक्ति के कारण किसी की भी सोच व स्वभाव बदल सकता है।इसलिए सदैव सकारात्मक सोच रखें और प्रसन्न रहें।
