सामान्य जिंदगी में गणित और विज्ञान
सामान्य जिंदगी में गणित और विज्ञान
ऐसा सबसे कहते सुना है, गणित और विज्ञान पढ़ना कभी सामान्य जिंदगी में लाभकारी नहीं होता है, अलग बात यह है कि गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले अध्यापक पर यह लागू नहीं होता है। अब सभी लोग अध्यापक तो नहीं बन सकते जिससे पढ़ाकर आजीविका प्राप्त कर लें। अलग बात यह है जब भी दुकान से खरीददारी करते हैं हमेशा डिफेरेंशियेशन और इंट्रीगेशन का लाजिक लगाते हैं। लोग तो यह भी कहते हैं विज्ञान पढ़कर कहां उपयोग में आता है? पर जब भी फल वृक्ष से आसमान की ओर न जाकर धरती को जाता है तो कभी आश्चर्य नहीं जताते हैं। जब भी चलती गाड़ी में ब्रेक लगने से झटका लगता है तो नहीं सोचते ऐसा कैसे हो गया। हमारी क्या ग़लती हो गई जो गाड़ी रुकने से झटके दे रही है। और तो और साइकिल चलाते समय पर मोड़ आने पर मोड़ की ओर साइकिल झुका देते हैं उल्टा लाजिक लगाना हो तो लगा लो, चारों खाने चित्त हो जाओ तो ना कहना। जब भी किसी से मित्रता के पैमाने जानने हो सबसे पहले उस अमुक व्यक्ति से कैमिस्ट्री बनाते हैं।चीनी और शहद मीठे होकर भी कैसे अलग है यह जानते हुए भी नहीं सोचते ऐसा हुआ कैसे? लोगों को लगता है जिससे पैसे बनते हो बस वही लाभकारी होता है। पर बात यह है जो पढ़ाई करने के बाद, जानकारी एकत्रित करने के लिए बार बार पैसे नहीं लगाने पड़ते वह अत्यंत लाभकारी होता है।
--कलम कुछ कहती है
