STORYMIRROR

Kavi Kumar

Inspirational

3  

Kavi Kumar

Inspirational

रेल सफर और किन्नर

रेल सफर और किन्नर

2 mins
290

एक जोरदार पों की आवज से रेल चेन्नई सेंट्रल से खुल रही है, जिसका मैं और मेरे दोस्त करीब आधे घंटे से इन्तज़ार कर रहे थे।रुकिये कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे हैं कि ट्रेन आधे घन्टे लेट है, अगर हां तो आप समझ नहीं पाये। ट्रेन समय से खुली, पर हमलोग आधे घंटे पहले पहुंचे ताकि किसी तरह के भागदौड़ से बच सकें। ओर अभी पहुंचे ही थे कि किन्नर के दो लोग पैसे मांगने आ गये। मैं और मेरा दोस्त ट्रेन से बाहर आकर उनके जाने इंतज़ार करने लगे। कुछ ही देर मे ट्रेन हरे सिग्नल मिलने के बाद खुल गई ।

ट्रेन में बैठे लोग आपस में उनके पैसे मांगने पर सवाल उठा रहे थे पर उनके जाने के बाद। ओर सरकार पर दोष मढ़ रहे थे जो काफी हद तक सही भी थी।

जब चर्चा चल रहा था तो मैं कैसे पीछे रह सकता था, पूछ डाले, तो ये लोग करे तो क्या? तो लोगों का जवाब आया काम करे, काम तो कर सकता है ना? मैं बोला हां क्यूं नहीं, पर काम आप दोगे, सकपकाया सा जवाब आया हां, पर अगर काम नहीं कोई दे रहा है तो खुद का काम तो कर सकता है ना? हां जरुर पर अगर वो कोई खुद का बिज़नेस खोलता है तो आप जाओगे उनके यहां समान खरीदने, अच्छा एक उदहारण के तौर पे एक किन्नर से कोई restaurant खोला, समाने ही एक ओर restaurant है जो किसी सामान्य व्यक्ति समझे जाने वाले के द्वार चलाया जा रहा है तो आप कहा जाना पसंद करोगे? फिर वही सकपकाया सा जवाब। चर्चा लम्बी होती जा रही थी, इतने में ट्रेन गुड़ुर जंक्शन पहुंच गयी। और चर्चा बिना किसी संतोषजनक उत्तर के यहीं पे समाप्त हो गई।

इसलिए जरूरत है कि समाज में इनकी भी भुमिका हो, और हम समाज मैं इनको भी एक सामान्य मनुष्य के तरह स्वीकार करें। तभी सही मायने में हमारा देश, भारत कहलाएगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational