प्यारा सचेत

प्यारा सचेत

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मेरे घर में एक कुत्ता है। कुत्ता कहना अपमानजनक है, किन्तु उसको किसी ने नाम तो नही दिया। लेकिन सोच रहा हूँ, आज नामकरण कर डालूँ। 'सचेत' कैसा रहेगा ? तुम्हारे पास आऊँगा तो तुमसे पूछ लूँगा। जवाब में तुम मेरे हाथों को अपनी जिह्वा से छू लेना बस। अगर पसंद ना आये तो तुम मुझे नोचने मत लग जाना। हा हा हा। बस चुपचाप बैठ जाना, मैं कोई और नाम सोच लूँगा। तुम सचेत हो, या यूँ कहें कि हमारे परिवार का एक अभिन्न अंग हो। जो कभी भी हमसे अलग हो ही नहीं सकता। उसके बिना माँ, बापू, और मेरा भतीजा, जिसके ज़िद्द की वजह से तुम हो। तुमसे कितना लगाव है उसको, मैं बयाँ नहीं कर पाउँगा। मैं, पहले तो तुम्हारी आदतों से परेशान था या यूँ कहें, तुम्हारी प्रजातियों से ही मुझे दिक्कत होती थी। लेकिन तुमने बिना कुछ बोले मुझे जीवन का एक अलग पाठ पढ़ा दिया। तुम भी इसी माजरे का हिस्सा हो, मुझे तुमसे मिलने के बाद ही पता चला।

प्रियंका को तुमसे एक अलग प्रकार का लगाव है। तुम जब जर्द भरी शर्द में ठिठुरते हो तो वो तुम्हारे लिए घर के चौखट पर ओढ़ने और बिछाने का इंतज़ाम करती है, ताकि तुम ठण्ड से बच सको। भाई के तो तुम साथी ही हो, ऐसा लगता है सहोदर हो तुम दोनों।

उठते ही तुमको बिसकुट्स या रोटी सबसे पहले भाई ही देते हैं। तुमको भी थोड़ी उम्मीद होती ही होगी कि कुछ मिलेगा। हा हा हा।

तुम्हारी 2 से 3 दिक्कतें हैं, सबकी कुछ ना कुछ होती है, ये आम बात है, लेकिन मैं तुमको जरूर बताना चाहूँगा। शायद तुम सुधार कर पाओ। कई दिनों से सोच रहा था कि तुमको बताऊँ, लेकिन मैं तो भुलक्कड़ हूँ भूल ही जाता हूँ। तो सोचा कि आज लिख ही देते हैं। पहली दिक्कत, तुमको पानी से डर क्यों लगता है ? मुझे आज तक समझ नहीं आया। नहाओगे नहीं तो सब तुमसे दूर भागेंगे, क्योंकि बदबू भी आती है। तो उम्मीद करता हूँ, तुम जल्दी से समझ जाओगे।

दूसरी दिक्कत, तुम मेरे कपड़ों के पीछे क्यों पड़े रहते हो। प्यार तो आता है जब मेरे कपड़ों को अपने मुँह और नाखून से कुरेदते हो, लेकिन डर भी होता है कि कपड़े कहीं फट न जायें। शायद, तुम्हारा प्यार जताने का एक अलग ही तरीका हो परन्तु मैं कभी-कभी डर जाता हूँ कि तुम काट न लो हमें। कई बार तुमने अपने नाखूनों से मुझे चोटिल भी किया है, बस कह नहीं पाया क्योंकि मुझे भी इसकी आदत हो चुकी है। तीसरी दिक्कत, जैसे ही मैं घर मे प्रवेश करता हूँ, तुम मुझे चाटने लगते हो। अबे परेशान हो जाता हूँ, बचने की लाखों कोशिशो के वावजूद भी नहीं बचा पाता अपने आप को। तुम तो आनंदित होते होंगे, है न ?

जब तक तुम मेरे हाँथों का रसास्वादन न कर लो तुमको चैन भी तो नहीं आता है। खैर छोड़ो, मुझे भी इन सब में बहुत मज़ा आने लगा है अब। आलिंगन करने का मन करता है लेकिन गलती से मुझे साफ रहने की आदत है और सबको साफ़ देखने की भी आदत है। काश ! मैं भाई जैसा होता, उनका बस चले तो वो तुम्हें अपने बेडरूम में सुलायें लेकिन प्रियंका का डर है। एक नंबर की पुजारिन है, हनुमान भक्त है, साफ-सूफ रहना पसंद है, इसलिए तुम्हारे ऊपर पानी फेंक देती है लेकिन तुमको तो कुछ समझ ही नहीं आता, भाग लेते हो।

अबकी बार आया तो तुमको अपने बिस्तर के आस-पास सोने का जुगाड़ करूँगा। तुम्हारे लिए एक छोटा सा लकड़ी का घर ही बना दूँगा। तुमको अच्छा लगेगा।

मुझे याद है, जब मैं बहुत ही विचलित होता था, अचानक रात में निकल जाता था। केवल तुम्हीं होते थे मेरे साथ। मैं जहाँ कहीं भी बैठता था, तुम भी सचेत होकर लगभग 2 मीटर की दूरी पर बैठ जाते थे। पास नहीं आते थे, क्योंकि मैं गुस्सा करता था तुम पे लेकिन अभी बहुत ज्यादा ही प्यार आ रहा है। जल्द मिलूँगा साथी। फिर सुबह नदी घूमने चला करेंगे। पता नहीं तुमको मुझसे इतना प्रेम क्यों है ?

मैं तुम्हारा ख़्याल भी तो नही रख पाता हूँ। शायद पिछले जन्म में हम दोनों का कोई रिश्ता होगा इसलिए इस जन्म में भी उसका निर्वाह कर रहे हैं हम दोनों।

एक बार मैं रात को खेत में सोने चला गया था, मुझे लगा तुमको पता नहीं चला है लेकिन तुम तो उस्ताद निकले, सुबह वहीं मचान के नीचे मिले। क्या कर रहे थे तुम उधर, हाँ ठंढ नहीं लगती है तुमको। दूसरे कुत्तों से डर नहीं लगता क्या ? शायद ये भी प्रेम जताने का तुम्हारा अलग ही तरीका हो। कभी कंप्लेन भी नहीं किये तुम सचेत। कभी-कभी क्या मैं तुमको खाना देना अक़्सर ही भूल जाता था तब भी तुम उतना ही लगाव रखते थे। शायद ये चिट्ठी जब तुम्हारे सामने मैं खोलूँ, तब जाके पता चले कि मैं कितना मतलबी हुआ करता था उस समय। कल सुबह अचानक तुम्हारी याद आयी, आँखें सुखी हुईं थी, लेकिन आँखों से अश्रु छलक उठे। मुझे एक पल तो लगा कि तुम मेरे आस-पास ही हो लेकिन अगले ही पल सब गायब था।

मिलूँगा तो मेरे ऊपर लोट जाना, इस बार नही रोकूँगा, बल्कि मैं भी एन्जॉय करूँगा। फिर हम दोनों खेलेंगे। तुम्हारे लिए बॉल लाऊँगा। अब ज्यादा लिखूँगा तो फिर आँखें भर आयेंगी। बस ऐसे ही प्यार बरसाते रहो मुझ पे। अपना ख़्याल रखो तुम।

तुम्हारा शुक्रगुज़ार........


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