"रहस्य"
"रहस्य"
गर्ल्स हॉस्टल के कमरा नंबर 13 में शोर मचा था, हर उन छुटियों की रातों की तरह जो सौम्य और पीहू ने 2 सालों में काटें थे। आज का विवाद था कल के पार्टी की तैयारी जो उनकी पूरी क्लास मनाने वाली थीसौम्य - ना नहीं अच्छा नहीं लग रहा यह पहनो पीहू - मेरे पास कपड़े ही नहीं हैसौम्य बिस्तर पर पड़े कपड़े के ढेर को देखती है। सौम्य - हाँ वही तो नहीं हैंपूरा ब्लॉक सर पे उठाने के बाद आखिर जंग खत्म हुईसौम्य- चल बहनसो जाते हैं कल बहुत तैयारी करनी है
बत्ती बंद करदोनों अपने मोबाइल में लगी रहती हैंमोबाइल की रौशनी से उनकी आँखों चमक रही थीऔर चैट करती पीहू की ऑंखें मुस्कुरा रही थी" कल तुम अच्छे से तैयार होना दोनों कल आग लगायेंगे पार्टी मे"रोहन के तरफ से दिल का इमोजी आता हैयही बातें करते पीहू की आंख लग जाती है
बिजली की जोर की गरज से पीहू अचनक से उठ जाती है " बारिश ! अभी , अजीब है "" रूम मे अंधेरा होता हैं सौम्य सो रही होती है बहुत तेज़ बरसात हो रही होती हैं"पीहू अपने टेबल से बोतल उठा कर पानी पीती है और सोने से पहले एक बार अपना मोबाइल देखती है उसमे सुबह के 8 बज रहे होते हैं"" 8अरे अब इसे क्या हुआ वह टाइम ठीक करती हैंपर बार बार वही आ जाता है"" बाहर तो अँधेरा है वह खिड़की से देखती हैरात होती हैं" मोबाइल बिगड़ गया लगता सुबह सौम्य से बात करुँगी "ज्यूँ ही वह अपनी ऑंखें बंद करने जाती हैकोई जोर से दरवाजा पीटता है" उसे बहुत अजीब और थोड़ा डर भी लगता है ""कौन हैं "कोई कुछ नहीं बोलता बस दरवाजा पीटता है कौन है सौम्य - क्या हुआ पीहू कौन है खोलो ना दरवाजा पीहू - पता नहीं कोई बोल नहीं रहाअरे यार डरपोकवह उठ क गेट के पास जाती है पीहू बैठी रहती हैपीहू सौम्य चीखती है
और दूसरे ही पल वह जमी पे खून से सनी पड़ी रहती हैं उसकी एक आंख मे एक चाकू होता हैपीहू बुरी तरह चीखती हैऔर उसकी ऑंखें बड़ी हो जाती है दरवाजे से अंधियारी से हो दो काले साये आतें हैंऔर इसे पहले की वह सदमे से उभरती , उसके पेट मे चाकू होता है उस साए के बाल लम्बे थे वह गुर्राता बड़ी बेदर्दी से पूरा चाकू उसके पेट मे धकेलता जाता है आँखों से आंसू बहते रहते हैं और पीहू उसे जोर से जकड़ी सौम्य को देखती रहती हैंउसे पीछे धकेल वे जाने लगते हैंऔर उस दर्द मे वह धीमे धीमे सांसे लेती उन्हें जाते देखती अपनी ऑंखें मूँद लेती है
अचानक उसकी ऑंखें खुलती है और वह अपने बिस्तर पर होती है सही सलामत सौम्य भी सोती रहती वह राहत की सांस लेती है “मुझे तो लगा सचमे मैं”तभी जोर की बिजली गिरती है और बाहर अँधेरा थाऔर उसकी धड़कन तेज़ हो जाती है वह अपना मोबाइल उठाती हैं और वहां 8 बज रहे थे।
