Shobhit Dwivedi

Drama

2.5  

Shobhit Dwivedi

Drama

रिश्ते

रिश्ते

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ये कहानी दो भाइयों की है जिनका जन्म एक साथ हुआ।

बचपन मे दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, साथ में सोना और साथ खेलना। बचपन मे बड़े भाई ( राम ) से छोटे भाई( रमेश) की उंगली बरसीम काटने वाली मशीन से कट गई तो राम दिन भर रोया।

धीरे - धीरे दोनो ने पढ़ने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी मे दाखिला लिया और स्नातक हो गए राम परास्नातक के साथ बीएड कर ली ।

एक दिन घर से खबर आती है कि उनके पिता की तबियत बहुत खराब है और कुछ दिन में उनका देहावसान हो गया।

राम के पिता अध्यापक थे जो ऑन डयूटी देहावसान हुआ था इस लिए राम की माँ ने राम को अध्यापक बनने को कहा। राम इस बात को जानता था कि वो अपनी लाइफ में कुछ कर लेगा परंतु रमेश जो अभी स्नातक हुआ वो प्रशक्षित भी नही उसकी जॉब नही मिलेगी। राम ने अपनी जगह जुगाड़ से रमेश को अध्यापक बना दिया ।

कुछ समय तक सब अच्छा चलता रहा। राम ठेकेदार हो गया। राम और रमेश की शादी हो गई ।

समय इस तरह बदला की राम की ठेकेदारी छूट गई और वो बीमार रहने लगा।राम की माँ ने रमेश से राम का ईलाज करवाने को कहा।

रमेश हाँ - हाँँ करके टालता रहा। तभी राम के दोस्त ने राम का इलाज करवाया। राम घर छोड़ कर अलग रहने लगा। रमेश ने अपने भाई से मतलब रखना छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद किसी अनजान दुश्मन ने रमेश को गोली मार दी उस समय राम ने रमेश की मदद की परन्तु रमेश पर कुछ फर्क नही पड़ा।एक दिन राम के बेटे की मृत्यु हो गई उस समय रमेश घर का बंटवारा करने आ गया। राम ने रमेश को फिर माफ कर बंटवारा किया।

कुछ समय बाद समय का चक्र बदला राम भी अध्यापक बन गया और उसकी पत्नी भी, तब फिर रमेश के मन मे लालच आ गया और उसने अपने भाई से अच्छे रिश्ते करने चाहे। राम ने फिर माफ कर दिया।

कुछ समय बाद रमेश को कदाचार के लिए विद्यालय से निकाल दिया। तब रमेश ने अपने दोस्तों से मदद मांगी, सब ने मदद करने से मना कर दिया। रमेश की तबियत खराब रहने लगी, तभी उसे पता चला कि उसकी किडनी खराब है उसे किसी ने ना आर्थिक मदद की और ना इलाज करवाया।

जब रमेश की हालत के बारे मे उसकी पत्नी ने राम को बताया तो राम ने रमेश की पत्नी की आर्थिक मदद की और किडनी भी डोनेट करने को कहा।

ये बात सुनकर उसकी पत्नी उसके पैरों में गिर गई और उनसे माफी भी मांगी। राम ने उनसे कहा वो मेरा भाई है, ये मेरा उसके साथ रिश्ता है जो कभी खत्म नही हो सकता। रमेश नासमझ है जो रिश्तों को नही समझ सका।

राम और रमेश फिर से साथ में रहने लगे।

अपने तो अपने होते हैं...!


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