STORYMIRROR

H K Mahto

Inspirational Children

3  

H K Mahto

Inspirational Children

सच्चा फरिश्ता

सच्चा फरिश्ता

6 mins
209

अंधेरा पाँव पसार रहा था। धीरे-धीरे सन्नाटा छाने लगा था। गाँव के सड़कों और गलियों में गाय, बैल तथा भेड़ बकरियों की आवाज कानों में गूंज रही थी। धर्मा अपने साथी जेकब को ढूंढ रहा था। नदी किनारे के पेड़ों में ढूंढा और न जाने कहां - कहां ढूंढा कहीं नहीं मिला। प्रतिदिन वह उसके साथ नदी किनारे गपशप किया करते थे तथा मोबाइल पर तरह तरह के आकर्षक प्रोग्राम देखते रहते थे। आज नहीं मिलने के कारण वह उदास हो गया। वह सोचने लगा चलो आज उसके घर ही जाकर देख लेता हूं। वह सीधे उसके घर जाता है, घर में उसके माता पिता नहीं थे कहूँ बाहर गए हुए थे। धर्मा की नजर अचानक घर के एक कमरे में पड़ी, घर बंद था, किन्तु बाहर से नहीं भीतर से। धर्मा ने अपने साथी को पुकारा परंतु कोई जवाब न पाकर वह संशय में पड़ गया और तब उसने ऊंची आवाज से पड़ोसियों को बुलाया। पड़ोसी आवाज सुनकर अनजानी आशंकाओं में घिरे एकत्रित हुए। सबने मिल कर दरवाजा तोड़ने का निश्चय किया। कुल्हाड़ी से तुरंत दरवाजा को तोड़ दिया गया। दरवाजा के खुलते ही सब हैरानी में पड़ जाते हैं। जेकब फांसी के फंदे में झूलने की सारी तैयारी कर चुका था अर्थात वह आत्महत्या करना चाहता था। उसके हाथ में कुर्सी था।

जेकब बहुत ही पढ़ा लिखा नौजवान था। उसने M। A। की डिग्री स्थानीय कॉलेज से हासिल कर चुका था। उसने बहुत उम्मीद रख कर ही इतनी पढ़ाई की थी। वह जीवन में अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहता था। वह थोड़ा संकोची स्वभाव का भी था वह कोई छोटा मोटा धंधा शुरू करना नहीं चाहता था किंतु बड़ा धंधा शुरू करने के लिए पूंजी न थी। वह नौकरी के चक्कर में दर दर की ठोकरें खा रहा था, भीख मांगते मांगते थक चुका था किंतु नौकरी कहीं भी हाथ नहीं लग रही थी। नौकरी पाना उसके लिए बहुत ही पेचीदा काम था। फिर भी उसकी आशा थी किसी भी तरह से नौकरी मिल जाए तो जिन्दगी सुधर जाएगी। प्रतियोगिता में वह कभी जाति प्रमाण पत्र, कभी आवासीय प्रमाण पत्र कभी आय प्रमाण पत्र कभी एक दो नंबर कम होने के कारण, कभी कचहरी के दांव पेंच के कारण सफल नहीं हो पाता था। माता पिता भी खर्च करते करते तंगी के हालात में पहुंच चुके थे माता पिता के कष्टों को देख कर उसका मन उदास और बेचैन होने लगा था।

 धर्मा जेकब की बिगड़ती मानसिक स्थिति को देख कर सारी बातें समझ गया, वह जेकब का हाथ थाम लिया और उसे गले से लगा लिया। जेकब कहने लगा छोड़ दो मुझे जाने दो मेरे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। वह चिल्ला रहा था मुझे जाने दो यार जाने दो इस संसार के लिए मैं एक नालायक, बेवक़ूफ़ और अभागा इंसान हूं। तब धर्मा ने कहा जिस इंसान को अपनी जान की परवाह और चिंता नहीं इस दुनिया में उससे बढ़कर काम कोई दूसरा नहीं कर सकता। उसके लिए जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं, कोई भी रास्ता दुर्गम और कठिन नहीं। उसने कहा मेरे प्यारे दोस्त चलो तुम मेरे घर चलो मेरे पास कुछ दिन रह लेना। जेकब तो जाना नहीं चाहता था लेकिन धर्मा जबरन उसे ले गया। 

घर पहुंच कर अपने माता पिता को उसने सारी कहानी सुना दी। पिताजी ने कहा अभी रात में इसे कहीं जाने मत देना, इसका ध्यान रखना। रात का खाना खा कर दोनों बिस्तर पर लेट गए। बिस्तर पर लेटे हुए जेकब को अपने बचपन के दिन याद आ गए। दोस्तों के साथ खेलना, नदी में तैरना, मछली पकड़ना, पेड़ों के छाँव में गपशप करना, गिल्ली डंडा, पतंग सारी बातें उसकी आंखों के सामने घूमने लगे। वह सोचने लगा दिन बदल गए अब उसे भी बाकियों की तरह बदलना चाहिए।

जेकब को खयालों में खोया देख कर धर्मा ने उससे पूछा तुम क्या सोच रहे हो जेकब? जेकब ख्यालों से बाहर आते हुए कहा जीवन कितना परिवर्तनशील है, कभी मौज मस्ती तो कभी इतने संघर्ष और समस्याओं से घिरा हुआ कि जिनका कोई समाधान ही नहीं। 

यह इंसान इंसान की सोच है, जितने लोग उतने विचार। तुम यह सोचो जेकब कि यदि समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, तो उनका समाधान भी अवश्य ही होगा। प्रकृति अपने सभी प्राणियों के लिए सम भाव रखती है। उसके लिए सभी प्राणी एक समान है। वह सभी जीवों के लिए हवा, रोशनी, अन्न, फल, फूल, पानी, प्राकृतिक शक्तियां समरूप प्रदान करती है। यदि मनुष्य अपनी क्षमता, दक्षता, अवसर एवं रुचि को परख कर कोई कार्य शुरू करता है तो वह अवश्य ही सफल होता है। हार से कभी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि उससे सीख लेनी चाहिए। धर्मा ने जेकब से पूछा आखिर तुम यह दुस्साहस क्यों कर रहे थे? जेकब ने निराश होते हुए कहा इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं है। 

धर्मा - ऐसा सोचना तुम छोड़ दो बिल्कुल ही छोड़ दो अपने मन के विचारों को बदल डालो। 

जेकब - आखिर मैं करूँ तो क्या करूँ? 

धर्मा - सोचो आखिर तुम क्या नहीं कर सकते हो क्यों नहीं कर सकते हो। किसी भी काम को छोटा बड़ा मत समझो। 

कहीं से कोई हुनर सीखो और अपना काम शुरू करो। 

जेकब - अब तो हुनर प्राप्त करने की उम्र खत्म हो चुकी है और फिर रोज़गार पाने में भी काफी वक़्त लगेगा। 

धर्मा - फिर तुम शराब खरीद कर उसका धंधा शुरू कर दो 

जेकब - यह तो आम जनता को बरबादी के तरफ धकेलने का रास्ता है। 

धर्मा - सरकार से लोन ले लो कुछ व्यापार या दुकानदारी करना। 

जेकब - बहुत प्रयास के बाद भी लोन नहीं मिला।

धर्मा - तब जाकर फल फूल का बगिया लगा लेना

जैकब - देखो यार बचपन से पढ़ाई लिखाई में लग जाने के कारण अब अधिक परिश्रम करने की आदत नहीं है। 

धर्मा - मैं तुम्हारी बातों को समझ गया हूं। तुम एक आदर्श नागरिक बन कर अपना जीविकोपार्जन करना चाहते हो जिससे अपना तथा राष्ट्र का भी कल्याण हो जाए। तुम्हारी यह एक बहुत अच्छी सोच है। देखो जीवन है तो करने के लिए बहुत सारे काम हैं। जिसने भी अपनी जान का परवाह नहीं की उसने अपने लिए, राष्ट्र के लिए और विश्व के लिए बड़े - बड़े कार्य किया है। उनके मार्ग में कोई भी शक्ति बाधा उत्पन्न नहीं कर पायी। बाधाएं उत्पन्न हो भी गई तो उन्होंने बाधाओं को ध्वस्त कर दिया। तुमने इतिहास में पढ़ा ही होगा स्वतंत्रता सेनानियों ने किस विषम परिस्थितियों में भी देश को आजादी दिलायी। क्योंकि उन्हें अपनी जान की कोई परवाह नहीं थी। तुम किसी के साथ विदेश चले जाओ वहीं कुछ कर लेना। 

जेकब - मेरे विदेश जाने के बाद माता पिता को कौन देखेगा। 

धर्मा - तुम्हारे आत्महत्या के बाद तुम्हारे माता पिता को कौन देखेगा। दोस्त क्या तुम एक काम कर सकते हो उसमें अधिक परिश्रम की आवश्यकता नहीं। मेरे पिताजी के पास चले जाओ। उन्हें पौध नर्सरी का अच्छा ज्ञान है उनके साथ कुछ दिन काम कर लेना। सारा काम सीख जाओगे। उसके बाद पौधा उगाना और बाजार लेकर बेचना अच्छी आमदनी हो जाएगी। उससे तुम्हारे परिवार और विश्व का भी कल्याण होगा । 

जेकब - सचमुच यार तुम मेरा दोस्त ही नहीं मेरे लिए एक सच्चा फरिश्ता हो। इस बात को मैं कभी समझ ही नहीं सका।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational