श्रीमती मोरारजी देसाई
श्रीमती मोरारजी देसाई
बात 1977 की है जब आम चुनावों में श्रीमती इंदिराजी की हार हो गयी थी और श्री मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे।
हम सातवीं कक्षा के विद्यार्थी थे। बड़े गुरूजी हिंदी पढ़ाने के साथ ही सामान्य ज्ञान भी बताते रहते थे।
काल के भेद समझाने के बाद उन्होंने प्रश्न किया ”अच्छा बच्चों ! हमारे देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री का क्या नाम है ?”
चूंकि उस समय भी आज की ही तरह राजनीती चरम पर थी सो सभी बच्चों को इसका जवाब पता था। सभी बच्चों ने अपने अपने हाथ खड़े कर लिए थे।
एक लड़की जिसका नाम मीनाक्षी था उससे बड़े गुरूजी ने पूछा ”मीनाक्षी ! तुम बताओ !”
उसने खड़े होते हुए चट से जवाब दिया "इंदिरा गाँधी!”
उसके मुंह से ”इंदिरा गाँधी !” जैसे ही निकला बड़े गुरूजी की तेज डपट से कक्षा में सन्नाटा पसर गया और मीनाक्षी का सही जवाब बताने का सारा जोश ठंडा पड़ चूका था। वह सिर झुकाए खड़ी रही।
बड़े गुरूजी ने फिर बड़ी आत्मीयता से समझाया ”इंदिरा गाँधी एक सम्मानित नेता हैं और ऐसे मान्यवर व्यक्तित्व के नाम के आगे उसके सम्मान में ‘श्रीमतीजी ‘ लगाना चाहिए। ठीक है ! सभी बच्चे समझ गए ? ”
एक स्वर में आवाज आयी ” जी गुरूजी ! ”
बड़े गुरूजी खुश होते हुए पुनः मीनाक्षी से ही बोले ”अच्छा बताओ ! हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री का क्या नाम है ? ”
जवाब तो जैसे हाजिर ही था ” श्रीमती मोरारजी देसाई ! ”
पूरी कक्षा में ठहाकों के साथ ही बड़े गुरूजी के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गयी थी और बेचारी मीनाक्षी तो समझ ही नहीं पायी कि असल में हुआ क्या था बस झेंप कर रह गयी।