प्यार
प्यार
एक बार मेरी मुलाकात एक शराबी से हुई। अक्सर में उसी रास्ते से गुज़रा करता था और आज भी वैसा ही एक मामूली सा दिन था।
वो पीया हुआ था शायद और इस लिए मुफ्त में ज्ञान बाँट रहा था। मगर उसने जब प्रेम शब्द का ज़िक्र किया तो मैं भी उस की बात सुनने को बेताब हो गया था। और रुक कर सुनने लगा।
तो कहानी कुछ ऐसी है।
उसने प्यार को कुछ अलग ही भाव से प्रस्तुत किया जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं कर पाया था।
उसने कहा मेरा एक अच्छा दोस्त था उसने मुझे पहली बार जब शराब पिलाया तब में बहुत खुश था।
मेरे सच्चे दोस्त को ये बिल्कुल पसंद न आया। उसने मुझे रोका वो मुझे इस नशे से आदत छुड़ाने के लिये दवा ला कर देने लगा था। मुझे वो पसंद नहीं आया और मैं इससे अलग हो गया।
बाद में मुझे इस नशे ने घेर लिया था और में इससे दूर होना चाहता था। और मैंने अपने उस सच्चे दोस्त को ढूंढने की पूरी कोशशि किया मगर वो न मिला। और न छुटा मेरा ये नशा।
प्यार भी इसा ही तो है, जो सच्चे दिल से चाहता है वो आपका ख्याल रखने की पूरी कोशशि करता है और बाकी जो आते सिर्फ आपके इस्तेमाल करने आते। सच्चा साथी आपको ये सब से दूर रख कर देखता है। लेकिन वो दोस्त आपका इस्तेमाल करते और उनका ही साथ हमको ज्यादा पसंद भी आता। लेकिन बाद में पता चलता कि सच क्या है और अफसोस होता कि वो प्यार लौट आये जो सच्चा था। कभी कभी वो लौट भी आता है और ज्यादा ताक़त के साथ। इस बार कोई आपको अलग नहीं कर सकता।
ये सब बोलते वक़्त उसकी आँखों में आँसू थे, आवाज़ भारी हो गयी और मेरी आँखों में भी इस पल पानी आ गया था।
फिर उसने मेरी तरफ इशारा कर के बोला, मुझे माफ़ कर भी दे यार बस मुझे छोड़ कर मत जाना अलगी बार।
उसने उसके हाथ मे जो शराब की बोतल थी उसको फोड़ दिया और आ कर मुझे गले लगा लिया।